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भारत सरकार ने जनसंख्या के प्रति जागरूकता के कदम उठाए
भारत ने इस दिशा में सबसे पहले 1951 में कदम उठाए। उस साल भारत ने नेशनल फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम की शुरुआत की। विकासशील देशों में भारत फैमिली प्लानिंग चलाने वाला पहला देश बना। इस प्रोग्राम का मकसद था कि भारत की जनता आबादी और उससे होने वाले दुष्परिणामों को समझें। लोग खुद फैसला करें कि उन्हें कितने बच्चे चाहिए ताकि वो उन पर पूरा ध्यान दे सकें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें। इसमें सबसे बड़ी सफलता परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता से आई।
भारत सरकार ने जनसंख्या के प्रति जागरूकता के कदम उठाए
भारत ने इस दिशा में सबसे पहले 1951 में कदम उठाए। उस साल भारत ने नेशनल फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम की शुरुआत की। विकासशील देशों में भारत फैमिली प्लानिंग चलाने वाला पहला देश बना। इस प्रोग्राम का मकसद था कि भारत की जनता आबादी और उससे होने वाले दुष्परिणामों को समझें। लोग खुद फैसला करें कि उन्हें कितने बच्चे चाहिए ताकि वो उन पर पूरा ध्यान दे सकें और उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें। इसमें सबसे बड़ी सफलता परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता से आई।
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जिले की आबादी करीब 21 लाख पार पहुंच चुकी है। जबकि 2011 में जिले की जनसंख्या 16,65,697 थी, जिनमें पुरुष 8,89,027 व महिला 7,89,671 थी। वहीं 2019 में जिले की आबादी करीब 16 है। इनमें पुरुष 10,92,210 व महिला 09,30,731 हो गई यानी आठ साल में जिले की आबादी में पांच लाख लोगों की वृद्धि हुई।
जिले की आबादी करीब 21 लाख पार पहुंच चुकी है। जबकि 2011 में जिले की जनसंख्या 16,65,697 थी, जिनमें पुरुष 8,89,027 व महिला 7,89,671 थी। वहीं 2019 में जिले की आबादी करीब 16 है। इनमें पुरुष 10,92,210 व महिला 09,30,731 हो गई यानी आठ साल में जिले की आबादी में पांच लाख लोगों की वृद्धि हुई।