scriptफेल होने के बाद नहीं जांचा दो मिनट का फूड | All samples of noodles taken under special campaign failed in hanumang | Patrika News

फेल होने के बाद नहीं जांचा दो मिनट का फूड

locationहनुमानगढ़Published: Aug 23, 2019 12:19:59 pm

Submitted by:

adrish khan

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हनुमानगढ़. फटाफट दो मिनट में तैयार होने वाले फूड की जांच भी इसकी तरह बड़ी जल्दी भुला दी गई है। सारे नमूने फेल होने के बावजूद फिर कभी इसकी जांच ही नहीं की गई। ब्रांड विशेष के नूडल्स में लैड की मिलावट पर मचे हंगामे के बाद चिकित्सा विभाग ने इसकी जांच के लिए विशेष अभियान चलाया था। अब उस अभियान को तीन बरस से भी ज्यादा समय बीत चुके हैं।

फेल होने के बाद नहीं जांचा दो मिनट का फूड
– नूडल्स के नमूने लेने के लिए फिर नहीं चला प्रदेश में विशेष अभियान
– ब्रांड विशेष में खतरनाक रसायन की मिलावट पर देश भर में हंगाम मचने पर एक बार ही चला था जांच अभियान
– विशेष अभियान के तहत लिए गए नूडल्स के सारे नमूने हुए थे फेल
हनुमानगढ़. फटाफट दो मिनट में तैयार होने वाले फूड की जांच भी इसकी तरह बड़ी जल्दी भुला दी गई है। सारे नमूने फेल होने के बावजूद फिर कभी इसकी जांच ही नहीं की गई। ब्रांड विशेष के नूडल्स में लैड की मिलावट पर मचे हंगामे के बाद चिकित्सा विभाग ने इसकी जांच के लिए विशेष अभियान चलाया था। अब उस अभियान को तीन बरस से भी ज्यादा समय बीत चुके हैं। मगर एक बार भी जिले से लेकर प्रदेश भर में नूडल्स की जांच कोई अभियान नहीं चलाया गया है। बड़ी बात यह कि जब विशेष अभियान में नूडल के नमूने लिए गए थे तो ज्यादातर फेल हुए थे। इसके बावजूद पैकिंग फूड में सबसे अधिक खाए जाने वाले इस पदार्थ की जांच की निरंतर अनदेखी की जा रही है। बात जिले की करें तो इस रेडिमेड खाने के जो नमूने फेल हुए थे, उनमें से एक तो खाने के लिहाज से असुरक्षित भी पाया गया था। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वर्ष 2015 में जब नूडल्स में खतरनाक रसायन की मिलावट का मामला सामने आया था, उससे पहले भी कभी नूडल्स के नमूने लेने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। मतलब फटाफट फूड की जांच के लिए अभियान चलाना भी फटाफट बिसरा दिया गया। गौरतलब है कि मैगी नूडल्स में खतरनाक तत्व व रसायन मिलने के बाद जो हल्ला मचा, उसके चलते ही प्रदेश भर में इसकी जांच का अभियान चला था। इस दौरान रिकॉर्ड स्तर पर नूडल्स के नमूने लिए गए। रिकॉर्ड स्तर पर ही यह फेल हुए। एक ही पदार्थ के कभी शत-प्रतिशत नमूने फेल हुए हो, ऐसा बहुत कम होता है। इसके बावजूद फिर कभी जांच अभियान नहीं चलाया जाना कई सवाल खड़े करता है।
सबके सब फेल
जानकारी के अनुसार विशेष अभियान के तहत वर्ष 2015 में जिले भर से नूडल्स के कुल 13 नमूने लिए गए। जांच में सारे फेल हो गए। एक नमूना असुरक्षित तथा 12 अमानक मिले। खाद्य पदार्थ का नमूना असुरक्षित मिलने का अर्थ है कि उसमें ऐसी मिलावट है जो शरीर के लिए नुकसानदेह है। इस सैंपल में अखाद्य रंग की मिलावट थी, जो जॉय मी ब्रांड का नूडल्स था।
मिली ऐसी कमियां
खाद्य पदार्थों पर निर्माण, अवधिपार होने, बैच नम्बर, हरा व लाल निशान आदि होने जरूरी हैं। लेकिन जो नमूने वर्ष 2015-16 में अमानक पाए गए, उनमें ऐसी कई कमियां पाई गई। इसका अर्थ है कि इन नूडल्स की पैकिंग पर न तो यह लिखा था कि यह कब और कहां बने। इनकी एक्सपायरी डेट कब है। जाहिर है कि जब निर्माण और अवधिपार होने की जानकारी ही पैकिंग पर नहीं होगी तो वह सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा लगाना कैसे संभव है।
मांसाहार या शाकाहार
खाद्य पदार्थों पर हरा व लाल निशान लगा होता है, इससे यह पता चल जाता है कि संबंधित पदार्थ पूर्णत: वेज है या नॉनवेज। लेकिन अमानक पाए गए नूडल्स पर ऐसे कोई निशान नहीं मिले। जांच में 12 में से मैगी के 4 नमूने अमानक व सब स्टैंडर्ड मिले।
खतरे की घंटी
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में एक जांच रिपोर्ट में मैगी मसालों में लेड (सीसा) की मात्रा एक निश्चित सीमा 2.5 पीपीएम से ज्यादा मिली थी। स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमसीजी) भी पाया गया। इनके बारे में पैकेट पर कोई सूचना भी नहीं दी गई थी। चिकित्सकों के अनुसार खाद्य पदार्थों में लेड की मात्रा 2.5 पीपीएम से अधिक होने पर पेट दर्द, एनिमिया, उच्च रक्तचाप जैसी शिकायतें हो सकती हैं। किडनी व लीवर सहित शरीर के अन्य अंगों पर भी यह घातक प्रभाव डालता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट तत्व सामान्यत: टमाटर, सोयाबीन, मशरूम आदि सब्जियों में पाया जाता है। लेकिन एमसीजी को बाजार में कृत्रिम तरीके से तैयार किया जा रहा है जो गर्भवती और नवजातों के लिए खतरनाक माना गया है। इस पर हंगामा मचने के बाद नूडल्स के बड़े पैमाने पर नमूने लिए गए।
इनकी जांच पर हमेशा जोर
चिकित्सा विभाग की ओर से समय-समय पर खाद्य एवं पेय पदार्थों की जांच के लिए अभियान चलाए जाते हैं। इनमें ज्यादातर आइसक्रीम, आइसकैंडी, कार्बोनेटेड वाटर, दूध एवं दूध से निर्मित खाद्य व पेय पदार्थ, शरबत, लस्सी, शीतल पेय, फल, मसाले आदि के नमूने लिए जाते हैं। जिले में जो नमूने लिए जाते हैं, उनमें से 25 प्रतिशत से अधिक फेल होते हैं।
शिकायत पर कार्यवाही
खाद्य सुरक्षा अधिकारी हरीराम वर्मा ने बताया कि मुख्यालय के आदेश पर नूडल्स की जांच के लिए विशेष अभियान चलाया था। उसके बाद विशेष अभियान को लेकर कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले। बाकी शिकायत मिलने पर कार्यवाही करते हैं।
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