प्रदेश पुलिस के रेकॉर्ड के मुताबिक पिछले साल जनवरी से नवंबर तक ग्वालियर से 81, चंबल रेंज में 36, इंदौर 52, खरगोन 48, उज्जैन 50, रतलाम 28, जबलपुर 14, छिंदवाड़ा 3, सागर 24, छतरपुर 34, बालाघाट 4, रीवा 68, शहडोल 22, होशंगाबाद 21 और भोपाल में मवेशी चोरी के कुल 43 केस दर्ज हुए हैं।
दरअसल घाटीगांव, तिघरा, भंवरपुरा और मोहना में इलाका पथरीला होने की वजह से यहां खेती के साथ दूध का कारोबार भी किसानों की आजीविका का अहम जरिया है। इसलिए इलाके में सबसे दुधारू पशुओं की गिनती ज्यादा है। इसलिए इलाका मवेशी चोरों की नजर में रहता है। पिछले 11 महीने में सिर्फ ग्वालियर से मवेशी चोरों ने 33 दुधारू पशु चोरी किए हैं, जबकि रेंज में 81 दुधारू पशुओं के चोरी जाने के मामले सामने आए हैं।
अंचल में मवेशी चोरी के ज्यादातर मामलों में मवेशी पालक अपने स्तर पर मवेशी चोरों से पनिहाई के जरिए भी निपटाते हैं। यह घटनाएं तो पुलिस के सामने तक नहीं आती हैं। इन मामलों में मवेशी पालक अपने स्तर पर मवेशी चोर गैंग से संपर्क कर उन्हें जानवर की वापसी के एवज में पैसा चुका कर अपने जानवर वापस हासिल करते हैं।