दरअसल 2014 में व्यापमं कांड का खुलासा हुआ था। फर्जी तरीके से पीएमटी पास करने वालो डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पुलिस ने डॉ दीपक यादव से पूछताछ की तो उसने बताया कि वर्ष 2005 में विशाल यादव, पंकज गुप्ता, ऋषभ प्रताप सिंह को फर्जी तरीके से पीएमटी पास कराई थी। इस खुलासे के बाद पुलिस ने विशाल यादव, पंकज गुप्ता, ऋषभ प्रताप सिंह, धमेन्द्र चंदेल, संतोष चौरसिया, सुरेंद्र वर्मा, सुशील कुमार गुप्ता को गिरफ्तार किया। पुलिस ने जांच के बाद न्यायालय में चालान पेश कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआइ को सुपुर्द कर दिया। सीबीआइ अतिरिक्त जांच में कुछ नया नहीं किया। न्यायालय में अतिरिक्त चालान पेश कर दिया। अधिवक्ता पियुष गुप्ता ने बचाव में तर्क दिया कि जिस मेमोरेंडम से केस शुरू हुआ, वही संदिग्ध है। एक दिन और एक ही समय कैसे मेमोरेंडम लिया जा सकता है। दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। कोर्ट ने बचाव साक्ष्यों को स्वीकार करते हुए आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया।
पुलिस की जांच पर पूरी ट्रायल चाल दी, जिससे चलते सभी आरोपी दोषमुक्त हो गए। ऐसे हुआ केस संदिग्ध दीपक यादव तीन केस में दोषमुक्त, दो लंबित बचे व्यापमं कांड के खुलासे के वक्त व्यापमं कांड के खुलासे के वक्त दीपक यादव का नाम रैकेटियर के रूप में सामने आया था। दीपक यादव के खिलाफ अलग-अलग पांच केस दर्ज किए गए थे। एक अपने भाई राहुल यादव को पास कराने का केस था। दूसरा खुद को प्री पीजी में फर्जी तरीके से पास कराने का था। तीसरा केस का फैसला गुरुवार को हो गया। तीनों केस में यह दोषमुक्त हो गया है।