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हिस्से का पानी दिला नहीं सके, दारू की बहा रहे नहरें

locationहनुमानगढ़Published: Apr 25, 2019 12:04:13 pm

Submitted by:

adrish khan

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hanumangarh mein badh raha sharab bikri ka targate

हिस्से का पानी दिला नहीं सके, दारू की बहा रहे नहरें

हिस्से का पानी दिला नहीं सके, दारू की बहा रहे नहरें
– नहरों को नहीं दिला सके निर्धारित हिस्से का पानी
– शराब की प्रति व्यक्ति औसत खपत प्रदेश से भी यहां ज्यादा, हर साल बढ़े करोड़ों का लक्ष्य
अदरीस खान भादरा.हनुमानगढ़. जिले के लोगों को हिस्से का पानी तो कभी सरकारें दिला नहीं सकी। मगर यहां दारू की नहरें बहाने में सबने खूब दिलचस्पी दिखाई है। यही वजह है कि कृषि आधारित इस जिले को सरकारों ने सबसे अधिक शराब खपाने के ठिकाने में तब्दील कर दिया है। प्रति व्यक्ति औसत शराब खपत की बात करें तो प्रदेश में हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर जिले टॉप में आते हंै। ज्यादा राजस्व खींचने के लिए इन जिलों में शराब बिक्री को सर्वाधिक बढ़ावा दिया जा रहा है। यहां के हर आदमी से औसत देशी शराब का जितना राजस्व प्राप्त किया जा रहा है कि उसके आसपास कोई जिला नहीं है।
दूसरी ओर करीब चार दशक से प्रदेश की नहरें पर्याप्त पानी को तरस रही है। प्रदेश में सरकार किसी की भी रही हो, सब पंजाब से पानी का निर्धारित हिस्सा हासिल करने में नाकाम रहे। इसका सबसे अधिक नुकसान नहरों वाले जिले हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर को भुगतना पड़ रहा है। किसानों को पानी के लिए रह-रह कर आंदोलन करने पड़ रहे हैं। मगर हर बार सरकार नहरों में पर्याप्त पानी देने का भरोसा दिलाकर पिंड छुड़ा लेती हैं। उधर, जिले से प्राप्त होने वाले शराब के राजस्व को बढ़ा दिया जाता है।
चार बरस में बढ़ा 70 करोड़
पिछले चार बरस में जिले में शराब बिक्री का लक्ष्य 70 करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया है। वर्ष 2016 में जहां दो अरब दो करोड़ रुपए राजस्व लक्ष्य था, वह वर्ष 2019 में बढ़ाकर दो अरब 72 करोड़ रुपए किया जा चुका है। जिले की आबादी 17,79,650 है। चालू वित्तीय वर्ष में शराब के राजस्व का लक्ष्य दो अरब 72 करोड़ रुपए है। इसका अर्थ है कि जिले के प्रत्येक व्यक्ति से 1528 रुपए राजस्व वसूला जा रहा है। इससे भी ज्यादा श्रीगंगानगर जिले का है। जबकि प्रदेश का औसत भी इससे कम है। लक्ष्य के हिसाब से प्रति व्यक्ति देशी शराब खपत प्रदेश में 3.53 बल्क लीटर से अधिक है। जबकि श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में यह क्रमश: 8.10 व 7.04 बल्क लीटर से भी अधिक है। आबादी कम होने के बावजूद शराब ठेके तथा बिक्री लक्ष्य अधिक होने के कारण यह स्थिति है।
बढ़ाना दूर, तय भी नहीं मिला
करीब तीन से चार दशक पहले अंतरराज्यीय जल समझौते के तहत रावी व्यास के शेयर में राजस्थान का हिस्सा 8.6 एमएफ निर्धारित किया गया था। समझौते के समय राजस्थान में नहरों को पक्का करने का कार्य चल रहा था। इसलिए नहरों की क्षमता इतनी नहीं थी कि निर्धारित पानी लिया जा सके। इसलिए तय किया गया कि जब तक राजस्थान की नहर पक्की नहीं हो जाती तब तक 0.6 एमएफ पानी का उपयोग पंजाब कर सकता है। कुछ वर्ष बाद नहरों को पक्का करने का कार्य जब पूरा हो गया और राजस्थान ने अपने हिस्से के 0.6 एमएफ पानी पंजाब से मांगा तो पंजाब ने देने से इनकार कर दिया। राजस्थान ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी। कोर्ट ने पंजाब की इस हरकत को असंवैधानिक करार देकर मामले को रेफरेंस के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया। उसके बाद से राज्य सरकारों ने इसे लेकर कोई विशेष प्रयास नहीं किए। दशकों से मामला वहीं का वहीं पड़ा है।
पत्रिका व्यू…
मसखरी सी लगे कोशिशें
मेडिकेटेड नशा युवाओं की नसों में तेजी घुल रहा है। हेरोइन सरीखा खतरनाक मादक पदार्थ भी सहज उपलब्ध है। पोस्त को तो जैसे मान्यता सी मिल चुकी है। मतलब मादक पदार्थों के तस्करों को हनुमानगढ़ बहुत सुहा रहा है। इन पर लगाम लगाने के नारों के बीच जब हर साल सरकार जिले में शराब की खपत का लक्ष्य बढ़ा देती है तो नशे पर पाबंदी का प्रयास मसखरी से लगता है। प्रति व्यक्ति शराब खपत का लक्ष्य हनुमानगढ़ जिले में इतना है जितना कई बड़े जिलों में भी नहीं है। एक तरह से सरकार शराब पीने-पिलाने को बढ़ा रही है ताकि खपत का लक्ष्य यूं ही बढ़ता रहे। बात अगर आंकड़ों की करें तो बीते बरस जिला पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत सवा सौ से अधिक कार्यवाही की। नशे के इतने मामले जिले के इतिहास में पहले कभी नहीं पकड़े गए थे। नि:संदेह हालात खतरनाक हैं। नशे का रोग कभी भी किसी के घर दस्तक दे सकता है। नशों पर पाबंदी के लिए जुबानी जमा खर्च से आगे निकल कर जमीनी स्तर पर कोशिश करने की जरूरत है। अन्यथा इसका दंश आने वाली पीढिय़ां भुगतेगी, हमारे प्रयासों पर अंगुलियां उठाई जाएंगी।
फैक्ट फाइल
जिले की आबादी – 17,79,650
शराब बिक्री लक्ष्य – दो अरब 72 करोड़
राज्य में कुल ग्राम पंचायत : 9144
शराब दुकान वाली पंचायत : 4695
विवादित मुद्दा
0.6 एमएफ पानी का मुद्दा विवादित है। हिस्से का पानी लेने के लिए राज्य सरकार स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। केन्द्रीय स्तर पर निर्णय होने के बाद ही प्रदेश को निर्धारित शेयर के अनुसार पानी मिल सकेगा। निश्चित तौर पर इसका लाभ किसानों को मिलेगा। – विनोद मित्तल, मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग हनुमानगढ़।
यहां लक्ष्य ज्यादा
हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर सहित कई जिलों में शराब के राजस्व का लक्ष्य अन्य की तुलना में अधिक है। यहां शराब की खपत अधिक है, इसलिए लक्ष्य भी अधिक है। प्रतिवर्ष लक्ष्य बढ़ाया भी जाता है। – सहदेव रत्नु, जिला आबकारी अधिकारी हनुमानगढ़।
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