जिले में एक समिति तो ऐसी है, जहां पर आठ बरसों में एक बार भी बैंक निरीक्षण नहीं हुआ है। वहीं कई समितियां ऐसी है जिनका गत तीन बरस से अधिक समय से निरीक्षण नहीं हुआ। इनमें संबंधित समिति के व्यवस्थापक रिकॉर्ड देने में लगातार आनकानी कर रहे हैं। तीन बरस से अधिक समय से बकाया निरीक्षण वाली समितियों में अराईयांवाली, गुरुसर, मेहरवाला, चाइयां, मेघाना, टिडियासर, कलाना, छानीबड़ी, साहूवाला, जबरासर, सिरंगसर आदि शामिल हैं। इनमें साहूवाला समिति तो ऐसी है, जहां निरीक्षण आठ वर्ष से बकाया चल रहा है। तीन वर्ष से बकाया समितियों में सागडा, मेहराना, झांसल मलखेड़ा, खुईयां, पांडूसर, २२ एजी, न्यांगल, जंडवाला सिखान, लीलावाली, खाराखेड़ा, ढाणी अराईयान, बिरकाली, दलपतपुरा आदर्श फेफाना, ललानाबास, पदमपुरा श्योदानपुरा, धौलीपाल, डबलीराठान, डबली कुतुब, रोडावाली, टिब्बी, उज्जलबास, किराड़ाबड़ा शामिल है। दो वर्ष से बकाया निरीक्षण वाली समितियों में रणजीतपुरा, मैनावाली, चार सीवाईएम, चार डब्ल्यूएम, रावतसर, सात डीडब्ल्यूडी, भोमपुरा, मैरुसरी, खोडा, मोधूनगर, डबली खुर्द, खेदासरी, नुकेरा, फतेहपुर, ढाबां, हरिपुरा, भाखरावाली, जसाना, मलवानी, रामसरा, श्योरानी, डबली पीसीएम, मक्कासर, जोड़किया, गाहड़, खचवाना, भरवाना, ढाणी नेहरावाली, कुंजी, निनाण, मंदरपुरा, धानसिया आदि शामिल हैं।
जिन सहकारी समितियों की गत वर्ष जांच करवाई गई, उनमें वित्तीय गड़बड़ी का आरोप था। इसमें खाद-बीज विक्रय में स्टॉक में हेरफेर, निर्धारित वेतनमान से अधिक वेतन भुगतान, कैश बैलेंस में कमी, एफडी राशि बैंक के खाते में जमा नहीं करवाना आदि शामिल है। हाल ही में झाम्बर व अमरपुरा थेहड़ी ग्राम सेवा सहकारी समिति में व्यवस्थापक की ओर से की गई करीब दो करोड़ की हेराफेरी का मामला गर्माया हुआ है। इन दोनों समितियों में गड़बडिय़ों का खुलासा कुछ जागरूक ग्रामीणों की वजह से हो पाया। ग्रामीणों का आरोप है कि बैंक प्रबंधन की अनदेखी के चलते समितियों में व्यवस्थापक व अध्यक्ष मिलकर मनमानी कर रहे हैं।
सहकारिता के क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए की चपत लगाने का खेल बरसों से चल रहा है। सहकारिता क्षेत्र में गबन व अनियमितता के दो आरोपियों ने आत्महत्या कर ली। इसमें पल्लू सहकारी बैंक में करीब सवा दो करोड़ के गबन मामले में आरोपित एक प्रबंधक व व्यवस्थापक शामिल है। आधा दशक पहले पल्लू में फर्जी दस्तावेजों से ऋण वितरण करके बैंक को करीब सवा दो करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। जांच के बाद आरोपितों से अधिकांश राशि हालांकि वसूली करवा ली गई।
-हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक की साख सीमा कुल १५०० करोड़ है।
– बैंक से एक लाख ४००० ऋणी किसान जुड़े हुए हैं।
-वर्तमान में ६८ ग्राम सेवा सहकारी समितियां ऐसी हैं, जहां पर दो से आठ वर्ष के बीच में निरीक्षण नहीं हुआ है।
-रबी सीजन वर्ष २०१९-२० में केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़ को २३० करोड़ का फसली ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया था, इनमें २१५ करोड़ का ऋण वितरित किया जा चुका है।
………..वर्जन………..
निरीक्षण को पाबंद
….फोटो……
पहले बिना निरीक्षण वाली समितियों की ओर से ऋण वितरण कार्य करने पर रोक लगा दी गई थी। परंतु मेरे से पहले जिन एमडी के पास चार्ज था, उन्होंने किसान हितों को देखते हुए निरीक्षण से वंचित समितियों में ऋण वितरण कार्य में शिथिलता प्रदान कर दी थी। इसे मैंने भी जारी रखा है। हमारा प्रयास है कि सभी समितियों का निरीक्षण करवा लेंवे। हाल ही में मैंने वरिष्ठ प्रबंधक से लेकर ऋण पर्यवेक्षकों को लंबित निरीक्षण वाली समितियों के खिलाफ राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम २००१ की धारा ३१ (२) के तहत कार्रवाई करने के लिए पाबंद किया है।
दीपक कुक्कड़, प्रबंध निदेशक, केंद्रीय सहकारी बैंक लिमिटेड, हनुमानगढ़