हनुमानगढ़

चाहे कोई हो भी सरकार, दो करोड़ जनता दरकिनार, डब्ल्यूटीपी को दूर से ‘नमस्कार’

हनुमानगढ़. प्रदेश के आठ जिलों के दो करोड़ से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर राज्य सरकार निरंतर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) निर्माण की जिम्मेदारी से किनारा कर रही है।

हनुमानगढ़Jun 15, 2021 / 09:58 pm

adrish khan

चाहे कोई हो भी सरकार, दो करोड़ जनता दरकिनार, डब्ल्यूटीपी को दूर से ‘नमस्कार’

चाहे कोई हो भी सरकार, दो करोड़ जनता दरकिनार, डब्ल्यूटीपी को दूर से ‘नमस्कार’
– इंदिरा गांधी नहर में सीवरेज, फैक्ट्रियों के अपशिष्ट डालने से प्रदूषित पानी को पी रहे लोगों को बचाने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का था आदेश
– राज्य सरकार ने स्थाई लोक अदालत के फैसले के बाद जन हित में जिम्मेदारी निभाने की बजाय हाईकोर्ट में पेश कर दी रिट
– नहर में प्रदूषित पानी आने पर नहीं लगा सकी सरकार लगाम, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से भी हाथ खड़े
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. प्रदेश के आठ जिलों के दो करोड़ से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर राज्य सरकार निरंतर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) निर्माण की जिम्मेदारी से किनारा कर रही है। चाहे राज्य में कांग्रेस की सरकार हो या फिर भाजपा की सरकार रही हो, डब्ल्यूटीपी निर्माण के मुद्दे पर दोनों ने अब तक एक जैसा ही रवैया अपनाया है। स्थाई लोक अदालत के फैसले के बावजूद सरकार जन कल्याण को तरजीह देने की बजाय इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में लड़ रही है।
वहीं दूसरी ओर इंदिरा गांधी नहर में साल दर साल पंजाब क्षेत्र की फैक्ट्रियों का खतरनाक अपशिष्ट तथा सीवरेज का पानी डाले जाने की समस्या विकराल हो रही है। यंू तो नहर में प्रदूषित पानी व अपशिष्ट डाले जाने का सिलसिला कभी नहीं रुकता। मगर नहरबंदी व उसके बाद प्रदूषित पानी का काला सच काले पानी के रूप में सामने आ जाता है। जब नहर का पानी मटमैले से काला हो जाता है तो भयावह स्थिति का पता चलता है। स्थाई लोक अदालत का फैसला आए दस साल गुजर चुके हैं। मगर सरकार जन हित में डब्ल्यूटीपी का निर्माण कराने की बजाय इससे पिंड छुड़ाने में जुटी हुई है। चिंतनीय तथ्य यह कि पंजाब प्रदूषण बोर्ड की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार सतलुज के पानी मे जिंक, निकल, क्रोमियम, शीशा, तांबा आदि की मात्रा अधिक है। यह पीने योग्य नहीं है।
सब सरकार विरोध में
हनुमानगढ़ के जागरूक नागरिकों की संस्था सावधान की ओर से 2 मई 2009 को लोक अदालत हनुमानगढ़ में राजस्थान व पंजाब सरकार के खिलाफ याचिका प्रस्तुत की गई थी। इस पर अदालत ने मौका रिपोर्ट के लिए जिला कलक्टर को आदेश दिया। तीन बार स्मरण पत्र के बाद तत्कालीन कलक्टर ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना रावतसर के अधिशासी अभियंता से मौका निरीक्षण करवा कर पानी की जांच कराई। जांच रिपोर्ट फोटो व वीडियो के साथ अदालत में पेश की गई। लोक अदालत ने 15 दिसम्बर 2011 को राजस्थान सरकार के विरुद्ध आदेश पारित किया कि वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर प्रदूषित जल को स्वच्छ कर इंदिरा गांधी नहर में डाला जाए। तत्कालीन लोक हितकारी राज्य सरकार ने अपना दायित्व निभाने की बजाय हाइकोर्ट में रिट पेश कर दी। हाइकोर्ट ने लोक अदालत के फैसले पर रोक लगा दी, यह प्रकरण आज तक चल रहा है। इस बीच सरकारें बदलती रही। सावधान संस्था की याचिका में पारित आदेश का सब सरकार विरोध करती रही।
यहां तक पहुंच रहा पानी
राज्य के दस जिलों में इंदिरा गांधी नहर का पानी पहुंचता है। इससे इन जिलों के दो करोड़ से अधिक लोगों का गला तर होता है। पानी प्रदूषित होने से करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। इंदिरा गांधी नहर से हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, झुुंझुंनू, सीकर आदि जिले जुड़े हैं।
ऐसे समझिए प्रदूषण को
पंजाब में हरिके हैडवर्क सतलुज नदी व ब्यास नदी के संगम पर है। यहां से सरहिन्द फीडर (फिरोजपुर फीडर) व राजस्थान फीडर निकलती है। हरिके से पहले पूर्व की तरफ काला संघिया, चीटी बेई व बूढ़ा नाला बहता है। चीटी बेई व काला संघिया सतलुज के उत्तर की तरफ तथा बूढ़ा नाला सतलुज के दक्षिण की तरफ है। काला संघिया, जालंधर शहर, फगवाड़ा, कपूरथला, नकोदर, जमशेर आदि के सीवरेज, फैक्ट्रियों का अपशिष्ट चीटी बेई से होता हुआ सतलुज में गिरता है। माछीवाड़ा की तरफ से राजगढ़, कुम कलां, नीलो, रख आदि का गंदा पानी बूढ़ा नाला में होते हुए सतलुज में गिरता है। चीटी बेई व बूढ़ा नाला से करीब 35 नगरपालिकाओं के सीवरेज तथा 2500 फैक्ट्रियों का जहरीला पानी सतलुज से इंदिरा गांधी नहर में गिरता है।
राजनीति खूब, समाधान नहीं
नहर व नदी में प्रदूषित पानी व अपशिष्ट डालने के मुद्दे पर पंजाब व राजस्थान में राजनीति तो खूब होती है। मगर इस समस्या के समाधान के लिए ठोस प्रयास कोई सरकार नहीं करती। हमारे यहां के लोग भी निष्क्रिय हैं।
आमजन को चाहिए कि वह उच्च न्यायालय को प्रतिदिन कम से कम सौ पोस्टकार्ड लिखे कि हम जहर पी रहे हैं। डब्ल्यूटीपी संबंधी रिट पर निर्णय शीघ्रता से हो। इसमें आगामी पेशी 12 जुलाई 2021 है। – एडवोकेट शंकर सोनी, संयोजक, सावधान संस्था, हनुमानगढ़।

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