मृदा जैविक कार्बन अभियान को लेकर आत्मा कार्यालय में बुधवार को आयोजित किसान गोष्ठी में प्रगतिशील किसान, कृषि व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी व वैज्ञानिक शामिल हुए। गोष्ठी में पीआरओ सुरेश बिश्नोई, पंचायत समिति के पूर्व प्रधान दयाराम जाखड़, कृषि अधिकारी बलकरण सिंह, कृषि पर्यवेक्षक जगदीश दूधवाल, संयुक्त निदेशक कृषि श्रीगंगानगर डॉ. जीआर मटोरिया, कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरए मीणा, मृदा वैज्ञानिक डॉ.जीएस तूर, सहायक निदेशक कृषि विस्तार मोहनलाल गोदारा, केवीके नोहर के अक्षय घींटाला, कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. रंगपाल डांगी, पेस्टीसाइड एसोसिएशन के बालकिशन गोल्याण, आत्मा परियोजना के उप निदेशक साहबराम गोदारा, वैज्ञानिक डॉ. अमर सिंह पूनियां, किसान जसवंत भादू, भानीराम मूंड, हकीकत संस्था के ओमप्रकाश मांझू सहित अन्य मौजूद रहे।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि परंपरागत या जैविक खेती करने पर खेतों में सिंचाई पानी की खपत भी काफी कम होती है। कुछ वर्ष पूर्व की खेती का का जिक्र करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि पहले तीन-चार बारी पानी में गेहूं की फसल पक जाती थी। लेकिन अब नौ बारी पानी में फसल पक रही है। किसानों को जागरूक होकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। किसानों के लिए समय रहते खेती के नियमों को समझने की जरूरत बताई।