तकनीक से क्रिस्टल को समझना आसान
रेजे बुचर ने बताया कि चीनी और नमक भी एक प्रकार के क्रिस्टल हैं। पहली बार इस तकनीक का प्रयोग 1912 में किया गया था। सबसे पहले सोडियम क्लोराइड क्रिस्टल इस तकनीक द्वारा पता लगाया गया। समय के साथ-साथ तकनीकी में वृद्धि होती गई, अब इस तकनीक के माध्यम से क्रिस्टल को समझना और आसान हो गया है। कार्यशाला का संचालन कार्यशाला के संयोजक प्रो. एसके गुप्ता ने किया एवं आभार प्रो. एसके श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।
पूर्व व नवीन तकनीक पर की तुलना
प्रो. बुचर ने पूर्व व नवीन तकनीक की तुलना करते हुए उन्होंने इस तकनीक की कई उपयोगिताओ को बताया। अंत में सभी के लैपटॉप में एक्सरे सॉफ्टवेयर अपलोड करवाया और उसे प्रयोग करना भी सिखाया। कार्यशाला उपरांत सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस कार्यशाला में प्रो. राधा तोमर, एके हलवे, एसके श्रीवास्तव, प्रो. रेणु जैन, प्रो. डीडी अग्रवाल एवं डॉ. शान्तिदेव सिसौदिया आदि उपस्थित रहे।