गेहूं उत्पादन में अग्रणी
पूरे प्रदेश में हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर जिला गेहूं उत्पादन के लिहाज से अग्रणी है। राजस्थान में कुल जितने एमटी गेहूं की खरीद की जाती है, उसका ६० से ६५ प्रतिशत हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर केवल दो ही जिलों में होता है। इस तरह साफ है कि गेहूं की सरकारी खरीद में सर्वाधिक जोर इन दोनों जिलों पर ही रहता है। इस वर्ष बम्पर उत्पादन के बावजूद अचानक मौसम की बेरुखी ने किसानों को बेचैन कर दिया है।
पूरे प्रदेश में हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर जिला गेहूं उत्पादन के लिहाज से अग्रणी है। राजस्थान में कुल जितने एमटी गेहूं की खरीद की जाती है, उसका ६० से ६५ प्रतिशत हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर केवल दो ही जिलों में होता है। इस तरह साफ है कि गेहूं की सरकारी खरीद में सर्वाधिक जोर इन दोनों जिलों पर ही रहता है। इस वर्ष बम्पर उत्पादन के बावजूद अचानक मौसम की बेरुखी ने किसानों को बेचैन कर दिया है।
इतना-इतना पानी
हनुमानगढ़ जिले में १६ अप्रैल को सर्वाधिक बारिश हनुमानगढ़ तहसील में ३७ एमएम दर्ज की गई थी। इसी तरह नोहर में १०, रावतसर में १९, संगरिया में १९, टिब्बी में २० व पीलीबंगा में २० एमएम बारिश रिकॉर्ड किया गया था। इससे खेतों में पानी जमा हो गया था। दो दिन बाद अब फसल काटकर जब किसान मंडी में पहुंचे तो उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी। मंडियों के हालात ऐसे हैं कि गेहूं को सुरक्षित रखने के बंदोबस्त भी नहीं हैं। इस स्थिति में किसान अपनी फसल को कहां सुरक्षित रखे, इसकी चिंता सता रही है।
हनुमानगढ़ जिले में १६ अप्रैल को सर्वाधिक बारिश हनुमानगढ़ तहसील में ३७ एमएम दर्ज की गई थी। इसी तरह नोहर में १०, रावतसर में १९, संगरिया में १९, टिब्बी में २० व पीलीबंगा में २० एमएम बारिश रिकॉर्ड किया गया था। इससे खेतों में पानी जमा हो गया था। दो दिन बाद अब फसल काटकर जब किसान मंडी में पहुंचे तो उन्हें वहां भी निराशा हाथ लगी। मंडियों के हालात ऐसे हैं कि गेहूं को सुरक्षित रखने के बंदोबस्त भी नहीं हैं। इस स्थिति में किसान अपनी फसल को कहां सुरक्षित रखे, इसकी चिंता सता रही है।
गेहूं में ज्यादा खराबा
दो दिनों तक हुई बारिश के कारण गेहंू में काफी खराबा हुआ है। जिला प्रशासन, कृषि विभाग व बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम खराबे का आकलन करने में जुटी हुई है। इसके तहत शुक्रवार को भी टीम टिब्बी, संगरिया सहित कई क्षेत्रों में गई और खराबे की जानकारी जुटाई। कृषि विभाग का अनुमान है कि गेहूं में २० प्रतिशत तक खराबा हुआ है।
दो दिनों तक हुई बारिश के कारण गेहंू में काफी खराबा हुआ है। जिला प्रशासन, कृषि विभाग व बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों की संयुक्त टीम खराबे का आकलन करने में जुटी हुई है। इसके तहत शुक्रवार को भी टीम टिब्बी, संगरिया सहित कई क्षेत्रों में गई और खराबे की जानकारी जुटाई। कृषि विभाग का अनुमान है कि गेहूं में २० प्रतिशत तक खराबा हुआ है।
………वर्जन……
खराबे पर नजर
मैंने कृषि विभाग के अधिकारियों से खराबे पर चर्चा की है। इसमें गेहूं में दस से बीस प्रतिशत खराबे की बात सामने आई है। गेहूं में बारिश के कारण नमी ज्यादा होने की शिकायत जरूर आई है, लेकिन चमक के अभाव में ढेरियां खरीदने योग्य नहीं है, इस संदर्भ में एफसीआई की तरफ से अवगत नहीं करवाया गया है।
जाकिर हुसैन, कलक्टर हनुमानगढ़
खराबे पर नजर
मैंने कृषि विभाग के अधिकारियों से खराबे पर चर्चा की है। इसमें गेहूं में दस से बीस प्रतिशत खराबे की बात सामने आई है। गेहूं में बारिश के कारण नमी ज्यादा होने की शिकायत जरूर आई है, लेकिन चमक के अभाव में ढेरियां खरीदने योग्य नहीं है, इस संदर्भ में एफसीआई की तरफ से अवगत नहीं करवाया गया है।
जाकिर हुसैन, कलक्टर हनुमानगढ़
नहीं खरीदने में सक्षम
टिब्बी मंडी में १९ अप्रैल को जो भी ढेरियां आई, उनमें किसी में चमक नहीं मिली। बिना चमक के हम सरकारी खरीद करने में सक्षम नहीं हैं। उच्चाधिकारियों को हमने इस संबंध में अवगत करवा दिया है। सरकार स्तर पर छूट मिलने की स्थिति में आगे इन ढेरियों की खरीद संभव होगी।
अमरचंद्र मीणा, प्रबंधक, गुण नियंत्रण, भारतीय खाद्य निगम हनुमानगढ़
टिब्बी मंडी में १९ अप्रैल को जो भी ढेरियां आई, उनमें किसी में चमक नहीं मिली। बिना चमक के हम सरकारी खरीद करने में सक्षम नहीं हैं। उच्चाधिकारियों को हमने इस संबंध में अवगत करवा दिया है। सरकार स्तर पर छूट मिलने की स्थिति में आगे इन ढेरियों की खरीद संभव होगी।
