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अस्पताल ने कर दिया था गंभीर बताकर रैफर,महिला ने चलती बस में दिया बच्ची को जन्म

locationग्वालियरPublished: Dec 28, 2017 01:15:42 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

जिस आदिवासी गर्भवती महिला को गंभीर बताकर जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया, उसी महिला की यात्री बस में नॉर्मल डिलीवरी हो गई।

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ग्वालियर/श्योपुर। बड़ौदा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से जिस आदिवासी गर्भवती महिला को गंभीर बताकर जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया, उसी महिला की यात्री बस में नॉर्मल डिलीवरी हो गई। यात्री बस में महिला ने लाड़ली को जन्म दिया। घटना बुधवार दोपहर को शहर के पुल दरवाजा क्षेत्र की है। बस स्टॉफ की सूचना पर आए जननी वाहन ने जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया। जहां दोनो की स्थिति खतरे से बाहर बताई गई।
दरअसल बड़ौदा निवासी प्रसूता गीता पत्नी मुन्ना आदिवासी को बुधवार की सुबह प्रसव पीड़ा होने पर उसका पति बड़ौदा अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां मेटरनिटी वार्ड स्टॉफ ने प्रसूता को देखने के बाद उसकी स्थिति गंभीर बताई और उसे बड़ौदा से रैफर करते हुए जननी वाहन से जिला अस्पताल भिजवा दिया।
पति बोला जिला अस्पताल में किसी ने नहीं ली सुध
प्रसूता के पति मुन्ना आदिवासी ने बताया कि बड़ौदा से रैफर किए जाने के बाद पत्नी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मगर जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती की पत्नी की किसी ने सुध नहीं ली। यह बात मुझे खुद पत्नी वार्ड से बाहर आकर बताई। इसके बाद हम दोनो वापस बड़ौदा जाने के लिए बारां जाने वाली बस में जाकर बैठ गए।
बस के पुल दरवाजा पहुंचते ही हो गई डिलीवरी
बड़ौदा जाने के लिए यात्री बस मे बैठी प्रसूता गीता आदिवासी की डिलीवरी बस के पुल दरवाजे पर पहुंचते ही हो गई। जहां उसने बस के अंदर बालिका को जन्म दिया। जिसकी सूचना बस में बैठे अन्य यात्रियों ने बस स्टॉफ को दी। बस स्टॉफ ने बस रोककर 108 पर फोन कर जननी वाहन को बुलवाया। जिसके जरिए जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल लाकर मेटरनिटी वार्ड में भर्ती करवाया।
“प्रसूता पहले से पांच बच्चों की मां थी और उसमे ब्लड भी केवल ७ ग्राम ही था। ऐसे में उसकी डिलीवरी कराने में थोड़ा खतरा था। इसलिए उसे जिला अस्पताल रैफर किया गया। मगर उसे वहां से भागकर नहीं आना चाहिए था।”
डॉ एसआर मीणा, बीएमओ,बड़ौदा

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