मेट्रोपोलिटन क्यों
कानूनी कसौटी पर भी दावेदारी खरी
संविधान के 74वें संशोधन के प्रावधानों के मुताबिक महानगर को ऐसे क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया है, जिसकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक हो। इसमें एक से ज्यादा समाविष्ट हों, 2 या अधिक महानगर पालिकाओं, पंचायतों या अन्य संलग्न क्षेत्रों से मिलकर बनता है। वर्ष 2011 के अनुसार ग्वालियर जिले की जनसंख्या 20 लाख है। वर्तमान में 25 लाख अनुमानित। मास्टर प्लान के अनुसार 2021 तक 28 लाख होगी।
सिंधिया ने सीएम को लिखा पत्र
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि हमारे राज्य के इतिहास में ग्वालियर की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। औद्योगिक प्रगति के दृष्टिकोण से भी मालनपुर और बानमोर औद्योगिक क्षेत्रों का विकास ग्वालियर के समीप हुआ है। इसके अतिरिक्त मेरे पूज्य पिताजी द्वारा ग्वालियर को दिल्ली की काउंटर मैग्नेट सिटी के रूप में विकसित किया गया था। इसे देखते हुए ग्वालियर को केंद्र में रखकर मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना का पूरा क्षेत्र मेट्रोपोलिटन एरिया के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि सीएम जल्द ही इसकी घोषणा करेंगे।
इसलिए भी हमारा दावा पुख्ता
एजुकेशन हब
शहर एजुकेशन हब के रूप में तेजी से विकसित हुआ है। देश-विदेश से यहां छात्र आते हैं। यहां तीन सरकारी और 2 निजी विवि हैं। 200 से अधिक कोचिंग सेंटर मेडिकल, इंजीनियरिंग की तैयारी कराते हैं जिनमें हजारों की संख्या में छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
हेल्थ
शहर में आसपास के क्षेत्रों के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश के शहरों से भी लोग इलाज के लिए यहां आते हैं। मेडिकल कॉलेज, जयारोग्य अस्पताल, कमलाराजा चिकित्सालय हैं जो कि अंचल के सबसे बड़े अस्पताल हैं लेकिन अभी और भी सुविधा की जरूरत है।
कनेक्टिविटी
ग्वालियर से रेल या फिर हवाई सेवा सभी की बेहतर कनेक्टिविटी है। राष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट है। बड़े शहरों बेंगलुरु, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, जम्मू आदि से एयर कनेक्टिविटी हो गई है। दूसरे शहरों जल्द जुडऩे वाले हैं, बस अब अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट की दरकार है।
बस सेवा
बसों की स्थिति थोड़ी ठीक नहीं है, इसमें सुधार की जरूरत है। हालांकि स्मार्ट सिटी योजना के तहत ऐसी बसें चलाई गई हैं। जहां तक और दूसरे शहरों की बात है तो वहां के लिए रात में स्लीपर बसें हैं लेकिन अंचल में बसों की स्थिति खराब है, इसे भी सुधारने की जरूरत है।
साडा और जीडीए: शहर में साडा के तहत अलग शहर बसाने की योजना बनाई गई थी लेकिन अभी तक यह योजना अधूरी है। जीडीए के तहत भी कई योजनाएं अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं। अगर इन योजनाओं को पूरा किया जाए तो शहर का काफी दवाब कम होगा और ग्वालियर का विस्तार हो सकेगा नया शहर भी बस सकेगा। जिससे ट्रैफिक सहित कई समस्याओं से लोगों को निजात मिल सकेगी।महानगरीय बसों के सुचारू रूप से चलाए जाने की भी कवायद करनी होगी।
इनको मिलाकर बन सकती है समिति
नगर निगम ग्वालियर, केंटोनमेंट बोर्ड मुरार, ग्वालियर जिले के 35 गांवों की ग्राम पंचायतें, मुरैना जिले के 82 गांवों की ग्राम पंचायतें, नगर निगम मुरैना, नगर पालिका भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना की नगर पालिका, नगर परिषद और ग्राम पंचायतें, नगर पंचायत बानमोर, भिंड जिले के तीन गांवों मालनपुर, घिरोंगी और तिलोरी की ग्राम पंचायतें।
1778 वर्ग किमी का है मास्टर प्लान
शहर के मास्टर प्लान में तीन जिलों के गांव शामिल किए गए थे। भिंड और मुरैना जिले के गांवों को जोडऩे के बाद मास्टर प्लान का प्लानिंग एरिया 427 वर्ग किमी से लगभग चार गुना बढकऱ 1778 वर्ग किमी हो गया था। चंबल नदी के पास से लेकर साडा और मालनपुर तक के एरिया में 267 नए गांवों को शामिल किया गया।
महानगर बनने के लाभ
इनमें भी फायदा
यह मिलेगा
यह करना होगा
कांग्रेस सरकार की हवाई योजना : शर्मा
देवेश शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष
देवेन्द्र शर्मा , कांग्रेस जिलाध्यक्ष
मेट्रोपोलिटन के लिए ग्वालियर एक आदर्श शहर
प्रद्युम्न सिंह तोमर, प्रदेश खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री
प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है
ग्वालियर को मेट्रोपोलिटन सिटी प्रोजेक्ट में शामिल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
अनुराग चौधरी, कलेक्टर
ग्वालियर का नाम शामिल होने से पूरे अंचल में विकास होगा
इंदौर तो पहले से ही विकसित है और पहले से ही महानगर की श्रेणी में आता है जहां तक नाम देने की बात है तो जरूरत है कि ग्वालियर को महानगर बनाया जाए। ग्वालियर में महानगर बनने की अपार संभावनाएं हैं और यह बहुत जरूरी भी है। इससे ग्वालियर और इसके आसपास के क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे अंचल में विकास होगा।
जीडी लड्ढा, वरिष्ठ सीए
बाहर के लोग यहां आते हैं तो शहर में रियल एस्टेट को लाभ होगा
यदि मेट्रोपोलिटन सिटी के रूप में ग्वालियर को भी शामिल कर लिया जाता है, तो ये ग्वालियर के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। नए उद्यमी यहां आएं, उसके लिए भी प्रयास करना होंगे। बाहर के लोग यदि यहां आते हैं तो इससे रियल एस्टेट को भी लाभ होगा। वैसे भी ग्वालियर शहर महानगर के जैसा ही हो चला है।
अतुल अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई
ऐसा होता है तो औद्योगिक स्तर पर फिर विकास की राह पकड़ेंगे
ग्वालियर शहर को और उसके आस-पास के क्षेत्र को मेट्रोपोलिटन सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया जाना चाहिए। वैसे भी इंदौर और भोपाल इसमें शामिल हो चुके हैं। हम अपने शहर को जानते हैं कोई नहीं कह सकता कि ग्वालियर किसी से कम है। यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर औद्योगिक स्तर पर फिर से हम विकास की राह पकड़ेंगे।
सुदीप शर्मा, अध्यक्ष, बानमोर औद्योगिक क्षेत्र
शिक्षा के क्षेत्र में विकास की संभावनाएं और बढ़ जाएंगी
एकेडमिक हब के रूप में दिल्ली के बाद ग्वालियर शहर तेजी से उभरा है। शिक्षा के लिए यहां दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। यहां एयर कनेक्टिविटी भी बढ़ी है। यदि मेट्रोपोलिटन सिटी प्रोजेक्ट में इस शहर को शामिल किया जाता है तो इससे विकास की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी। इसके लिए हमारे जनप्रतिनिधियों को भी सोचना चाहिए।
संदीप कुलश्रेष्ठ, डायरेक्टर, आईआईटीटीएम