खुले डीपी से हादसा होने पर जिम्मेदार कौन?
ग्वालियरPublished: Oct 04, 2019 07:01:14 pm
बिजली कंपनी द्वारा खुले पड़े शहर में ट्रांसफार्मर पर लगी डीपी को चारों तरफ से तार फैंसिंग या जाली लगाना है। लेकिन शहर में कुछ स्थानों पर अभी भी जाली नहीं है जिससे हादसे का डर हमेशा बना रहता है।
खुले डीपी से हादसा होने पर जिम्मेदार कौन?
ग्वालियर. शहर में करीब दो हजार ट्रांसफार्मर ऐसे हैं जहां हर वक्त खतरा रहता है। इन पर कंडक्टर खुले हुए हैं, जो हादसे को न्योता दे रहे हैं। इन ट्रांसफार्मरों को सुरक्षित करने के लिए मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा जाली लगाए जाने की योजना बनाई गई थी। कुछ ट्रांसफार्मरों पर लगाई भी गई, लेकिन इसके बाद योजना बंद कर दी गई।
पिछले सालों की घटना पर नजर डालें तो अब तक करीब पांच लोगों की मौत ट्रांसफार्मर के करंट की चपेट में आने से हो चुकी है। पिछले साल थाटीपुर क्षेत्र के कुबेर आश्रम के पास ट्रांसफार्मर के पास पानी भरा होने से वहां से निकलने पर युवक करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। करीब छह महीने पहले बिरला नगर में रात में एक युवक ट्रांसफार्मर के नजदीक से निकलते समय करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई। इसके बाद भी बिजली अफसरों की नींद नहीं टूटी है।
मुख्य सडक़ें हों या गली मोहल्लों की सडक़ें, हर जगह ट्रांसफार्मर पर झूलते हुए तार, खुले वितरण बॉक्स हैं, फ्यूज जल जाने पर उन्हें सीधे कंडक्टर से बांधा जा रहा है। यह ट्रांसफार्मर कई बार खतरे का कारण भी बन जाते हैं। इन्हें सुरक्षित करने के लिए बारिश के मौसम से पहले जाली लगाए जाने का काम शुरू किया गया था। कई क्षेत्रों में जाली लगाई गई थी, इसके बाद बिजली अफसरों ने इस काम को बंद कर दिया।