इसके बाद नगरपालिका के कांग्रेस व भाजपा पार्षदों सहित कुछ भाजपा नेता वहां पहुंचे, जहां सिंध का पानी पाइप लाइन के लीकेज में से फब्बारों की तरह बह रहा था। लंबे समय से इंतजार कर रहे मड़ीखेड़ा के पानी को देखकर सर्दी के बावजूद लोग खुद को रोक नहीं पाए और उस फव्वारे में न केवल जमकर नहाया, बल्कि ढोल-नगाड़ों की धुन पर जमकर जश्र मनाया।
वर्ष 2009 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट 2011 में पूरा होना था, लेकिन उसमें कभी राजनीतिक तो कभी तकनीकी पेंच फंसने की वजह से यह बार-बार रुकता रहा।
माधव नेशनल पार्क में से पाइप लाइन डालने के लिए एंपावर्ड कमेटी दिल्ली से परमीशन के फेर में प्रोजेक्ट ढाई साल तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा।
परमीशन मिलने के बाद नेशनल पार्क में पेड़ों की कटाई शुरू की गई तो तत्कालीन माधव नेशनल पार्क डायरेक्टर शरद गौड़ ने न केवल काम रुकवा दिया था, बल्कि मशीनें जब्त कर दोशियान के जीएम व नपा के एई के पर मामलाा भी दर्ज करा दिया था।
काम रुकने के बाद जब किसी ने इस प्रोजेक्टकी सुध नहीं ली तो वर्ष 2015 में शहरवासियों ने 22 दिन से जलक्रांति आंदोलन किया। 22 दिन तक चले इस आंदोलन में न केवल हर वर्ग शामिल हुआ, बल्कि अलग-अलग दिनों में बाजार भी बंद रहा।
इसके बाद सांसद व शिवपुरी विधायक ने चौराहे पर चल रहे आंदोलन में जाकर यह आश्वासन दिया था कि हम इस प्रोजेक्ट को पूरा करवाएंगे।
शिवपुरी विधायक व कैबिनेट मंत्री ने लगातार बैठकें लेने के साथ ही इस प्रोजेक्टकी खुद रात में मड़ीखेड़ा रेस्ट हाउस में रुक कर मॉनीटरिंग की। वे सप्ताह में दो-दो बार शिवपुरी आती रहीं, ताकि यह प्रोजेक्ट अपने अंजाम तक पहुंच सके।
ठ्ठ पीएचई की लापरवाही के चलते इंटेकवेेल में सबसे नीचे वाला गेट नहीं लगाया गया, जिसके चलते डैम की सिल्ट उसमें जमा हो गई। सिल्ट होने की वजह से उसमें वो पंप नहीं काम करते, जो शिवपुरी आ गए थे। तत्कालीन कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने बीटी पंप का आदेश दिया और जब वो पंप आए, तब पानी डैम से ऊपर चढ़ सका।
विभिन्न कठिन परिस्थितियों के बीच होकर आखिरकार यह प्रोजेक्ट पूरा हुआ। चूंकि पानी लगभग 30 किमी दूर से आ रहा है, इसलिए मेंटीनेंस की गुंजाईश आगामी छह माह तक रहेगी, लेकिन एक बार जब बिजली का स्थाई कनेक्शन हो जाएगा तो फिर शहरवासियों को पानी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।