दोपहर तीन बजे बाद सीसीआई अधिकारियों ने नरमा-कपास की नमी जांचने की प्रक्रिया शुरू की। सीसीआई के खरीद अधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया कि मंगलवार को कुल ७१ ट्रालियां कपास की बिकने के लिए आई। इनमें नमी जांचने पर २३ ट्रालियों में नमी ८ से १२ प्रतिशत तक मिली। जबकि शेष ट्रालियों में १३ से १९ प्रतिशत तक नमी मिली। जिन ट्रालियों में बारह प्रतिशत तक नमी मिली है, उन किसानों को आधार कार्ड, बैंक खाता व गिरदावरी साथ लाने के लिए कहा गया है। बुधवार को आवश्यक दस्तावेज साथ लाने पर सभी प्रक्रिया पूर्ण करके किसानों को निर्धारित अवधि में भुगतान किया जाएगा।
कलक्ट्रेट के समक्ष हुई वार्ता से पूर्व दोपहर बारह बजे मंडी समिति परिसर में किसान प्रतिनिधियों व अधिकारियों की वार्ता हुई। इस दौरान सीसीआई अधिकारियों ने सुबह ग्यारह बजे के करीब एक ट्रॉली में कपास की नमी जांची तो एक ही प्वाइंट पर नमी जांचने पर पहली बार में १४.४, दूसरी बार में १२.६ व तीसरी बार में १५.६ प्रतिशत नमी दर्ज की गई। एक ही जगह पर अलग-अलग रीडिंग मिलने से किसान आक्रोशित हो गए। मौके पर किसानों ने नमी जांचने वाली मशीन की विश्वनीयता पर सवाल खड़े कर दिए। इसके बाद नारेबाजी करते हुए सभी कलक्ट्रेट की तरफ ट्रालियां लेकर रवाना हो गए।
कलक्ट्रेट के समक्ष धरना लगाकर बैठै किसानों ने कहा कि किसान इतना बेइमान नहीं हुआ है। वह कपास में पानी मिलाकर नहीं लाता। ऊपर वाले ने मौसम ऐसा बना दिया कि नमी ज्यादा आ रही है। इस हालत में अफसरों को चाहिए कि वह अपने विवेक का इस्तेमाल करके कपास की सरकारी खरीद शुरू करवाएं। जिससे किसानों को राहत मिल सके। कुछ किसानों ने आरोप लगाया कि सीसीआई अधिकारी व्यापारियों के साथ मिले हुए हैं। इसलिए अधिकारी बोली लगाने से कतरा रहे हैं।
माकपा नेता रघुवीर वर्मा ने आरोप लगाया कि सीसीआई के अधिकारी जिस मशीन को लेकर नमी जांच रहे हैं, वह विश्वनीय नहीं है। एक ट्रॉली में अलग-अलग नमी मिलने की बात अधिकारी कह रहे हैं। जो खुद ही मशीन की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करती है। किसान नेता लगातार मशीनों में गड़बडी होने का आरोप लगा रहे हैं। व्यवस्थित तरीके से कपास खरीद शुरू नहीं करने की स्थिति में किसानों ने आगे आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।