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नैनो मटेरियल से खत्म होगा जल प्रदूषण, सैंसर के जरिए आसान होगी पहचान

locationग्वालियरPublished: Jan 25, 2020 11:26:11 pm

Submitted by:

Dharmendra Trivedi

 
-सिर्फ 15 रुपए की लागत से तैयार हो रहा सैंसर पार्ट पर मिलियन और पाटर््स पर बिलियन हिस्से को भी डिटैक्ट करने की क्षमता रखेगा

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ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पानी में प्रदूषित तत्वों को डिटैक्ट करने वाला सैंसर तैयार किया है। यह सैंसर पानी के एक लाखवें और एक करोड़वें हिस्से में घुले हुए हानिकारक तत्व की भी पहचान कर सकेगा। इसके साथ ही पानी के वायु प्रदूषण को दूर करने के साथ ही बेहतर मिनरल्स को बचाने वाला नैनौ मटेरियल भी तैयार किया गया है। यह दोनों ही प्रयोग पर्यावरण और पर्यावरण रसायन अध्ययनशाला के शोधार्थियों ने किए हैं। शोधार्थियों ने बताया कि जल प्रदूषण के कारण लगातार बढ़ रही समस्या को ध्यान में रखकर शोध कार्य शुरू किए थे, इनमें से नैनो मटेरियल और सेंसर पर काम करके सफलता मिली है। यह आम जन के लिए मददगार सिद्ध होंगे।

 

शोध कार्य-1


जीवाजी विश्वविद्यालय की पर्यावरण अध्ययनशाला में रीसर्च कर रहे मणिपुर के रिसर्च स्कॉलर विश्वनाथ शर्मा ने जल संकट के निदान और लगातार बढ़ रहे जल प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए पर्यावरण अध्ययनशाला में विशेष नैनो मटेरियल तैयार किया है। इसके जरिए पानी में घुले हानिकारक तत्वों का पानी में ही विघटन किया जा सकेगा। स्कॉलर का का कहना है कि पानी से प्रदूषित तत्वों को अलग करके पीने योग्य बनाया जा सकेगा। खास बात यह है कि नैनो मटेरियल पानी से कार्बन ऑक्साइड और ऑक्सीजन को अलग-अलग करेगा, इसके बाद कार्बन डाइ ऑक्साइड हवा में घुल जाएगी और ऑक्सीजन पानी की गुणवत्ता को बढ़ाने का काम करेगा।

 

शोधकार्य-2


पानी में घुलने वाले पेस्ट्रीसाइड, डाइ कलर सहित अन्य प्रदूषित तत्व गुणवत्ता को कम कर देते हैं। यह पानी लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने की बजाय बिगाड़ देता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में असुरक्षित पानी पीने से डायरिया, कोलेरा जैसी खतरनाक बीमारियां होने के साथ-साथ पेट से संबंधित अन्य बीमारियां भी होती हैं। इन सभी से निजात दिलाने के लिए पर्यावरण रसायन अध्ययनशाला में डॉ निमिषा जादौन द्वारा स्पेशल सैंसर तैयार किया जा रहा है। इस सैंसर को बनाने में सामान्य उपयोग में आने वाली पेंसिल के कार्बन सबसे महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुआ है। खास बात यह है कि एक सैंसर बनाने की लागत अधिकतम 15 रुपए है।


-जल प्रदूषण का पता करने के लिए विभाग में शोध कार्य किया जा रहा है। इसके जरिए पानी में मौजूद प्रदूषित तत्वों को नैनो मटेरियल के जरिए पहचाना जा सकेगा। हमारी प्रयोगशाला में तैयार नैनो मटेरियल से सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में पानी के प्रदूषित तत्वों का पता करके खत्म किया जा सकता है।

डॉ. हरेन्द्र शर्मा, विभागाध्यक्ष-पर्यावरण अध्ययनशाला


-हम इलैक्ट्रो केमिकल सैंसर बना रहे हैं। यह लागत में बहुत सस्ता है और पानी में पर मिलियन और पर मिलियन हिस्से को भी डिटैक्ट करने की क्षमता रखता है। इसको बनाने में हमारे आसपास की वस्तुओं का ही उपयोग किया गया है। शुरुआती प्रयोग सफल रहा है।

डॉ. निमिषा जादौन, विभागध्यक्ष-पर्यावरण रयासन अध्ययनशाला

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