निशाने पर नए ठेकेदार
सूत्रों के अनुसार प्रथमदृष्टया जांच में सामने आया है कि 29 मदिरा लाइसेंसधारियों ने जो 99 लाख 58 हजार 750 रुपए के बैंक की मुहर लगे हुए 45 चालान आबकारी विभाग को जमा करवाकर जो मदिरा का उठाव किया था। इन चालानों में अंकित राशि विभाग के खाते में जमा ही नहीं हुई और चालान पर लगी मुहर को बैंक फर्जी और जाली बता चुका है। इसके आलावा चालान की राशि जमा होने से भी बैंक इंकार कर चुका है। इसकी पुष्टि 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी की ओर से करवाई गई जांच और भेजे गए नोटिस से हो चुकी है। हैरत की बात है कि जिन 29 लाइसेंसधारियों के 45 चालानों की जांच की जा रही है वह सभी नए ठेकेदार हैं।
आबकारी निरीक्षक भी आए जांच के दायरे में
सूत्रों के अनुसार नए ठेकेदार ने बैंक में सीधे तौर पर राशि जमा करवाने की बजाए विभाग के कर्मचारी को जमा करवाते रहे। इसी कर्मचारी की ओर से इन ठेेकेदारों को चालान दिया जाता था। इसके बाद इन चालान के आधार पर यह कर्मचारी परमिट तैयार गोदाम से मदिरा उठाने के लिए आबकारी निरीक्षक की रिपोर्ट करवाकर ठेेकेदार को दी जाती है। इसी परमिट के आधार पर गोदाम से मदिरा उठाई जा रही है। इसके चलते जांच के दायरे में रावतसर, नोहर व भादरा के आबकारी निरीक्षकों को भी लिया गया है।
मामला तूल नहीं पकड़ ले, इसके लिए कुछ दिन पहले भादरा के एक होटल में 29 मदिरा लाइसेंसधारियों को बुलाकर बैठक ली गई। क्योंकि इन लाइसेंसधारियों की ओर जो चालान जमा करवाए गए थे, वह फर्जी पाए गए हैं। इन ठेकेदारों पर मुकदमा दर्ज व 26 प्रतिशत जमा धरोहर राशि जब्त करने की चेतावनी दी गई थी। सूत्रों के अनुसार सभी एंगलों से जांच होने के डर से इन ठेकादारों
ने आनन फानन में दोबारा राशि जमा करवाई है। इसके चलते विभाग के दस्तावेजों में 90 प्रतिशत रिकवरी होना भी दर्ज कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की मदिरा की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया लेकिन राशि खाते में जमा नहीं हुई। इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात मदिरा दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया। जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है। इसके अलावा नोहर की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा बोल रही है। इस तमाम प्रकरण की जांच की जा रही है।
विभाग की ओर से आदेश मिले हैं, इसके तहत जांच होने तक कनिष्ठ सहायक इंद्रजीत सिंह को निलंबित किया गया है और उदयपुर मुख्यालय व बीकानेर कार्यालय के लेखाधिकारियों से जांच की जा रही है।
संजीव कुमार पटावरी, जिला आबकारी अधिकारी, हनुमानगढ़