अपराधियों के टारगेट पर बेजुबान, मवेशी चोरी में पहले पायदान पर अंचल
अंचल के जंगलों से डकैत गैंग का सफाया हो चुका है, लेकिन उसके बावजूद बीहड़ व उससे सटे गांव में अपराधों का खेल जारी है। अब अपराधियों के टारगेट पर इंसान कम जानवर...

ग्वालियर. अंचल के जंगलों से डकैत गैंग का सफाया हो चुका है, लेकिन उसके बावजूद बीहड़ व उससे सटे गांव में अपराधों का खेल जारी है। अब अपराधियों के टारगेट पर इंसान कम जानवर ज्यादा हैं। कोरोना काल में भी मवेशियों के साथ अपराधों में ग्वालियर रेंज पूरे प्रदेश में अव्वल रहा है। मवेशी चोरों ने इस इलाके में दुधारू पशुओं को अगवा किया है। इनमें ज्यादातर की मालिकों तक वापसी पनिहाई के जरिए हो पाई है, जबकि मवेशी चोर पुलिस के घेरे में आने पर चोरी किए मवेशी को छोड़ गए, लेकिन मवेशी चोर लगातार पुलिस को चुनौती दे रहे हैं।
कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से अपराधों का ग्राफ भी हर साल की तुलना में कम रहा है, लेकिन इस दौरान भी मवेशी चोरों की हरकतों से पुलिस परेशान रही है। खासकर रेंज में ग्वालियर और शिवपुरी के जंगलों में मवेशी चोरों का मूवमेंट नहीं थमा है। ग्वालियर में घाटीगांव, भंवरपुरा, मोहना और शिवपुरी के सतनबाड़ा, सुभाषपुरा, बैराड़ के जंगलों में खिरकाई पर बंधे जानवर राजस्थान और मुरैना के मवेशी चोरों के रडार पर रहे हैं। देहात पुलिस कहती है कि राजस्थान से मुरैना और मुरैना से ग्वालियर की हद सटी है। ज्यादातर मवेशी चोर तिघरा, भंवरपुरा और घाटीगांव के जंगली रास्तों से आकर खिरकाई या जंगल में चरने गए मवेशियों को हांक कर चुनौती देते रहे हैं।
प्रदेश में सबसे ज्यादा वारदात
प्रदेश पुलिस के रेकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल जनवरी से नवंबर तक ग्वालियर से 81, चंबल रेंज में 36, इंदौर 52, खरगोन 48, उज्जैन 50, रतलाम 28, जबलपुर 14, छिंदवाड़ा 3, सागर 24, छतरपुर 34, बालाघाट 4, रीवा 68, शहडोल 22, होशंगाबाद 21 और भोपाल में मवेशी चोरी के कुल 43 केस दर्ज हुए हैं।
दुधारू पशु चोरों के रडार पर
दरअसल घाटीगांव, तिघरा, भंवरपुरा और मोहना में इलाका पथरीला होने की वजह से यहां खेती के साथ दूध का कारोबार भी किसानों की आजीविका का अहम जरिया है। इसलिए इलाके में सबसे दुधारू पशुओं की गिनती ज्यादा है। इसलिए इलाका मवेशी चोरों की नजर में रहता है। पिछले 11 महीने में सिर्फ ग्वालियर से मवेशी चोरों ने 33 दुधारू पशु चोरी किए हैं, जबकि रेंज में 81 दुधारू पशुओं के चोरी जाने के मामले सामने आए हैं।
अंचल में कई मामलों की शिकायत नहीं
अंचल में मवेशी चोरी के ज्यादातर मामलों में मवेशी पालक अपने स्तर पर मवेशी चोरों से पनिहाई के जरिए भी निपटाते हैं। यह घटनाएं तो पुलिस के सामने तक नहीं आती हैं। इन मामलों में मवेशी पालक अपने स्तर पर मवेशी चोर गैंग से संपर्क कर उन्हें जानवर की वापसी के एवज में पैसा चुका कर अपने जानवर वापस हासिल करते हैं।
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