लेकिन थोडा कुरेदने पर बेवाक बता रहे हैं उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। न तो गांव में कोरोना की जांच हुई है न डाक्टर और दवा मिल रही है। गांव का डाक्टर लाल दवा का इंजेक्शन लगाता है। उससे बुखार उतर रहा है। हालात एक दो गांव के नहीं बल्कि पनिहार, घाटीगांव और आरोन के तमाम गांव के हैं।
यहां लोगों का कहना है कि कोरोना से बचने के लिए वैक्सीनेशन तक सलीके से नहीं हुआ है। पहला डोज देने के बाद दूसरे डोज देने का इंतजाम नहीं हुआ है। शनिवार को पत्रिका ने पनिहार, घाटीगांव और आरोन के गांव में हालात देखे तो यहां कोरोना से जूझने के लिए सरकारी इंतजाम नदारद और लोग इलाज से बचने की कोशिश में दिखे।
बात करने से घबराए, बोले अस्पताल नहीं जाएंगे
कोरोना का डर गांव में साफ दिख रहा है, शहर की सडकों की तरह कोरोना कफर्यू का सन्नाटा गांव की गलियों में भी है। घाटीगांव से कुछ दूरी पर तकिया का पुरा गांव में करीब २००लोगों की आबादी है। यहां अनजान लोगों की आवाजाही से गांववालों के माथे पर सिलवटें आ जाती हैं।
पत्रिका टीम शनिवार को गांव में पहुंची तो जो लोग घरों की देहरी पर बैठे थे धीरे से उठकर घर में घुस गए बुलाने पर बाहर आने को राजी नहीं हुए। काफी कोशिश के बाद सिर्फ इतना बोले कि कोरोना वाले हो, अस्पताल ले जाओगे। हमें नहीं जाना। क्योंकि वहां गए तो वापस नहीं आएंगे।
जाहिर था कि इन लोगों में कोरोना से ज्यादा अस्पताल में भर्ती होने का डर है। गांव निवासी शाहरूख ने बताया कि यह माहौल सिर्फ इसी गांव का नहीं है। बल्कि आसपास तमाम गांव में यही हालात हैं। सरकारी दवा और डाक्टर गांव में आती नहीं है। शहर में अस्पतालों में हर दिन तमाम लोगों की मौत हो रही है यह खबरें सुनने को मिल रही हैं, इसलिए लोग गांव से बाहर इलाज के लिए जाने को राजी नहीं है।
हर घर में बिछी खटियां, गांव के डाक्टर के सहारे इलाज
डांढाखिरक गांव में भी सन्नाटा था, यहां भी कोरोना की दहशत तो थी, लोग यह तो मान रहे थे गांव में खांसी, बुखार तेजी से फैल रहा है। लेकिन बिना जांच पडताल कराए यह दावा भी कर रहे थे कोरोना किसी को नहीं है।
गांव निवासी प्रकाश सिंह गुर्जर का कहना था सिर्फ डांढाखिरक नहीं जाखौदा, बंजाराखिरक, लोंदूपुरा, सुरहैला, पैखोह, बसौठा, सिमेढी, नयापुरा, महुआ खोह, आदिवासी पुरा, भंवरपुरा, सहित आसपास के तमाम गांववालों में खांसी बुखार लोगों में हो रहा है।
लेकिन यह कोरोना नहीं है। किसी ने कोरोना की जांच भी नहीं कराई है। गांव के डाक्टर के इलाज से ही लोग ठीक हो रहे हैं। सरकारी डाक्टर और दवाएं यहां नहीं आती। तमाम लोग तो दवाओं के साथ पूजा पाठ भी कर रहे हैं। उनके साथी गांववालों की दलील थी गांव ने मन्नत मांगी है कोरोना निकल जाए तो रामायण पाठ कराएंगे।
१० दिन पहले हर घर में मरीज
पूर्व सरपंच राजेन्द्र सिंह गुर्जर का कहना था १० दिन पहले हालात काफी खराब थे। इलाके में हर घर में खांसी, बुखार के पीडि़त थे। अब तो हालात ठीक हैं। गांव के डाक्टर की दुकान पर ही पैर रखने को जगह नहीं थी।
एक पलंग पर तीन तीन मरीज थे। वैसे जखोदा के पंचायत भवन में कोविड सेंटर भी बनाया है। लेकिन वहां डाक्टर और दवा नहीं है। जो लोग शहरों में बस गए थे वह भागकर गांव वापस आए हैं। जो हालात सुना रहे हैं उससे लोग डरे हुए हैं। इसलिए कोरोना का चेकअप तक कराने से बच रहे हैं।
संक्रमण के दायरे में इलाका
डांढा खिरक निवासी संतोषी गुर्जर ने बताया डांढाखिरक सहित करीब १२ से ज्यादा गांव में पिछले कुछ दिनो ंसे खांसी, बुखार के पीडित सामने आ रहे हैं। इन्हें कोरोना है या वायरल नहीं मालूम। तबियत गडबड होने पर घाटीगांव जाकर दवा ले लाते हैं।
लोगों में डर है कि कोरोना हुआ तो सरकारी अमला पकड कर शहर के अस्पताल में ले जाएगा। वहां इलाज महंगा है। इसके अलावा गांवों में अफवाह फैली है कि अस्पताल जाने वाले बहुत कम मरीज ठीक होकर वापस आते हैं। इसलिए खांसी, बुखार को भी छिपा रहे हैं।