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आज जुबां पर आएगी दिल की  बात

locationग्वालियरPublished: Feb 14, 2019 03:05:55 pm

Submitted by:

Mahesh Gupta

आज जुबां पर आएगी दिल की बात

velentine day

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थोड़ी झिझक होगी, थोड़ी शर्म, पह कह देंगे जो कहना है

आज दिन है प्यार का। इश्क-ए-इजहार का। दिल में दबे अरमान को जुबां से कहने का। हर धडक़ते दिल को वेलेंटाइन डे का इंतजार बेसब्री से रहता है। प्यार, इश्क, मोहब्बत जैसे लफ्जों को महसूस कराता यह दिन आज कई दिलों को एक करेगा। थोड़ा संकोच, थोड़ी झिझक, थोड़ी शर्म के साथ दबे हुए लफ्जों में युवा दिल एक दूसरे से अपनी बात कहेंगे। आज उन लोगों के लिए भी यह खास दिन है, जिन्होंने अपने प्यार की शुरुआत वेलेंटाइन डे से की और लंबे इंतजार के बाद शादी की। इस उत्सव पर हम आपको कुछ ऐसी ही लव स्टोरी से परिचित करा रहे हैं, जिन्होंने अपने प्यार के खातिर वर्षों इंतजार किया। पैरेंट्स को मनाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन जीत अंत में प्यार की हुई।
1997 में मुलाकात, 1998 में इजहार, 7 साल बाद हुई शादी
मैं उनसे अपनी सहेली के साथ 1997 में मिली थी। इसके बाद से उन्होंने मुझे देखना और घर के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। एक साल बाद होली में हमारी मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे प्रपोज कर दिया। मैंने उनसे कहा कि मेरी दो बहनें हैं। मैं शादी के लिए कुछ नहीं कह सकती। इसके बाद उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा। बहनों की शादी होने तक 7 साल का इंतजार किया और फिर मुझसे दोबारा पूछा। मैं हैरान थी उनके सच्चे प्यार को देखकर। तब मैंने हां कर दिया। लेकिन मेरी फैमिली तैयार नहीं थी। किसी तरह हमने कन्वेंस किया और शादी हो गई।
भूपेन्द्र-वंदना प्रेमी

छुट्टी के बाद इंदौर पहुंचकर बताया दिल का हाल
इंदौर में एक ही इंस्टीट्यूट में हम दोनों फैकल्टी थे। एक बाद 5 दिन के लिए मुझे ग्वालियर आना पड़ा। तब मुझे नीना से बात करने की इच्छा हुई। उसे देखने का मन हुआ। तब इंदौर पहुंचकर मैंने अपने दिल का हाल सुनाया और प्रपोज कर दिया, लेकिन मैं पंजाबी और वो महाराष्ट्रियन थी। घर वाले भी तैयार नहीं हुए। लेकिन इरादा सच्चा हो तो मंजिल मिल ही जाती है। हमारे प्रयास से दोनों परिवार तैयार हुए और हमारी शादी हो गई।
हिमांशुु-नीना बेदी

घर वालों से भागकर छतरपुर में की शादी
मुस्कान मेरी स्टूडेंट थी। उसे मुझसे प्यार कब हो गया, पता नहीं चला। मैंने उसे काफी समझाया, लेकिन वह नहीं मानी। उसके प्रेम को देखकर हमने शादी करने का फैसला कर लिया। लेकिन हम दोनों का धर्म अलग था। मुस्कान ने जब अपनी फैमिली को हम दोनों के बारे में बताया, तो उसे कमरे में बंद कर दिया गया। एक दिन वह भागकर बाहर आई और दूसरे नंबर से कॉल करके मुझे बुलाया। हम दोनों छतरपुर भाग गए और वहां शादी कर ली। कुछ समय बाहर रहने के बाद ग्वालियर आ गए। अब सब कुछ बैलेंस है।
प्रमेन्द्र-मुस्कान आर्य
परिवार राजी नहीं था, तब की आर्य समाज से शादी
उस समय मैं झांसी में आइएमआइटी इंस्टीट्यूट चलाता था। आंचल मेरे स्टॉफ में थी। कुछ ही समय बाद मुझे वह अच्छी लगने लगी। उससे बात करना, हंसी मजाक करना मुझे पसंद था। एक बार वह कुछ दिन के लिए बाहर गई। इस पर मुझे उनकी बहुत याद आई। तब मुझे प्यार होने का एहसास हुआ। उनके आते ही मैंने प्रपोज कर दिया। लेकिन उनका परिवार तैयार नहीं हुआ। तब मैंने आर्य समाज से शादी की।
मनोज-आंचल बंसल
शादी में मुलाकात के बाद मिस कॉल से हुई शुरुआत
हमारी मुलाकात एक शादी में हुई। उन्होंने किसी से मेरा नंबर ले लिया। पहले मिस कॉल और फिर कॉल किया। उन्होंने बोला कि आपकी याद आ रही थी। ऐसे ही बातें शुरू हुईं और हमारे बीच कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला। एक दिन उन्होंने मुझे प्रपोज कर दिया। परिवार को जाब हमारे बारे में पता चला, तो उन्होंने ऑब्जेक्शन किया। फिर कुछ समय बाद हमारे कन्वेंस करने पर वे मान गए और हमारी शादी हो गई।
हरिओम-अंकिता तोमर
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