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सहकारिता नियमों को ठेंगा दिखा कर ग्राम सेवा सहकारी समितियां कर रही करोड़ों का कारोबार

locationहनुमानगढ़Published: Jan 10, 2019 11:56:20 am

Submitted by:

Purushottam Jha

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सहकारिता नियमों को ठेंगा दिखा कर ग्राम सेवा सहकारी समितियां कर रही करोड़ों का कारोबार

जिले की 215 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 78 ने तय समय पर नहीं करवाई ऑडिट
अब सहकारी बैंक प्रबंधन ने दो बरसों से बकाया चल रही ऑडिट वाली समितियों से लेनदेन बंद करने की दी चेतावनी
पुरुषोत्तम झा. हनुमानगढ़. केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़ और इनसे जुड़ी ग्राम सेवा सहकारी समितियों में अनियमितता की शिकायतें निरंतर आ रही है। हालत यह है कि बैंक से जुड़ी जिले की छह ग्राम सेवा सहकारी समितियां तो ऐसी है जिसकी ऑडिट वर्ष २०१६-१७ से बकाया चल रही है। यानी दो वित्तीय वर्ष बीतने के बावजूद भी इन्होंने अब तक ऑडिट नहीं करवाई। इसी तरह जिले की २१५ ग्राम सेवा सहकारी समितियों में ७८ समितियां ऐसी है, जिन्होंने इस वर्ष समय अवधि बीतने के चार माह बाद भी ऑडिट नहीं करवाई है। साफ है ग्राम सेवा सहकारी समितियां सहकारिता नियमों को ठेंगा दिखाकर करोड़ों का ऋण बांट रही है। जिसके कारण ऋण वितरण और कर्जमाफी का सही मूल्यांकन करना भी सहकारिता विभाग के अधिकारियों के लिए संभव नहीं हो रहा है। ऐसे में डूंगरपुर में कर्जमाफी में जो गड़बड़ी सामने आई है, वैसे मामले यहां भी उजागर हों, इसकी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जिले की जिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों ने दो वर्षों से ऑडिट नहीं करवाई है, उनमें मुंडा, मलखेड़ा, पांडूसर, सागड़ा, बिहारीपुरा व खुइयां समिति प्रमुख रूप से शामिल है। हैरान करने वाली बात यह है कि बिना ऑडिट करवाए ही केंद्रीय सहकारी बैंक भी निरंतर रूप से इन समितियों से करोड़ों रुपए का लेनदेन जारी रखे हुए है। बैंक व समितियों में गड़बड़ी की बात करें तो वर्ष २०१७ तक करीब ३५ सहकारी समिति मेें अनियमितता की शिकायतें आई चुकी है। चालू वर्ष में भी आधा दर्जन शिकायतें आई है। जिनमें जिला व राज्य स्तर पर कार्रवाई की जा रही है। फिलहाल केंद्रीय सहकारी बैंक के अधिकारी ऑडिट नहीं करवाने वाली समितियों से सख्ती निपटने की तैयारी कर रहे हैं। इन समितियों से अब ऑडिट होने तक लेनदेन पर रोक लगाने तथा जल्द ऑडिट नहीं करवाने की स्थिति में इन समितियों के संचालक मंडल को भंग करने की चेतावनी भी सहकारिता विभाग की ओर से दी गई है। समितियों की ओर से ऑडिट नहीं करवाने को गंभीरता से लेकर सहकारी समितियों के विशेष लेखा परीक्षक ने इन समितियों को चेताया है। जिसमें संचालक मंडल को भंग करने की कार्रवाई कर पांच वर्ष तक के लिए अयोग्य घोषित करने की चेतावनी दी गई है। संबंधित व्यवस्थापक के विरुद्ध जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
बिन ऑडिट करोड़ों का कारोबार
जिले की छह ऐसी ग्राम सेवा सहकारी समितियां हैं, जिनकी ऑडिट दो बरसों से बकाया है। जबकि नवम्बर २०१८ तक बैंक से इनके लेनदेन की प्रक्रिया जारी थी। मुंडा ग्राम सेवा सहकारी समिति से ९९२ किसान जुड़े हैं, इनसे बैंक ने सलाना ५८५.४७ का कारोबार किया है। इसी तरह मलखेड़ा से ६४० किसान जुड़े हैं, इस समिति से सहकारी बैंक का ८१८.५७ लाख रुपए का कारोबार हुआ। पांडूसर ग्राम सेवा सहकारी समिति से ८४५ किसान जुड़े हैं, इनसे बैंक का १०९० लाख, सागड़ा से ४२७ किसान जुड़े हैं, इनसे ५४७.४५ लाख, बिहारीपुरा से ६४० किसान जुड़े हैं, इनसे ७९८ लाख तथा खुईयां से ३४० किसान जुड़े हैं, इनसे बैंक ने चालू बरसों में ६६०.७६ लाख रुपए का कारोबार किया है।
