दरअसल बड़ौदा निवासी प्रसूता गीता पत्नी मुन्ना आदिवासी को बुधवार की सुबह प्रसव पीड़ा होने पर उसका पति बड़ौदा अस्पताल लेकर पहुंचा। जहां मेटरनिटी वार्ड स्टॉफ ने प्रसूता को देखने के बाद उसकी स्थिति गंभीर बताई और उसे बड़ौदा से रैफर करते हुए जननी वाहन से जिला अस्पताल भिजवा दिया।
पति बोला जिला अस्पताल में किसी ने नहीं ली सुध
प्रसूता के पति मुन्ना आदिवासी ने बताया कि बड़ौदा से रैफर किए जाने के बाद पत्नी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मगर जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती की पत्नी की किसी ने सुध नहीं ली। यह बात मुझे खुद पत्नी वार्ड से बाहर आकर बताई। इसके बाद हम दोनो वापस बड़ौदा जाने के लिए बारां जाने वाली बस में जाकर बैठ गए।
प्रसूता के पति मुन्ना आदिवासी ने बताया कि बड़ौदा से रैफर किए जाने के बाद पत्नी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। मगर जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में भर्ती की पत्नी की किसी ने सुध नहीं ली। यह बात मुझे खुद पत्नी वार्ड से बाहर आकर बताई। इसके बाद हम दोनो वापस बड़ौदा जाने के लिए बारां जाने वाली बस में जाकर बैठ गए।
बस के पुल दरवाजा पहुंचते ही हो गई डिलीवरी
बड़ौदा जाने के लिए यात्री बस मे बैठी प्रसूता गीता आदिवासी की डिलीवरी बस के पुल दरवाजे पर पहुंचते ही हो गई। जहां उसने बस के अंदर बालिका को जन्म दिया। जिसकी सूचना बस में बैठे अन्य यात्रियों ने बस स्टॉफ को दी। बस स्टॉफ ने बस रोककर 108 पर फोन कर जननी वाहन को बुलवाया। जिसके जरिए जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल लाकर मेटरनिटी वार्ड में भर्ती करवाया।
बड़ौदा जाने के लिए यात्री बस मे बैठी प्रसूता गीता आदिवासी की डिलीवरी बस के पुल दरवाजे पर पहुंचते ही हो गई। जहां उसने बस के अंदर बालिका को जन्म दिया। जिसकी सूचना बस में बैठे अन्य यात्रियों ने बस स्टॉफ को दी। बस स्टॉफ ने बस रोककर 108 पर फोन कर जननी वाहन को बुलवाया। जिसके जरिए जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल लाकर मेटरनिटी वार्ड में भर्ती करवाया।
“प्रसूता पहले से पांच बच्चों की मां थी और उसमे ब्लड भी केवल ७ ग्राम ही था। ऐसे में उसकी डिलीवरी कराने में थोड़ा खतरा था। इसलिए उसे जिला अस्पताल रैफर किया गया। मगर उसे वहां से भागकर नहीं आना चाहिए था।”
डॉ एसआर मीणा, बीएमओ,बड़ौदा
डॉ एसआर मीणा, बीएमओ,बड़ौदा