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शहरवासियों के निवेदन पर क्यों लगती है झाड़ू?

locationग्वालियरPublished: Aug 10, 2019 01:33:45 am

शहर को सुंदर साफ बनाने की ढपली तो जोर से पीटी जा रही है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है

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शहरवासियों के निवेदन पर क्यों लगती है झाड़ू?

ग्वालियर. शहर को सुंदर साफ बनाने की ढपली तो जोर से पीटी जा रही है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। बहोड़ापुर के मेवाती मौहल्ले के लोग कहते हैं उनकी बस्ती को तो नगर निगम शायद शहर में होना ही नहीं मानती। शायद इसीलिए न तो वहां झाडू लगती है और न ही सफाई कर्मचारी आते हैं। जबकि वार्ड ऑफिस बस्ती से महज 100 मीटर की दूरी पर है। कई बार तो निगम अधिकारियों को बस्ती की हालत के फोटो भेजकर मैसेज तक लिखे हैं कि आप लोगों के हाथ जोड़ रहे हैं बस्ती में सफाई करा दो, तब जाकर झाडू लग पाती है। अब बरसात का मौसम आ गया है तो हालत बदतर है। मेवाती मोहल्ले में करीब दो हजार से ज्यादा की आबादी रहती है। एजाज निवासी मेवाती मौहल्ला ने बताया कि उनके यहां रास्ता उबड़ खाबड़ हो चुका है। सडक़ में तमाम गडढे हैं। बरसात में पानी भर जाता है। मौहल्ले में घुसने के मेन रास्ते के पास हैंडपंप लगा है। इससे लोग पानी भरते हैं। यहां कचरे का ढेर हर वक्त लगा रहता है। बरसात में बीमारियां फैलने का डर है, लेकिन सफाई नहीं होती। वह तो लोग अपने स्तर पर साफ सफाई कर लें तो ठीक है, वरना कोई सुनने वाला नहीं है।
नगर निगम की कचरा उठाने वाली गाड़ी तो रोज आती है, लेकिन सडक़ पर सीटी बजाकर लौट जाती है। गलियों के अंदर गाड़ी आ नहीं पाती। यहां अगर निगम के कर्मचारी कचरा उठाने आएं तो बस्ती में साफ सफाई रहे। वर्षों से गलियों के अंदर झाडू नहीं लगी है न कचरा उठाने कोई आया है। यह तक नहीं पता कि बस्ती की सफाई का जिम्मा किसके पास है। अब आदत पड़ चुकी है तो लोग गदंगी में ही रहने को मजबूर हैं। बस्ती में एक बड़ी नाली भी कचरे से भरी है। उसकी भी सफाई नहीं हुई है। इस वजह से बरसात में पानी उफन कर सडक़ पर आता है। उसे साफ करना यहां रहने वालों के बूते का नहीं है। अगर नाले की सफाई करा दी जाए तो काफी राहत मिल सकती है।
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