इन समितियों की जांच
सहकारी बैंक हनुमानगढ़ के अधीन जिले में २१५ ग्राम सेवा सहकारी समितियां संचालित हो रही है। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से गांवों में बैंकिंग व्यवस्था संचालित की जा रही है। इसमें गंधेली, ढाणी नेहरावाली, साहूवाला, नौरंदेसर, डबलीकलां, हिरणावाली, ढंढ़ेला, उम्मेवाला, मैनावाली, मिर्जावाली मेर, पक्कासारणा, दलपतपुरा, मेघाना, शेरड़ा, डूंगराना, मलसीसर, भाड़ी, नुकेरा, संतपुरा आदि सहकारी समितियों में वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर गत वर्ष जांच प्रक्रिया शुरू की गई। इन समितियों में करीब 50 लाख से एक करोड़ रुपए के वित्तीय अनियमितता का आरोप था। जबकि उम्मेवाला में करोड़ों के फर्जी एफडीआर का मामला भी काफी चर्चित रहा था।
ऐसे करते गड़बड़ी
जिन सहकारी समितियों की गत वर्ष जांच करवाई गई, उनमें वित्तीय गड़बड़ी का आरोप था। इसमें खाद-बीज विक्रय में स्टॉक में हेरफेर, निर्धारित वेतनमान से अधिक वेतन भुगतान, कैश बैलेंस में कमी, एफडी राशि बैंक के खाते में जमा नहीं करवाना आदि शामिल है। इधर वर्तमान में छह ऐसी समितियां हैं, जिन्होंने गत दो वर्ष से समितियों की ऑडिट ही नहीं करवाई। इसे बैंक अधिकारी अब गंभीरता से ले रहे हैं।
दो ने की आत्महत्या
सहकारिता क्षेत्र में गबन व अनियमितता के दो आरोपितों ने आत्महत्या कर ली। इसमें पल्लू सहकारी बैंक में करीब सवा दो करोड़ के गबन मामले में आरोपित एक प्रबंधक व व्यवस्थापक शामिल है। आधा दशक पहले पल्लू में फर्जी दस्तावेजों से ऋण वितरण करके बैंक को करीब सवा दो करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप था। जांच के बाद आरोपितों से अधिकांश राशि हालांकि वसूली करवा ली गई।
फैक्ट फाइल
-हनुमानगढ़ केंद्रीय सहकारी बैंक की साख सीमा कुल १५०० करोड़ है।
– बैंक से एक लाख चार हजार ऋणी किसान जुड़े हुए हैं।
-गत दो वर्षों से छह ग्राम सेवा सहकारी समितियों न ऑडिट ही नहीं करवाई है।
– ऋणी कृषक सदस्यों में अभी तक करीब ८५ हजार किसानों के बचत खाते खोलकर आधार से लिंक किए जा चुके हैं।
-दो लाख से अधिक ऋण लेने वाले बैंक के ३१३ किसान हैं जबकि पचास हजार रुपए तक का ऋण लेने वाले ५४७१८ किसान हैं।
-अनियमितता की शिकायत पर वर्ष २०१७ में ३७ ग्राम सेवा सहकारी समितियों की जांच करवाई गई थी।
-वर्ष २०१८-१९ में केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़ को १०८० करोड़ का ऋण वितरण का लक्ष्य दिया गया है।
अब लेनदेन करेंगे बंद
…….वर्जन…..
जिले की छह ग्राम सेवा सहकारी समितियों की ऑडिट दो वर्षों से बकाया चल रही है। इनसे बैंक का करोड़ों का लेनदेन जुड़ा है। कई बार अवगत करवाने के बावजूद अब बैंक प्रबंधन ने ऑडिट करवाने तक इन समितियों को नोटिस देकर लेनदेन बंद करने की चेतावनी दी है।
भूपेंद्र सिंह , प्रबंध निदेशक, केंद्रीय सहकारी बैंक हनुमानगढ़
भंंग करने की चेतावनी
जिन ग्राम सेवा सहकारी समितियों ने तय समय में ऑडिट करवाकर इसकी रिपोर्ट पेश नहीं की, उनको चेताया गया है कि शीघ्र ऑडिट नहीं करवाने पर उनके संचालक मंडल को भंग कर दिया जाएगा। इसके साथ ही संबंधित व्यवस्थापक के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
अमीलाल सहारण, उप रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग हनुमानगढ़
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