scriptलाल सोने की लूट आज तक नहीं बन सकी चुनावी मुद्दा | hamirpur lok sabha uttar pradesh ke baare mein jankari | Patrika News

लाल सोने की लूट आज तक नहीं बन सकी चुनावी मुद्दा

locationहमीरपुरPublished: Mar 15, 2019 05:24:37 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

राजनीतिक रूप से इस संसदीय सीट पर सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी चारों पार्टियां जीत दर्ज कर चुकी हैं।

hamirpur

लाल सोने की लूट आज तक नहीं बन सकी चुनावी मुद्दा

ग्राउंड रिपोर्ट
हमीरपुर संसदीय सीट
विनोद निगम
हमीरपुर. हमीरपुर संसदीय सीट उप्र की इकलौती ऐसी सीट है जो ढाई जिलों को मिलाकर बनी है। इसमें हमीरपुर, बांदा और महोबा जिले की विधानसभाएं शामिल हैं। यह चित्रकूट धाम-बांदा मंडल का हिस्सा है। इस संसदीय क्षेत्र सिंह महेश्वरी मंदिर, चौरादेवी मंदिर, मेहर बाबा मंदिर, गायत्री तपोभूमि, बांके बिहारी मंदिर, ब्रह्मानंद धाम, कल्पवृक्ष और निरंकारी आश्रम जैसे पर्यटक स्थल हैं। लेकिन, हमीरपुर अपनी बंजर जमीन और रेत-मौरंग बालू के लिए प्रसिद्ध है। जिले में खनन माफियाओं के इशारे पर राजनीति संचालित होती है। अप्रत्यक्ष रूप से यह यहां के चुनाव को प्रभावित करते रहे हैं। बालू और मोरंग यानी लाल सोना की लूट से क्षेत्र के किसान तबाह हो रहे हैं। पोकलैंड और बड़े-बड़े बुलडोजर नदियों का सीना छलनी कर रहे रहे हैं लेकिन किसी भी चुनाव में यह यहां का मुद्दा नहीं बन सका।
सभी दलों को मौका
यमुना और बेतवा के बीच बसे इस संसदीय क्षेत्र में जो समस्याएं पांच साल पहले थीं, वह आज भी बरकरार हैं। राजनीतिक रूप से इस संसदीय सीट पर सपा, बसपा, कांग्रेस और बीजेपी चारों पार्टियां जीत दर्ज कर चुकी हैं। जनता दल और लोकदल ने भी यहां से जीत का स्वाद चख चुकी हैं। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी और तिंदवारी विधानसभा शामिल हैं। 2014 के चुनाव में यहां भाजपा के कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने सपा के बिशंभर प्रसाद निषाद को 2,66,788 वोटों से हराया था। 1991 में विश्वनाथ शर्मा ने भाजपा को हमीरपुर में पहली जीत दिलाई थी। इसके बाद बीजेपी ने यहां लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 1999 में बसपा प्रत्याशी अशोक चंदेल जीते। 2004 में सपा और 2009 में बसपा जीती थी।
सियासत के जमीन पर भ्रष्टाचार की फसल
बालू खदान से अकेले बुन्देलखंड की रायल्टी करीब 400 करोड़ रुपए सालाना है। इसमें बहुत बड़ा हिस्सा हमीरपुर का होता है। यही वजह है किसरकारें चाहे जिसकी रही हों बुंदेलखंड में बालू माफियाओं के हाथ में ही डोर रहती है। जिले की राजनीति में अप्रत्यक्ष रूप से कभी नसीमुद्दीन सिद्दीकी तो कभी बाबू सिंह कुशवाहा भी हावी रहे हैं। यहां की बालू, मौरंग गिट्टी व बजरी आदि उपखनिजों पर कब्जे के लिए राजनीतिक जंग होती है। पूरे संसदीय क्षेत्र में बालू खनन माफियाओं ने यहां की नदियों का सीना लिफ्टर, पोकलैण्ड मशीनों से छलनी कर दिया है। अभी गर्मी शुरू नहीं हुई है लेकिन हमीरपुर का अधिकांश इलाका जल संकट से जूझ रहा है। यहां किसान बेहाल हैं। नदियों का सीना चीरकर मनमाने ढंग से किया जा रहा अवैध खनन नदियों को कम किसानों को ज्यादा मुफलिस बना रहा है। लेकिन किसानों की यह समस्या कभी यहां चुनावी मुद्दा नही बन पाती है। संसदीय क्षेत्र में कम से कम दो सैकड़ा बालू और मोरंग खादानें हैं।
संसदीय क्षेत्र पर एक नजर
कुल मतदाता- 789090
महिला मतदाता-430229
पुरुष मतदाता- 356848
थर्ड जेंडर -14
बूथ-927
पेालिंग बूथ- 512

इनके नामों की चर्चा
हमीरपुर सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद कुंवर पुष्पेंद्र चंदेल के अलावा केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति प्रमुख दावेदार हैं। सपा-बसपा गठबंधन में सीट बसपा के पास है। गठबंधन से संजय साहू का टिकट तय माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस से अवध नारयण मिश्र उम्मीदवार हो सकते हैं।
क्या कहते हैं जन प्रतिनिधि
भाजपा पिछले चुनाव से ज्यादा वोटों से इस बार चुनाव जीतेगी।
सन्त विलात शिवहरे, भाजपा अध्यक्ष
भाजपा ने कोई कार्य नहीं किया है। इस बार गठबंधन का उम्मीदवार जीतेगा।
राघवेंद्र आहिरवार,बसपा जिलाध्यक्ष
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो