अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश हितेन्द्र सिसोदिया ने इस अवसर पर पति-पत्नी का अभिनंदन किया और दोनों को घर रवाना किया। सात फेरे लेने के बाद जीवन पर्यन्त पति के साथ रहने के लिए माता-पिता का घर छोडकर ससुराल आने पर जब पत्नी का पति के साथ कलह बढ़ा तो पत्नी ने पति का घर छोड़ दिया। वह अपने मायके ओरैया में चली गई। इसके बाद पत्नी हेमलता ने ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज कराया। फिर भरण पोषण के लिए वाद प्रस्तुत किया। इतना ही नहीं घरेलू हिंसा का मामला भी न्यायालय में प्रस्तुत किया। इन मुकदमों से नाराज पति योगेन्द्र ने पत्नी से तलाक के लिए कुटुम्ब न्यायालय में तलाक के लिए वर्ष २०१८ में प्रकरण लगा दिया।
मीडिएशन के जरिए हुआ दोनों में समझौता कुटुम्ब न्यायालय ने प्रकरण की परिस्थितियों को देखते हुए इसे मीडिएशन के लिए भेजा। मीडिएटर हरीश दीवान को मीडिएशन के लिए नियुक्त किया गया। एडवोकेट दीवान ने पति-पत्नी दोनों से ही अलग-अलग चर्चा की। उन्हें समझाया गया अभी उनके प्रकरण को तीन साल हुए हैं और पता नहीं कितने साल लग सकते हैं। मुकदमेबाजी के कारण सबसे बड़ा नुकसान उनकी बेटी जो कि अभी मासूम है उसे हो रहा है। वहीं इसमें उनके पैसे और समय की भी बर्बादी हो रही है। लगातार कई दौर की बातचीत के बाद आखिर दोनों बेटी की खातिर फिर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करने पर राजी हो गए। दोनों के बीच समझौता होने पर कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ने पति-पत्नी का अभिनंदन किया तथा पत्नी को उपहार भी दिए।