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सरकारी योजनाओं के लाभ से वंछित इस महिला ने इस तरह सुधारी आर्थिक स्थिति, बच्चों को मिल रही उच्च शिक्षा

locationहमीरपुरPublished: Jul 23, 2019 05:08:41 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– दो जून की रोटी कमाने को मजबूर सरीफन ने मेहमत से बदली आर्थिक स्थिति
– सरकारी योजनाओं का भी नहीं मिला लाभ
– एग्रो जंक्शन तकनीक सीख कर किया किया परिवार का भरण पोषण

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सरकारी योजनाओं के लाभ से वंछित इस महिला ने इस तरह सुधारी आर्थिक स्थिति, बच्चों को मिल रही उच्च शिक्षा

हमीरपुर. बुंदेलखंड की तस्वीर बदलने के लिए सियासी अलम्बरदार लाख दावे करें लेकिन हमीरपुर का एक परिवार उनके इस दावे की कलई खोल देता है। सरकारी योजनाओं के लाभ के नाम पर इन्हें सिर्फ अभी तक झुनझुना ही मिला है। दो जून की रोटी जुटाने के लिए मजदूरी ही एक मात्र जरिया है लेकिन अपने परिवार का अकेले भरण-पोषण करने वाली सरीफन (38) ने हालातों के सामने कभी हार नहीं मानी।
दाने दाने को मोहताज परिवार

सरीफन की शादी 1999 में शब्बीर खेड़ाशिलॉजित से हुई थी। घर की माली हालत ठीक नहीं थी। जमीन भी गिरवी रखी थी। उनका परिवार दाने दाने को मोहताज था। शुरू में सरीफन ने ईंट भट्टे का काम किया लेकिन उतना काफी नहीं था। सरीफन ने बताया कि उनके पति ने गुजरात में मरीन कंपनी में चार हजार रुपये कमाना शुरू किया, तो इधर सरीफन ने भी काम करना शुरू किया। सरीफन और शब्बीर के चार बच्चे हैं। दो बेटियां शबनम (18), शाहीन (14) और दो बेटे तसलीम (15) और साहिल (13)। बच्चे बढ़े हो रहे थे और उनकी पढ़ाई की चिंता भी माता पिता को सताने लगी थी। इसके लिए उन्होंने ज्यादा काम करना शुरू किया। छह वर्षों से खुले आसमान में अपने बच्चों के साथ खेतो में टप्पर डालकर रहती हैं। बारिश के मौसम में उनका कच्चा मकान ढह गया, जिससे अब वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। सरीफन कहती हैं कि उन्होंने सरकारी योजनाओं के नाम जरूर सुने हैं लेकिन पात्र लोगों तक कभी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाता।
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बच्चों की शिक्षा के साथ नहीं किया समझौता

सरीफन का कहना है कि वह मेहनत मजदूरी करती हैं लेकिन कभी कभी मजदूरी नही मिलती है। उन्होंने एक गांव से दूसरे गांव जाकर भी काम किया। बच्चों के लिए प्राइवेट कंपनी, ईंट भट्टे सभी पर काम किया। खाली समय में खेती का भी काम किया लेकिन इन सबसे आर्थिक स्थिति जरा सी भी नहीं बदली। सरीफन ने बताया कि उनके पति गुजरात में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं और छह महीने में घर आते हैं। घर में बच्चों के साथ-साथ बूढ़े सास ससुर भी हैं, जिनकी जिम्मेदारी सरीफन के ऊपर है। सरीफन ने बताया कि उसने एग्रो जंक्शन की नई तकनीक सिखी और बीजों की ज्यादा जानकारी भी ली। इससे उसे काफी फायदा हुआ। नई तकनीक सीख कर उसपर काम करने से सरीफन की आय तो बढ़ी ही साथ ही उनके बच्चों को भी अच्छी शिक्षा ग्रहण हुई।
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