विशाखापट्टम से निजामुद्दीन जा रही समता एक्सप्रेस में महाराष्ट के एस 5 कोच में गोंदिया से निजामुद्दीन की यात्रा कर रही आयूष और उनकी पत्नी नैना रविवार को यात्रा कर रहे थी। झांसी के आसपास महिला को प्रसव पीड़ा हुई। महिला के पति ने अपने घर मोबाइल पर इसकी सूचना दी। इसके बाद आयुष के परिजन ने रेलवे बोर्ड के माध्यम से आरपीएफ तक इसकी सूचना पहुंचाई। टे्रन के आने से पहले ही रेलवे की डॉक्टर रंजना सिंह चौहान और आरपीएफ की एसआइ कृष्णकांता शर्मा महिला स्टाफ के साथ ट्रेन पर पहुंची।
टे्रन के आते ही महिला को ट्रेन से उतार लिया और महिला डॉक्टर ने चेकअप किया। इसके बाद डॉक्टर ने महिला को मुरार या जेएएच में इलाज के लिए रैफर करने की सलाह दी। महिला और उसके पति को आरपीएफ के जवान लेकर जेएएच पहुंचे और उसे जल्द से भर्ती कराया। महिला की हालत बिगडऩे पर डॉक्टरों ने ब्लड लाने को कहा। लेकिन जब ब्लड का इंतजाम नहीं हुआ तो साथ आए आरपीएफ के जवानों ने अपना ब्लड दिया। ब्लड चढऩे के बाद महिला की हालत में सुधार हुआ। लेकिन महिला के बच्चे को डॉक्टर नहीं बचा पाए।
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फरिश्ते बनकर आए दोनों जवान
जेएएच में भर्ती महिला और उसके पति को यहां कोई नहीं जानता था। जब महिला को खून देने की बात आई तो महिला का पति इधर-उधर परेशान होता । लेकिन आरपीएफ जवान हरिकिशन यादव और राजकुमार तोमर ने तुरंत एक-एक यूनिट खून देकर अपना फर्ज निभाया। महिला के पति आयूष ने पत्रिका से बातचीत करते हुए कहा कि दोनों ही जवान हमारे लिए तो फरिश्ते बनकर आए और हमें संकट से बाहर निकाला।
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महिलाओं ने दिखाई सतर्कता
रेलवे बोर्ड से मैसेज आने के बाद तुरंत महिला एसआइ कृष्णकांता शर्मा व उनकी टीम ने सतर्कता दिखाते हुए ट्रेन के आने के पहले ही प्लेटफॉर्म एक पर एंबुलेंस को बुला लिया था। जैसे ही ट्रेन आई वैसे ही व्हील चेयर से एंबुलेंस तक लाकर तुंरत जेएएच भिजवाया।