इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा पुलिस पर नशे के कारोबारियों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए चौकी प्रभारी सहित सभी पुलिस कर्मियों को निलम्बित करने की मांग रखी। इस दौरान आयोजित सभा को सम्बोंधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सूरेवाला सहित क्षेत्र के गांवों में पुलिस की अकर्मण्यता की वजह से धडल्ले से नशे में प्रयुक्त होने वाली गोली व कैप्सूल तथा चिट्टे का कारोबार किया जा रहा है। जिसके कारण छोटे बालक भी नशे की चपेट में आकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे है तथा असामयिक मौत को गले लगा रहे है। जिससे उनका परिवार भी बर्बाद हो रहा है। वक्ताओं ने नशे के कारोबारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की। इस दौरान सूरेवाला सरपंच सूरजा राम पंवार, पूर्व सरपंच हरनेक सिंह अलाटी, डीवाईएफआई प्रदेशाध्यक्ष जगजीत सिंह जग्गी, मनीष अरोड़ा, जसविन्द्र सिंह सहित सैंकडो ग्रामीण मौके पर मौजूद थे।
नशे के खिलाफ लगातार हो रहे प्रदर्शन
टिब्बी क्षेत्र में बढ़ रहे नशे के कारोबार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन हो रहे है लेकिन नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई नगण्य है। पिछले सात दिनों में क्षेत्र में चार बड़े प्रदर्शन नशे के खिलाफ हो चुके है लेकिन इस दौरान टिब्बी पुलिस ने एक भी एनडीपीएस एक्ट में कार्रवाई नही की। पिछले रविवार को टिब्बी के वार्ड २० में ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद मंगलवार को एसडीएम कार्यालय के समक्ष धरना दिया तथा गुरूवार को भगत सिंह चौक पर ***** जाम किया गया। इसके बाद रविवार को सूरेवाला में ग्रामीणों ने किशोर के शव के साथ प्रदर्शन किया। हालांकि पिछले सात दिन से पुलिस नशे के कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दे रही है लेकिन व्यवहार में अभी तक एक भी कार्रवाई एनडीपीएस एक्ट में नही हो पाई।
सूरेवाला चौकी के समक्ष धरने पर बैठे ग्रामीणों ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष चार मांगें रखी। इन मांगों में सूरेवाला चौकी प्रभारी सहित सभी पुलिसकर्मियों को निलम्बित करने, नशे के कारोबारियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने, पीडि़त परिवार को मुआवजा देने की मांग की गई। पुलिस चौकी के समक्ष किशोर के शव को रखकर धरना-प्रदर्शन की सूचना मिलने पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जस्साराम बोस, संगरिया डीएसपी नरपतचंद, टिब्बी थानाधिकारी पूर्ण सिंह, तलवाड़ा झील थाना अधिकारी ओमप्रकाश सुथार, नायब तहसीलदार सुभाष चंद्र आदि मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने ग्रामीणों से वात्र्ता की लेकिन ग्रामीणों की चार सूत्री मांग पर सहमति नहीं बनने पर ग्रामीणों ने आंदोलन स्थगित करने से इंकार कर दिया।