निर्णय नहीं बदला
तो निकाय चुनाव में होगा भ्रष्टाचार
हनुमानगढ़. निकाय चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता दो गुटो में बंट गए हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष केसी बिश्नोई ने उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बयान का समर्थन किया है। इस संबंध में सोमवार को जंक्शन स्थित डीसीसी कार्यालय में बैठक भी हुई, इसमें कई कार्यकर्ता शामिल हुए। इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार केसी बिश्नोई ने कहा कि हाईब्रिड सिस्टम का प्रदेश भर में कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं में विरोध शुरू हो गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस फैसले पर पुर्नविचार की जरूरत बताई थी। प्रदेश के केबिनेट मंत्री रमेश मीणा, प्रताप सिंह खाचरीयावास, मास्टर भंवरलल मेघवाल ने भी इस हाईब्रिड सिस्टम पर अपनी असहमति दर्ज करवाई थी। हनुमानगढ़ जिले के कांग्रेसजनों में भी राज्य सरकार के हाईब्रिड सिस्टम के फैसले से रोष व्याप्त है। पूरे जिले भर से अनेकों कांग्रेस कार्यकर्ता स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल से जनहित में इस फैसले की समीक्षा कर इसे रद्द करने का आग्रह कर चुके है।
नगर निकाय क्षेत्र में शुरुआती दौर में जनसंख्या बेहद कम थी। उस वक्त केवल आठ वार्ड ही हुआ करते थे। वर्ष १९५१ में हनुमानगढ़ शहर की आबादी केवल ६८३७ थी। करीब तीस साल में शहर की आबादी दस गुना तक बढ़ गई है। १९८१ की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी ६०,०७१ थी, जो वर्तमान में बढ़कर पौने दो लाख के करीब हो गई है। जनसंख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ वार्डों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। १९४७ में नगर निकाय की राजनीति महज आठ वार्ड से शुरू हुई जो कि ४५ वार्डों से ६० वार्डों तक पहुंच गई है। परिषद से प्राप्त जानकारी के अनुसार १९४७ में आठ वार्ड हुआ करते थे। इन वार्डों से चुने गए पार्षदों की ओर से दो महिला पार्षद को निर्वाचित किया जाता था। जिन्हें अध्यक्ष चुनने का भी अधिकार होता था।
इस तरह होगा सभापति का चयन
जानकारी के अनुसार सभापति पद के लिए अगर चार दावेदार उम्मीदवारी जतातें हैं तो इन उम्मीदवारों के लिए ६० पार्षद वोटिंग करेंगे। जिसे सबसे कम वोट मिलेंगे, वह दावेदार गेम से बाहर हो जाएगा। इसी तरह दूसरे चरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। शेष रहे दावेदारों के लिए दोबारा ६० पार्षद वोट देंगे। यहां भी सबसे कम वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार सभापति की रेस से बाहर हो जाएगा और अंत में दो उम्मीदवारों के बीच सभापति पद के लिए अंतिम बार वोटिंग की प्रक्रिया होगी। इसमें जिसके पक्ष में ३१ पार्षदों के वोट पड़ेंगे, वह शहरी सरकार का नया मुखिया होगा।