ऐसे हुआ पर्दाफाश
दरअसल जयारोग्य अस्पताल में भर्ती रामकुमार सिंह राजपूत नाम के शख्स को इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड की जरुरत थी। रामकुमार ने कार्ड के लिए आवेदन भी दिया था लकिन लिस्ट में नाम न आने के कारण उसका कार्ड नहीं बन पाया था। आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए प्रयासरत रामकुमार से एक दिन कृष्णा कुशवाहा नाम के युवक ने मुलाकात की और कहा कि वो उनका आयुष्मान कार्ड महज 20 मिनिट में बनाकर दे देगा लेकिन इसके लिए 5 हजार रुपए लगेंगे। रामकुमार को मामला कुछ गड़बड़ लगा तो उन्होंने अस्पताल में ही आयुष्मान योजना के प्रभारी से पूरी बात बताई। क्योंकि पहले भी इस तरह की शिकायत प्रभारी योगेन्द्र को मिल चुकी थीं लिहाजा उन्होंने इस बार आरोपी को रंगेहाथों पकड़ने का प्लान बनाया। आयुष्मान योजना प्रभारी योगेन्द्र परमार ने रामकुमार के जरिए कृष्णा को मिलने के लिए बुलाया और उसे धरदबोचा। अस्पताल में ही जब प्रबंधन से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों ने कृष्णा की तलाशी ली तो उसके पास से 34 आयुष्मान कार्ड मिले जो कि फर्जी प्रतीत हो रहे हैं।
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आरोपी से पूछताछ में जुटी पुलिस
आरोपी कृष्णा को अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस के हवाले कर दिया है। पुलिस को आरोपी के पास से एक थंब मशीन और लैपटॉप भी मिला है जिसकी मदद से वो फर्जी आयुष्मान कार्ड छापता था। बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़े में आरोपी का एक और साथी है जो फिलहाल फरार है। बता दें कि आयुष्मान कार्ड के तहत मरीज का पांच लाख रुपए तक का बीमा होता है और मरीज को 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज मिलता है। ऐसे में भोले भाले लोग आसानी से कृष्णा जैसे शातिर आरोपी के जाल में फंस जाते हैं और 5 हजार रुपए में कार्ड बनवाने को राजी हो जाते हैं और जब कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो उसके फर्जी होने का पता चलता है।
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