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बकाया आबियाना वसूली के लिए रोके नहरों के मोघेे

locationहनुमानगढ़Published: May 12, 2019 11:58:02 am

Submitted by:

Purushottam Jha

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बकाया आबियाना वसूली के लिए रोके नहरों के मोघेे


– प्रभावित क्षेत्र में आंदोलन की सुगबुगाहट
…. प्लस फोटो
नोहर. जल संसाधन विभाग के आबियाना वसूली के लिए शुरू किए गए प्रयासों से किसानों की फसल चौपट होने की आशंका पैदा हो गई है। क्योंकि बकाया सिंचाई शुल्क वसूली को लेकर विभाग ने साहवा लिफ्ट कैनाल की वितरिकाओं से जुड़े मोघे बंद कर दिए हैं। इसके चलते फसल सिंचाई के अभाव में नष्ट होने की कगार पर है। जानकारी के अनुसार जल संसाधन विभाग ने साहवा लिफ्ट कैनाल से जुड़े मोघे बंद कर दिए हैं। क्योंकि इन मोघों से सिंचाई करने वाले काश्तकारों का एक दशक से भी अधिक समय से सिंचाई शुल्क बकाया है।
विभागीय अधिकारियों की माने तो इस संबंध में विभिन्न चकों व गांवों में शिविर लगाकर संबंधित काश्तकारों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। लेकिन किसानों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इस कारण मजबूरन मोघे रोकने का कदम उठाना पड़ रहा है। उधर, मोघे बंद होने के बाद इस पर राजनीति शुरू हो गई है। भाजपाई जहां इसे विधायक की नाकामी बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विधायक अमित चाचाण का कहना है कि काश्तकारों की समस्या के निराकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व विधायक अभिषेक मटोरिया का कहना है कि विभागीय अधिकारी समय समय पर आबियाना वसूल लेते तो किसानों पर इतना भार नहीं बढ़ता। सरकार को आबियाना माफ कर देना चाहिए। मजेदार बात यह है कि जल संसाधन विभाग ने कुछ वर्ष पहले जब आबियाना वसूली का प्रयास किया तो तत्कालीन विधायक ने ही जल संसाधन मंत्री से बात कर राजनीतिक दबाव से वसूली को स्थगित करवा दिया। अब पुन: वसूली का प्रयास शुरू कर दिया गया है।
क्या है बकाया का मामला
जल संसाधन विभाग नीमला वितरिका, खुईंया वितरिका, सुरजनसर माइनर, लेघा वितरिका, देवासर माइनर, सिरंगसर माइनर, राणीसर माइनर, जबरासर माइनर, जोखासर माइनर, मायला माइनर, प्रेमपुरा माइनर में भाईचारा बाराबंदी के अनुसार साहवा लिफ्ट कैनाल से सिंचाई के लिए पानी दे रहा था। इसके लिए विभाग ने किसी तरह की पर्ची भी जारी नहीं की। इस कारण किसानों ने वर्ष २००८ के बाद से आबियाना जमा कराना बंद कर दिया।(पसं.)
किसानों ने की अनदेखी
आबियाना वसूली के लिए गांव व चकों में शिविर लगाकर संबंधित काश्तकारोंं को नोटिस जारी किए गए थे ताकि वे समय पर बकाया शुल्क जमा करवा सके। लेकिन किसानों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इस कारण विभाग को मजबूरन मोघे बंद करने पड़े। – अमीचंद साव, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग नोहर।
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