ग्वालियर-चंबल का यह है प्लान
– अंचल के किसानों के लिए बेहटा में तैयार हो रही टिश्यू कल्चर लैब एटोपोरियम आधुनिक सिस्टम से लैस होगी।
– एटोपोरियम तकनीक से लैस होने वाली यह मध्यप्रदेश की पहली लैब होगी।
– किसान प्रशिक्षण केन्द्र का काम 1 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा।
– नूराबाद में 10 करोड़ रुपए की लागत से एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना की जा रही है।
इतने लोगों को मिलेगा रोजगार
– फूड प्रोसेसिंग इकाइयों के माध्यम से किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
– इकाई लगाने वाले कृषकों को 500 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाएगी।
– फूड प्रोसेसिंग इकाइयों से स्वयं सहायता समूहों के 85 हजार सदस्यों को काम मिलेगा।
यह है तीन वर्ष का लक्ष्य
– वर्ष 2022 में 200 इकाई तैयार हो जाएंगी।
– वर्ष 2022-23 में 3 हजार इकाई लगेंगी।
– वर्ष 2023-24 में 5 हजार इकाई लगेंगी।
– वर्ष 2024-25 में 2500 इकाई लगेंगी।
भारत सिंह कुशवाह, उद्यानिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की प्लानिंग तैयार हो चुकी है। 20 विकासखंडों में 200 यूनिट का काम प्रारंभिक चरण में शुरू हो चुका है। किसानों उद्यानिकी का उन्नत प्रशिक्षण देने के लिए उद्यानिकी विशेषज्ञों के माध्यम से तकनीकी प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। ग्वालियर-चंबल के किसानों के लिए नूराबाद में एक्सीलेंस सेंटर बनकर तैयार होगा, जबकि मुरार के बेहटा में आलू टिश्यू कल्चर लैब का काम शुरू हो चुका है। फूड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भी 36 किसानों को स्वीकृत मिली है।