महिला अपराधों के प्रति उदासीन पुलिस प्रदेश सरकार महिलाओं व छात्राओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने में काफी सजग दिखाई दे रही है। राह चलते छात्राओं आदि से होने वाली छेड़छाड़ व अभद्रता को रोकने के लिये सरकार द्वारा एंटी रोमियो स्क्वायड तक बना दी गई। लेकिन कोतवाली पुलिस इसके ठीक विपरीत महिला अपराधों पर उदासीनता का रूख अपनाये हुए है। क्राइम कंट्रोल दिखाकर अधिकारियों से अपनी पीठ थपथपवाने के चक्कर में कोतवाली पुलिस आने वाली पीड़िताओं को महीनों चक्कर कटवाती है। अव्वल तो अपनी शिकायत लेकर आने वाली उत्पीड़न की शिकार महिला अथवा किशोरी को ही झूठा कह दिया जाता है। लेकिन अगर फिर भी कोई पीड़िता अपनी रिपोर्ट लिखाने के लिये अड़ जाती है तो कोतवाली पुलिस उसे झूठा साबित करके ही दम लेती है। पहले से ही उत्पीड़न की शिकार अधिकांश पीड़िताएं निराश होकर चुपचाप अपने घर बैठ जातीं हैं। जबकि कुछ हिम्मत न हारते हुए उच्चाधिकारियों के यहां पर भागदौड़ कर किसी तरह अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने में कामयाब भी हो जातीं हैं।
2 महीने बाद दर्ज हुआ मामला ऐसा ही एक छेड़खानी का मामला उच्चाधिकारियों के आदेश पर 2 माह बाद दर्ज हो सका। कोतवाली क्षेत्र के ग्राम कुर्रा निवासी महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि बीते 6 अक्टूबर को उसकी पुत्री के साथ कोचिंग से लौटते वक्त गांव के ही हरीशचंद्र ने रास्ता रोक कर छेड़छाड़ की थी। ग्रामीणों द्वारा ललकारने पर आरोपी भाग निकला था। जब किशोरी घर पहुंची तो आरोपी भी पीछे से आ गया और उसके साथ मारपीट कर दी। कोतवाली में तहरीर देने पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिर पीड़िता द्वारा पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई गई। पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाली पुलिस को मुकदमा पंजीक्रत करने के आदेश दिये। तब कहीं जाकर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज किया।