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आरोपित कर्मचारी निलंबित, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने में जुटी उदयपुर की टीम

locationहनुमानगढ़Published: Oct 07, 2019 11:50:47 am

Submitted by:

Anurag thareja

आरोपित कर्मचारी निलंबित, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने में जुटी उदयपुर की टीम – आबकारी विभाग के मुख्यालय से जांच के लिए भेजे कई लेखाधिकारी
हनुमानगढ़. गबन के मामले की जांच को लेकर आबकारी आयुक्त ने आदेश जारी कर कनिष्ठ सहायक को निलंबित कर दिया है। इधर, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने के लिए टाउन स्थित जिला आबकारी कार्यालय में उदयपुर मुख्यालय की टीम जुटी हुई है। रविवार को दिनभर टीम के सदस्य कर्मचारियों से पूरा डेटा मंगवाकर जांच करने में लगे रहे।

आरोपित कर्मचारी निलंबित, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने में जुटी उदयपुर की टीम

आरोपित कर्मचारी निलंबित, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने में जुटी उदयपुर की टीम


गबन का आरोपित कर्मचारी निलंबित, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने में जुटी उदयपुर की टीम
– आबकारी विभाग के मुख्यालय से जांच के लिए भेजे कई लेखाधिकारी

हनुमानगढ़. गबन के मामले की जांच को लेकर आबकारी आयुक्त ने आदेश जारी कर कनिष्ठ सहायक को निलंबित कर दिया है। इधर, अब एक करोड़ के दस्तावेज खंगालने के लिए टाउन स्थित जिला आबकारी कार्यालय में उदयपुर मुख्यालय की टीम जुटी हुई है। रविवार को दिनभर टीम के सदस्य कर्मचारियों से पूरा डेटा मंगवाकर जांच करने में लगे रहे। इसके अलावा जिला आबकारी अधिकारी संजीव कुमार पटावरी व तत्तकालीन जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू के अलावा सभी तहसीलों के आबकारी निरीक्षक भी मौजूद रहे। जानकारी के अनुसार वित्तीय सलाहकार गिरीश कछारा ने जांच के लिए कई वरिष्ठ अधिकारियों को उदयपुर मुख्यालय से भेजा गया है। इसमें लेखाधिकारी मुख्यालय मोहम्मद कुरबान अली, सहायक लेखाधिकारी मुख्यालय राजेश सोलंकी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी मुख्यालय अनिल जैन, सहायक लेखाधिकारी अतिरिक्त आयुक्त जोन बीकानेर कार्यालय श्रवण कुमार हटीला, कनिष्ठ लेखाकार अतिरिक्त आयुक्त बीकानेर जोन कार्यालय धीरेंद्र सिंह आदि शामिल है। इधर, शनिवार को अतिरिक्त आयुक्त बीकानेर ओपी पंवार की जांच के बाद आबकारी आयुक्त विष्णु चरण मल्लिक ने देर शाम को आदेश जारी कर कनिष्ठ सहायक इंद्रजीत सिंह को जांच होने तक निलबिंत कर दिया गया। जांच होने तक सेवाएं मुख्यालय में देनी होगी। गौरतलब है कि जिला आबकारी कार्यालय में मदिरा के नाम पर एक बैंक की फर्जी मुहर लगाकर करीब एक करोड़ के घोटाला होने के मामले की जांच की जा रही है। मामला बड़ा होने के कारण इस प्रकरण पर बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारी नजर रखे हुए हैं। इसके चलते शनिवार को अवकाश के दिन बीकानेर की विभागीय टीम हनुमानगढ़ कार्यालय में पूरे जिले के दस्तावेज खंगाल चुकी है। दरअसल यह गबन का खेल पांच अप्रेल 2019 से चल रहा था। इसकी भनक उस वक्त लगी जब एक राष्ट्रीय स्तर के बैंक ने चालान पर लगी खुद की मुहर को फर्जी और जाली बताया। इसके बाद तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू ने इस पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए बीकानेर संभाग व उदयपुर मुख्यालय के अधिकारियों को पूरे मामले के बारे में अवगत कराया और संबंधित कर्मचारी को नोटिस जारी किया था।

निशाने पर नए ठेकेदार
सूत्रों के अनुसार प्रथमदृष्टया जांच में सामने आया है कि 29 मदिरा लाइसेंसधारियों ने जो 99 लाख 58 हजार 750 रुपए के बैंक की मुहर लगे हुए 45 चालान आबकारी विभाग को जमा करवाकर जो मदिरा का उठाव किया था। इन चालानों में अंकित राशि विभाग के खाते में जमा ही नहीं हुई और चालान पर लगी मुहर को बैंक फर्जी और जाली बता चुका है। इसके आलावा चालान की राशि जमा होने से भी बैंक इंकार कर चुका है। इसकी पुष्टि 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी की ओर से करवाई गई जांच और भेजे गए नोटिस से हो चुकी है। हैरत की बात है कि जिन 29 लाइसेंसधारियों के 45 चालानों की जांच की जा रही है वह सभी नए ठेकेदार हैं।

आबकारी निरीक्षक भी आए जांच के दायरे में
सूत्रों के अनुसार नए ठेकेदार ने बैंक में सीधे तौर पर राशि जमा करवाने की बजाए विभाग के कर्मचारी को जमा करवाते रहे। इसी कर्मचारी की ओर से इन ठेेकेदारों को चालान दिया जाता था। इसके बाद इन चालान के आधार पर यह कर्मचारी परमिट तैयार गोदाम से मदिरा उठाने के लिए आबकारी निरीक्षक की रिपोर्ट करवाकर ठेेकेदार को दी जाती है। इसी परमिट के आधार पर गोदाम से मदिरा उठाई जा रही है। इसके चलते जांच के दायरे में रावतसर, नोहर व भादरा के आबकारी निरीक्षकों को भी लिया गया है।
26 प्रतिशत कटौती के डर से रिकवरी
मामला तूल नहीं पकड़ ले, इसके लिए कुछ दिन पहले भादरा के एक होटल में 29 मदिरा लाइसेंसधारियों को बुलाकर बैठक ली गई। क्योंकि इन लाइसेंसधारियों की ओर जो चालान जमा करवाए गए थे, वह फर्जी पाए गए हैं। इन ठेकेदारों पर मुकदमा दर्ज व 26 प्रतिशत जमा धरोहर राशि जब्त करने की चेतावनी दी गई थी। सूत्रों के अनुसार सभी एंगलों से जांच होने के डर से इन ठेकादारों
ने आनन फानन में दोबारा राशि जमा करवाई है। इसके चलते विभाग के दस्तावेजों में 90 प्रतिशत रिकवरी होना भी दर्ज कर लिया गया है। उल्लेखनीय है कि शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की मदिरा की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया लेकिन राशि खाते में जमा नहीं हुई। इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात मदिरा दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया। जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है। इसके अलावा नोहर की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा बोल रही है। इस तमाम प्रकरण की जांच की जा रही है।
किया जा चुका है निलंबित
विभाग की ओर से आदेश मिले हैं, इसके तहत जांच होने तक कनिष्ठ सहायक इंद्रजीत सिंह को निलंबित किया गया है और उदयपुर मुख्यालय व बीकानेर कार्यालय के लेखाधिकारियों से जांच की जा रही है।
संजीव कुमार पटावरी, जिला आबकारी अधिकारी, हनुमानगढ़
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