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कात्यायनी देवी की करें पूजा अर्चना, होगी आज्ञ चक्र की प्राप्ति, मन को मिलेगी शांन्ति

locationहमीरपुरPublished: Oct 16, 2018 05:07:06 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

नवरात्रों के सातवें दिन श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंच कर देवी कात्यायनी की विधिवत पूर्जा अर्चना कर उनसे सुख सौभाग्य और सम्पत्ति की कामना की।

Navratri 2018 katyayani devi puja in up

कात्यायनी देवी की करें पूजा अर्चना, होगी आज्ञ चक्र की प्राप्ति, मन को मिलेगी शांन्ति

हमीरपुर. नवरात्रों के सातवें दिन श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंच कर देवी कात्यायनी की विधिवत पूर्जा अर्चना कर उनसे सुख सौभाग्य और सम्पत्ति की कामना की। बढ़े भोर से ही श्रद्धालू महिलाओं ने माता के मंदिरों में पहुंच कर उन्हें जल चढ़ाया एवं विधि विधान से पूजा अर्चना की। आदि शक्ति माता दुर्गा को पुष्प अर्पित कर अपने परिवार के लिए पुष्प की तरह ही खिले और मंहकते जीवन का आशीर्वाद मांगा। महिलाओं ने मंदिरों में देवी प्रतिमा पर चुनरीं भी चढ़ाईं।

माता कात्यायनी की पूजा अर्चना

नवरात्री का सातवां दिन अर्थात माता कात्यायनी की पूजा अर्चना का दिन। आदि शक्ति दुर्गा जी के षष्ठम स्वरूप का नाम है मां कात्यायनी। दिव्य रूपा कात्यायनी देवी का शरीर सोने के समान तेजोमय है। सिंह पर सवार मां कात्यायनी चार भुजा धारी हैं। माता के एक हाथ में राक्षसों के रक्त की प्यासी तलवार तो दूसरे हाथ में उनका प्रिय पुष्प कमल है। जबकि अन्य दो हाथ अपने भक्तों के लिये वर एवं अभय मुद्रा में हैं।

मार्कण्डये पुराण के अनुसार जब राक्षसराज महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया तो देवताओं ने आदिशक्ति माता रानी को गुहार लगाई। उधर महर्षि कात्यान मां की कृपा के लिए तपस्या कर रहे थे। देवताओं के कार्य को सिद्ध करने के लिए देवी मां ने महर्षि कात्यान की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। चूंकी महर्षि कात्यान ने सर्वप्रथम अपनी पुत्री रूपी चतुर्भुजी देवी का पूजन किया इसी कारण माता का नाम कात्यायिनी पड़ा।

कात्यायिनी को कहते हैं मन की शक्ति

मान्यता है कि यदि कोई श्रद्धा भाव से नवरात्री के छठे व सातवें दिन माता कात्यायनी की पूजा आराधना करता है तो उसे आज्ञ चक्र की प्राप्ति होती हे। वह भूलोक में रहते हुए भी अलौकिक तेज से युक्त होता है और उसके सारे रोग, शोक, संताप, भय हमेशा क लिये नष्ट हो जाते हैं। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिये रूक्मिणी ने इनकी आराधना की थी जिस कारण मां कात्यायिनी को मन की शक्ति भी कहा जाता है।

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