अमरचंद्र मीणा, प्रबंधक, गुण नियंत्रण, भारतीय खाद्य निगम हनुमानगढ़
खरीद को करेंगे मजबूर
किसानों ने जानबूझकर गेहूं की चमक खराब नहीं की है। प्राकृतिक रूप से अगर ऐसा हुआ है तो सरकार को इस संबंध में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। जैसी भी फसल है, सरकार को खरीदने के लिए मजबूर कर देंगे। आखिर सरकार ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है। किसानों का हक दिलाकर ही रहेंगे।
ओम जांगू, किसान नेता हनुमानगढ़
किसानों ने जानबूझकर गेहूं की चमक खराब नहीं की है। प्राकृतिक रूप से अगर ऐसा हुआ है तो सरकार को इस संबंध में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। जैसी भी फसल है, सरकार को खरीदने के लिए मजबूर कर देंगे। आखिर सरकार ने फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया हुआ है। किसानों का हक दिलाकर ही रहेंगे।
ओम जांगू, किसान नेता हनुमानगढ़
……….पत्रिका व्यू……
नियम बरपा रहा कहर
अप्रेल का पहला पखवाड़ा खत्म हो चुका है। लेकिन अभी तक जिले में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में दस प्रतिशत गेहूं की खरीद भी नहीं हो पाई है। खरीद की कछुआ चाल से किसान बेचैन हो रहे हैं। कई किसान तो ऐसे हैं जो चार से पांच दिनों से मंडी में फसल लेकर बेचने के लिए बैठे हैं। लेकिन कहीं नमी तो कहीं कम चमक के कारण खरीद नहीं हो पा रही है। हनुमानगढ़ व इसके आसपास की मंडियों की बात करें तो यहां १५ और १६ अप्रेल को कुदरत ने जो कहर बरपाया, किसान अब उससे बाहर निकलने के प्रयास में हैं। परंतु कुदरती कहर गुजर जाने के बाद अब किसानों पर सरकारी नियम कहर बरपा रहा है। विडम्बना है कि विपरीत मौसम से बचाने के बाद जैसे-तैसे किसान अब मंडियों में फसल लेकर पहुंचे हैं। लेकिन एफसीआई अधिकारी चमक खत्म होने का बहाना बनाकर खरीद में आनाकानी कर रहे हैं। सरकारी नियमों की बानगी का टिब्बी मंडी बड़ा उदाहरण है। यहां १९ अप्रेल को जितनी भी गेहूं की ढेरी आई, उसकी गुणवत्ता जांचने के बाद अफसरों ने खरीद से इनकार कर दिया। हालात ऐसे हैं कि केंद्र सरकार ने सीना ठोककर कुछ दिन पहले रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था। मगर उसे एफसीआई अधिकारी अब सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। ऐसे हालात में किसानों की आय कैसे दोगुनी होगी, यह सरकार के स्तर पर सोचने योग्य है। चमक और नमी के नाम पर जब अफसर ही फसलों की खरीद में इतना ना-नुकर करेंगे तो फिर किसानों की फसल कौन खरीदेगा। बेहतर होगा कि सरकार जल्द सरकारी खरीद को लेकर स्थिति स्पष्ट करे। नहीं तो मंडियों में हालात बिगड़ते वक्त नहीं लगेगा।
नियम बरपा रहा कहर
अप्रेल का पहला पखवाड़ा खत्म हो चुका है। लेकिन अभी तक जिले में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में दस प्रतिशत गेहूं की खरीद भी नहीं हो पाई है। खरीद की कछुआ चाल से किसान बेचैन हो रहे हैं। कई किसान तो ऐसे हैं जो चार से पांच दिनों से मंडी में फसल लेकर बेचने के लिए बैठे हैं। लेकिन कहीं नमी तो कहीं कम चमक के कारण खरीद नहीं हो पा रही है। हनुमानगढ़ व इसके आसपास की मंडियों की बात करें तो यहां १५ और १६ अप्रेल को कुदरत ने जो कहर बरपाया, किसान अब उससे बाहर निकलने के प्रयास में हैं। परंतु कुदरती कहर गुजर जाने के बाद अब किसानों पर सरकारी नियम कहर बरपा रहा है। विडम्बना है कि विपरीत मौसम से बचाने के बाद जैसे-तैसे किसान अब मंडियों में फसल लेकर पहुंचे हैं। लेकिन एफसीआई अधिकारी चमक खत्म होने का बहाना बनाकर खरीद में आनाकानी कर रहे हैं। सरकारी नियमों की बानगी का टिब्बी मंडी बड़ा उदाहरण है। यहां १९ अप्रेल को जितनी भी गेहूं की ढेरी आई, उसकी गुणवत्ता जांचने के बाद अफसरों ने खरीद से इनकार कर दिया। हालात ऐसे हैं कि केंद्र सरकार ने सीना ठोककर कुछ दिन पहले रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था। मगर उसे एफसीआई अधिकारी अब सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। ऐसे हालात में किसानों की आय कैसे दोगुनी होगी, यह सरकार के स्तर पर सोचने योग्य है। चमक और नमी के नाम पर जब अफसर ही फसलों की खरीद में इतना ना-नुकर करेंगे तो फिर किसानों की फसल कौन खरीदेगा। बेहतर होगा कि सरकार जल्द सरकारी खरीद को लेकर स्थिति स्पष्ट करे। नहीं तो मंडियों में हालात बिगड़ते वक्त नहीं लगेगा।