बचपन से पढ़ीं विवेकानंद की पुस्तकें उन्होंने बताया कि मैं बचपन से ही विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, जयकृष्ण मूर्ति, अरविंदो से जुड़ी पुस्तकें पढ़ा करता था। रिजाइन देने के बाद सबसे पहले मैंने बौद्धिक शरीर को सीखा, मन की शक्ति को विकसित किया और चेतना की शक्ति को जगाया। शिविर के माध्यम से मैं यही लोगों को बाताता हूं कि सही आहार, सही व्यायाम और सही ध्यान से आंतरिक शक्ति को जगाया जा सकता है।
पहले शिविर में लोगों ने उड़ाया था मजाक परम आलय बताते हैं कि मैंने जब 1 जनवरी 2011 से 8 दिन के मनुष्य मिलन साधना शिविर की शुरुआत की, तो लोगों ने उपहास उड़ाया, तो कुछ ने सराहा भी। चंद लोगों की सराहना मेरी ताकत बनी और मैंने पूरे देश में शिविर की शुरुआत कर दी। अभी तक देशभर में 100 से अधिक शिविर कर चुके हैं। आज टीम मेरी में स्टूडेंट से लेकर इंजीनियर, आर्किटेक्ट, शिक्षक, बिजनेसमैन तक शामिल हैं, जो मेरे साथ चलते हैं।