जोजफ स्टीफन मूलत: गोवा के रहने वाले थे। उनके पिता पिंटू मास्टर को ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज माधवराव सिंधिया यहां गाडिय़ों पर रंग रोगन करने के लिए ले आए थे, जिन्हें इंजीनियरिंग वर्कशॉप में नियुक्त कर दिया गया था। वे यहीं बस गए थे। कच्ची उम्र में ही स्टीफन क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए। गोवा से हथियार खरीदने के लिए स्टीफन और बालकृष्ण शर्मा को गोवा भेजा गया। लंबे समय तक वहां रहने के बाद पुर्तगाली सिपाहियों से रिवाल्वर व कारतूस लेने में सफल हो गए। इन हथियारों को यह लोग ग्वालियर भेजते और रामचंद्र सरवटे तथा गिरधारी सिंह इन्हें अन्य क्रांतिकारियों को सप्लाई करते थे।
यह काम बहुत जोखिम का था, लेकिन आजादी के जुनून में कांतिकारी हर जोखिम उठाने को तैयार थे। स्टीफन बहुत हिम्मती थे। एक बार वे चार रिवाल्वर अपनी जांघों पर बांधकर गोवा से चले, लेकिन पुलिस को इसकी खबर हो गई। पंजिम से एक अधिकारी उनका पीछा कर रहा था। उसने बंबई (अब मुंबई) में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें बड़ी कठोर यातनाएं दी गईं। उनकी तलाशी के दौरान रामचंद्र सरवटे के नाम एक पत्र पुलिस को मिल गया, जिसके आधार पर दिल्ली में गिरधारी सिंह तथा सरवटे और ग्वालियर में बालकृष्ण शर्मा, बालमुकुंद शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। इन पर मुंबई की अदालत में मुकदमा चलाया गया, जो ग्वालियर-गोवा और बंबई षड्यंत्र केस के नाम से जाना गया। सभी को जेल में कठोर यातनाएं दी गईं।