इनमें से कई उच्च जलाशयों पर गिरने की आशंका जताई गई थी। २४ घंटे पेयजल सप्लाई देने का दावा करते हुए उच्च जलाशय की उपयोगिता नहीं के बराबर होने पर भी यह निर्णय लिया गया था। हनुमानगढ़ का सबसे बड़ा २८१ करोड़ का प्रोजेक्ट पूरी तरह डूब चुका है। उल्लेखनीय है कि आरयूआईडीपी ने वार्ड वाइज पेयजल पाइप लाइन बिछाने के लिए पांच-पांच वार्डों के कलस्टर बनाए हुए हैं। इसके चलते ६० वार्डों में ५२२ किलोमीटर में पेयजल पाइप लाइन डाली जानी थी। इन लाइनों को बिछाने के बाद चालीस हजार पेयजल कनेक्शन भी होने थे। ५२२ किलोमीटर की पाइप लाइन में नहरी पानी की सप्लाई २१ किलोमीटर की मुख्य पाइप लाइन से करने की योजना थी।
शहर को नुकसान
२८१ करोड़ की राशि में से तीसरे चरण के सीवरेज कार्य को भी पूरा किया जाना था। शहर में अभी तक ६६ करोड़ की लागत से किए जा रहे दूसरे चरण की सीवरेज लाइन आरयूआईडीपी ११ वर्षों से नहीं बिछा पाई और यही हाल इसी प्रोजेक्ट का भी हो गया। प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले अधिकारियों ने दावा किया था कि पानी सप्लाई प्रेशर इतना अधिक होगा कि बीस से फीट की ऊंचाई पर टंकी में पानी डालने के लिए मोटर चलाने की आवश्यकता नहीं होगी।
मामला कोर्ट में
संबंधित निर्माण कंपनी व आरयूआईडीपी अधिकारियों के बीच विवाद होने पर मामला कोर्ट में पहुंचे हुए दो वर्ष से अधिक बीत चुके हैं। आरयूआईडीपी की ओर से ठोस कार्यवाही करने की बजाए, एक साल पहले आरयूआईडीपी जिले में कार्यालय को बंद कर यहां से जा
चुकी है।