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281 करोड़ का पेयजल प्रोजेक्ट अधर में

locationहनुमानगढ़Published: Dec 31, 2021 01:49:04 pm

Submitted by:

Manoj

– हनुमानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पुराने उच्च जलाश्य को हटाने की थी योजना…- हटाए जाने थे उच्च जलाश्य, प्रोजेक्ट रूकने से एक भी नहीं हटा पाए

281 करोड़ का पेयजल प्रोजेक्ट अधर में

281 करोड़ का पेयजल प्रोजेक्ट अधर में

हनुमानगढ़. विधानसभा क्षेत्र में उच्च जलाशय हटाने की योजना बीच में अटकी पड़ी है। सर्वे के दौरान १४ उच्च जलाशयों में से केवल ५ को रखा जाना था। शेष उच्च जलाश्यों को हटाया जाना था। २८१ करोड़ का प्रोजेक्ट ठप होने के साथ-साथ यह योजना भी अधर में रह गई। दरअसल प्रोजेक्ट पूरा होने पर घरों में नहरी पानी की सप्लाई होनी थी। वर्तमान में ट्यूबवैल व नहरी दोनों को मिलाकर उच्च जलाशय में एकत्र कर सप्लाई की जाती है। शहर में १४ के करीब उच्च जलाशय हैं, कार्य पूरा होने पर पांच उच्च जलाशयों को ही रखा जाना था। अन्य टंकियां भण्डारण के उपयोग भी नहीं लेने की योजना था।

इनमें से कई उच्च जलाशयों पर गिरने की आशंका जताई गई थी। २४ घंटे पेयजल सप्लाई देने का दावा करते हुए उच्च जलाशय की उपयोगिता नहीं के बराबर होने पर भी यह निर्णय लिया गया था। हनुमानगढ़ का सबसे बड़ा २८१ करोड़ का प्रोजेक्ट पूरी तरह डूब चुका है। उल्लेखनीय है कि आरयूआईडीपी ने वार्ड वाइज पेयजल पाइप लाइन बिछाने के लिए पांच-पांच वार्डों के कलस्टर बनाए हुए हैं। इसके चलते ६० वार्डों में ५२२ किलोमीटर में पेयजल पाइप लाइन डाली जानी थी। इन लाइनों को बिछाने के बाद चालीस हजार पेयजल कनेक्शन भी होने थे। ५२२ किलोमीटर की पाइप लाइन में नहरी पानी की सप्लाई २१ किलोमीटर की मुख्य पाइप लाइन से करने की योजना थी।

शहर को नुकसान
२८१ करोड़ की राशि में से तीसरे चरण के सीवरेज कार्य को भी पूरा किया जाना था। शहर में अभी तक ६६ करोड़ की लागत से किए जा रहे दूसरे चरण की सीवरेज लाइन आरयूआईडीपी ११ वर्षों से नहीं बिछा पाई और यही हाल इसी प्रोजेक्ट का भी हो गया। प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले अधिकारियों ने दावा किया था कि पानी सप्लाई प्रेशर इतना अधिक होगा कि बीस से फीट की ऊंचाई पर टंकी में पानी डालने के लिए मोटर चलाने की आवश्यकता नहीं होगी।

मामला कोर्ट में
संबंधित निर्माण कंपनी व आरयूआईडीपी अधिकारियों के बीच विवाद होने पर मामला कोर्ट में पहुंचे हुए दो वर्ष से अधिक बीत चुके हैं। आरयूआईडीपी की ओर से ठोस कार्यवाही करने की बजाए, एक साल पहले आरयूआईडीपी जिले में कार्यालय को बंद कर यहां से जा
चुकी है।
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