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जीएसटी में छोटे व्यापारियों को मिलेगा लाभ कार्यशाला में बोले जीएसटी सलाहकार

locationहनुमानगढ़Published: May 25, 2019 10:35:59 pm

Submitted by:

Anurag thareja

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जीएसटी में छोटे व्यापारियों को मिलेगा लाभ कार्यशाला में बोले जीएसटी सलाहकार

जीएसटी में छोटे व्यापारियों को मिलेगा लाभ कार्यशाला में बोले जीएसटी सलाहकार


जीएसटी में छोटे व्यापारियों को मिलेगा लाभ
कार्यशाला में बोले जीएसटी सलाहकार
हनुमानगढ़. टाउन के रॉयल पैराडाइज में शनिवार को तीन दिवसीय कार्यशाला के चलते दूसरे दिन भी जीएसटी को लेकर मंथन हुआ। जीएसटी सलाहकार सीए पुलकित खण्डेलवाल व सीए वरूण खण्डेवाल ने जीएसटी भरने के दौरान आ रही परेशानियों के समाधान के बारे में विस्तार से बताया। सेमीनार में जीएसटी में हुए नए बदलावों व उनकी सरल प्रक्रिया के बारे में बारिकी से बताया। सेमीनार का समापन रविवार को होगा। बैठक में बताया कि व्यापारियों के लिए कंपोजिशन स्कीम की सीमा 1 करोड़ से बढ़ाकर 1.5 करोड़ कर दी गई है, आसान भाषा में समझें तो अब डेढ़ करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले निर्माता को इस स्कीम का फायदा मिलेगा। जीएसटी कंपोजिशन स्कीम का लाभ लेने वाली कंपनियों को सिर्फ एक एनुअल रिटर्न दाखिल करना होगा, जबकि टैक्स भुगतान हर तिमाही में एक बार कर सकेंगे। यह नया नियम इस साल 1 अप्रेल से लागू है। जीएसटी काउंसिल ने इसके अलावा जीएसटी के दायरे को बढ़ा दिया है। अभी 20 लाख रुपए तक टर्नओवर करने वाले कारोबारी जीएसटी के दायरे में आते थे लेकिन अब 40 लाख टर्नओवर वाले जीएसटी के दायरे में आएंगे। पूर्वोत्तर समेत छोटे राज्यों में जो लिमिट 10 लाख थी वो लिमिट 20 लाख रुपये कर दी गई है। इस तरह कई छोटे कारोबारी जीएसटी के दायरे से बाहर हो जाएंगे। अब इन छोटे कारोबारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन का झंझट नहीं रहेगा। सीए पुलकित खण्डेलवाल ने बताया कि बिल्डरों की जो परियोजनाएं एक अप्रेल 2019 से पहले से चल रही हैं उनके मामले में उन्हें नई व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया गया है। ऐसी परियोजनाओं के लिए या तो वह पुरानी जीएसटी व्यवस्था को जारी रख सकते हैं अथवा एक प्रतिशत और पांच प्रतिशत की नई दर को अपना सकते हैं। पुरानी व्यवस्था में सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिए आठ प्रतिशत और अन्य श्रेणियों की आवासीय इकाइयों के लिए 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाने का प्रावधान था। इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट सुविधा का लाभ भी बिल्डर उठा सकते हैं, जबकि नई व्यवस्था में दरें घटा दी गईं हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट
सुविधा को समाप्त कर दिया गया है। टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी किए गए सवाल-जवाब (एफएक्यू) में कहा गया है कि फ्लैट का दाम बदलने या फिर बुकिंग निरस्त होने की स्थिति में डेवलपर धारा 34 में किए गए प्रावधान के अनुरूप खरीदार के लिए के्रडिट नोट जारी कर सकता है। एफएक्यू में कहा गया है कि डेवलपर को इस तरह जारी क्रेडिट नोट की राशि के किए गए टैक्स भुगतान पर समायोजन की सुविधा उपलब्ध होगी। इसमें उदाहरण दिया गया है कि यदि किसी डेवलपर ने एक अप्रेल 2019 से पहले की 10 लाख रुपए की बुकिंग राशि पर 12 प्रतिशत की दर से 1.20 लाख रुपए का जीएसटी भुगतान किया है। ऐसी बुकिंग के निरस्त होने की स्थिति में बिल्डर को उसकी अन्य जीएसटी देनदारियों के समक्ष 1.20 लाख रुपए के समायोजन की अनुमति होगी। इस मौके पर टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल एडवोकेट, रोहित अग्रवाल, सचिव संजय अग्रवाल, महेश चाचाण, सीए जिनेन्द्र कोचर, सीए रोहित मुन्दड़ा आदि टैक्स बार एसोसिएशन के सदस्य मौजूद रहे।
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