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35 दिन बाद राज्य सरकार ने जिला अस्पताल को दिया एमएस गायनी

locationहनुमानगढ़Published: Mar 17, 2020 11:43:23 am

Submitted by:

Anurag thareja

35 दिन बाद राज्य सरकार ने जिला अस्पताल को दिया एमएस गायनी – इससे पूर्व भी लगाया था एमएस गायनी को, पांच दिन बाद कर दिया था आदेश निरस्त

35 दिन बाद राज्य सरकार ने जिला अस्पताल को दिया एमएस गायनी

35 दिन बाद राज्य सरकार ने जिला अस्पताल को दिया एमएस गायनी

हनुमानगढ़. राज्य सरकार ने 35 दिन में जिला अस्पताल में एक और एमएस गायनी को लगाने के आदेश जारी किए हैं। चिकित्सा विभाग के शासन उपसचिव संजीव कुमार ने डॉ. महावीर कुमार जैन कनिष्ठ विशेषज्ञ (गायनी) को अजमेर की केकड़ी में लगाया था। इन आदेशों में संशोधन कर हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में लगाया है। इससे पूर्व छह मार्च को शासन उपसचिव संजीव कुमार ने नोहर सीएचसी से डॉ. संगीता को हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में लगाया था। लेकिन 11 मार्च को ही इन आदेशों को निरस्त भी कर दिया था। करीब 35 दिन में सरकार ने दूसरी बार गायनी को जिला अस्पताल में लगाया है। लेकिन पदभार ग्रहण करने से पहले डॉ. संगीता के आदेश को निरस्त कर दिया गया था। इसी वर्ष जनवरी 2020 में स्वास्थ्य विभाग ने श्रीगंगानगर जिला अस्पताल से प्रतिनियुक्ति पर हनुमानगढ़ के जिला अस्पताल में डॉ. मुकेश स्वामी को भी लगाया था। श्रीगंगानगर के अस्पताल प्रशासन से आदेश मिलते ही चिकित्सक को रिलीव भी कर दिया था। लेकिन हनुमानगढ़ जिला अस्पताल में कार्यभार नहीं संभाला। कुछ दिन बाद डॉ. स्वामी के प्रतिनियुक्ति के आदेश निरस्त कर दिए गए और इन्हें पुन: श्रीगंगानगर के जिला अस्पताल में कार्यभार संभाल लिया।
35 दिन से एक भी नहीं हुई सर्जरी
जिला अस्पताल में 35 दिन से एक भी सर्जरी नहीं हुई। गर्भवती की सर्जरी के लिए परिजनों को निजी अस्पताल ले जाना पड़ा रहा है। जहां सर्जरी के लिए 30 से 35 हजार रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल में एमएस गायनी नहीं होने से सर्जरी की व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं। यह हाल उस अस्पताल के जो कि लक्ष्य योजना के तहत प्रदेश में अव्वल आ चुका है। इससे पूर्व कायाकल्प योजना में द्वितीय व प्रथम स्थान भी हासिल कर प्रदेश स्तर पर सम्मानित भी हो चुका है।

35 दिन तक किया प्रतिनियुक्ति पर कार्य
नोहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से छह नवंबर 2019 को स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक ने डॉ. संगीता को प्रतिनियुक्ति पर जिला अस्पताल में लगाया था। डॉ. संगीता ने प्रतिनियुक्ति पर करीब 35 दिन तक जिला अस्पताल में कार्य किया। वो भी तब जब उस समय एमसीएच यूनिट में एक ही एमएस गायनी डॉ. सीमा खीचड़ ड्यूटी पर थी। डॉ. संगीता के प्रतिनियुक्ति आदेश से पहले अतिरिक्त कार्यभार होने के कारण निजी अस्पताल से एमएस गायनी को बुलाकर प्रसव करवाए जाते थे। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने एमसीएच यूनिट में अतिरिक्त कार्यभार होने के कारण एक और एमएस गायनी लगाने की बजाए दस फरवरी 2020 को डॉ. संगीता के प्रतिनियुक्ति आदेश निरस्त कर दिए थे। इससे पूर्व चार फरवरी को डॉ. सीमा खीचड़ मातृत्व अवकाश पर चली गई थी। तब से लेकर अब तक अस्पताल में एमएस गायनी नहीं होने से व्यवस्थाएं ठप पड़ी हैं।
68 दिन तक एक ही थी चिकित्सक
जिला अस्पताल में 29 अगस्त 2019 से छह नवंबर 2019 तक संविदा पर कार्यरत डॉ. सीमा खीचड़ ने 68 दिन तक सजेरियन किए। हालांकि इनके अवकाश के दिन अस्पताल प्रबंधन निजी अस्पताल के एमएस गायनी की सेवाएं लेता था। इसकी एवज में तीन हजार रुपए प्रति प्रसव के हिसाब से भुगतान भी किया गया।
एक माह में 180, अब शून्य
जिला अस्पताल की एमसीएच यूनिट में एक माह में 180 गर्भवती की सर्जरी करने का रिकार्ड दर्ज है। लेकिन एमसएस गायनी नहीं होने के कारण गर्भवती की सर्जरी नहीं की जा रही है। ऐसे में गर्भवती को सर्जरी के लिए निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है। इस पर हजारों रूपए खर्च हो रहे हैं। जिला अस्पताल के यह हाल उस प्रदेश की सरकार के अधीन हो रहे हैं जो कि जिसने प्रदेश में निशुल्क दवा योजना व जांच योजना लाकर देश में वाहवाही बटौरी थी।
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