इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में भी लोग कर्मचारियों के काम बंद रखने से परेशान होते रहे। कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान किसी तरह का हंगामा नहीं हो इसलिए पुलिस भी सुबह से सर्तक रही। फूलबाग पर बुधवार माकपा ने आंदोलनकारी कर्मचारियों के साथ धरना दिया। इस दौरान ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर के बैनर तले रैली निकाल कर अपनी ताकत दिखाई।
केन्द्र सरकार की नीतियों को कर्मचारी विरोधी बताकर ८ जनवरी को सीटू, इंटक, एटक, सहित १० राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन के साथ बुधवार को आंगनवाडी, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, नगरपालिका निगम, कारखानों के मजदूरों और कर्मचारियों ने कामकाज बंद रखा।इन कर्मचारियों ने फूलबाग पर इक्टठे होकर समान कार्य, समान वेतन, न्यूनतम वेतन २१ हजार रु लागू कराने, विभाग के निजीकरण पर रोक, सरकारी विभागों में नए युवकों की भर्ती और पेंशन १० हजार रु लागू कराने को लेकर धरना दिया।
केन्द्र सरकार की नीतियों को कर्मचारी विरोधी बताकर ८ जनवरी को सीटू, इंटक, एटक, सहित १० राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन के साथ बुधवार को आंगनवाडी, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, नगरपालिका निगम, कारखानों के मजदूरों और कर्मचारियों ने कामकाज बंद रखा।इन कर्मचारियों ने फूलबाग पर इक्टठे होकर समान कार्य, समान वेतन, न्यूनतम वेतन २१ हजार रु लागू कराने, विभाग के निजीकरण पर रोक, सरकारी विभागों में नए युवकों की भर्ती और पेंशन १० हजार रु लागू कराने को लेकर धरना दिया।
इस दौरान कर्मचारी नेताओं ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाए कि मोदी सरकार बडे उद्योगपतियों को तो करोड़ों रु की सब्सिडी में छूट दे रही है। जबकि जो कर्मचारी दिन रात मेहनत कर रहे हैं उनकी नौकरियों पर संकट है। जब उनके पगार और पेंशन की बारी आती है तो सरकार हक मारने की कोशिश में है। सरकार १९२६ में बने श्रम कानूनों को समाप्त कर मजदूर कर्मचारियों को ठेका प्रथा मानदेय के कर्मचारियों रखकर शोषण करने पर आमादा है।