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जिसके पास होंगे 31 पार्षद, उसके सिर होगा सभापति का ताज

locationहनुमानगढ़Published: Oct 22, 2019 11:25:55 am

Submitted by:

Manoj

50 प्लस के फार्मूले पर पाटियां मैदान में उतारेंगी प्रत्याशी

जिसके पास होंगे 31 पार्षद, उसके सिर होगा सभापति का ताज

जिसके पास होंगे 31 पार्षद, उसके सिर होगा सभापति का ताज

हनुमानगढ़. इस बार नवंबर में होने वाले निकाय चुनाव में सभापति का ताज उसके सिर पर होगा जिसके पास ३१ पार्षद होंगे। चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लिए बगैर ही दावेदार सभापति की रेस में शामिल हो सकेगा और हारा हुआ प्रत्याशी भी सभापति की सीट पाने के लिए अपनी किस्मत अजमा सकेगा। बस दावेदार के खाते में ३१ पार्षद के मत पडऩे चाहिए। नगर परिषद में ६० पार्षद जीतकर पहुंचेगे। पार्षदों की संख्या अधिक होने के साथ-साथ सभापति पद के लिए दावेदार भी अधिक होंगे।
इधर, भाजपा व कांग्रेस पार्टी सभापति की गद्दी हथयाने के लिए हरसभंव प्रयास करती हुई नजर आएगी। यही कारण कि दोनों दल ५० प्लस के मूल मंत्र पर वार्डों के सर्वे कराने में जुटे हुए हैं। दोनों दल सोच समझ कर वार्डों में अपना उम्मीदवार उतारेगी। इनमें से किसी भी पार्टी ने उम्मीदवारों को लेकर सर्वे रिपोर्ट, जातिगत समीकरण, छवि आदि को देखकर टिकट नहीं दी तो पार्टी सभापति की रेस में पिछड़ जाएगी। खास बात है यह सभापति का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होने पर किसी भी जाति का शख्य इस पद की रेस में भाग ले सकेगा।

निर्णय नहीं बदला
तो निकाय चुनाव में होगा भ्रष्टाचार
हनुमानगढ़. निकाय चुनाव में हाइब्रिड सिस्टम को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ता दो गुटो में बंट गए हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष केसी बिश्नोई ने उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बयान का समर्थन किया है। इस संबंध में सोमवार को जंक्शन स्थित डीसीसी कार्यालय में बैठक भी हुई, इसमें कई कार्यकर्ता शामिल हुए। इस संबंध में जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार केसी बिश्नोई ने कहा कि हाईब्रिड सिस्टम का प्रदेश भर में कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं में विरोध शुरू हो गया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इस फैसले पर पुर्नविचार की जरूरत बताई थी। प्रदेश के केबिनेट मंत्री रमेश मीणा, प्रताप सिंह खाचरीयावास, मास्टर भंवरलल मेघवाल ने भी इस हाईब्रिड सिस्टम पर अपनी असहमति दर्ज करवाई थी। हनुमानगढ़ जिले के कांग्रेसजनों में भी राज्य सरकार के हाईब्रिड सिस्टम के फैसले से रोष व्याप्त है। पूरे जिले भर से अनेकों कांग्रेस कार्यकर्ता स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल से जनहित में इस फैसले की समीक्षा कर इसे रद्द करने का आग्रह कर चुके है।
इसी कड़ी में जिला कांग्रेस कमेटी सेवादल के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र गोंद, जिला उपाध्यक्ष भीम सिंह गोदारा, जिला महासचिव कृष्ण नेहरा, मनोज मूण्ड, सचिव अजीत सिंह, कच्ची बस्ती प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद हुसैन खोखर, जन अभाव प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष उज्जवल शर्मा ने अपनी असहमति दर्ज करवाई। जिला अध्यक्ष ने कहा कि उक्त प्रक्रिया से भ्रष्टचार को बढ़ावा मिलेगा और पार्षदों की खरीद फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।
पहले ८ वार्ड तो अब ६० वार्ड
नगर निकाय क्षेत्र में शुरुआती दौर में जनसंख्या बेहद कम थी। उस वक्त केवल आठ वार्ड ही हुआ करते थे। वर्ष १९५१ में हनुमानगढ़ शहर की आबादी केवल ६८३७ थी। करीब तीस साल में शहर की आबादी दस गुना तक बढ़ गई है। १९८१ की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी ६०,०७१ थी, जो वर्तमान में बढ़कर पौने दो लाख के करीब हो गई है। जनसंख्या में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ वार्डों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। १९४७ में नगर निकाय की राजनीति महज आठ वार्ड से शुरू हुई जो कि ४५ वार्डों से ६० वार्डों तक पहुंच गई है। परिषद से प्राप्त जानकारी के अनुसार १९४७ में आठ वार्ड हुआ करते थे। इन वार्डों से चुने गए पार्षदों की ओर से दो महिला पार्षद को निर्वाचित किया जाता था। जिन्हें अध्यक्ष चुनने का भी अधिकार होता था।
१९६४ में निकाय चुनाव में पंद्रह वार्ड थे। इनसे चुने गए पार्षदों ने दो महिला पार्षद को निवार्चित कर बृजप्रकाश गोयल को अध्यक्ष चुना। १९८२ में निकाय क्षेत्र की जनसंख्या लगातार बढ़ी तो वार्डों की संख्या २४ तक पहुंच गई। इन सभी पार्षदों ने दो महिला पार्षदों को चुना। इन २६ पार्षदों में १४ मत हासिल करने वाला उम्मीदवार चेयरमैन चुना गया था। १९९४ के निकाय चुनावों में वार्डों की संख्या चालीस हो चुकी थी। राज्य सरकार के निर्देशानुसार दो महिला पार्षदों को निवार्चिंत करने की बजाए पार्षदों को मनोनीत करने की प्रथा यहां से शुरू हो गई थी। मनोनीत पार्षद सरकार की ओर से चुने जाने लगे और अध्यक्ष को मत देने का अधिकार नहीं दिया गया। २००६ में वार्डों की संख्या ४५ हो हई और वर्तमान में यह संख्या ६० हो चुकी है।

इस तरह होगा सभापति का चयन
जानकारी के अनुसार सभापति पद के लिए अगर चार दावेदार उम्मीदवारी जतातें हैं तो इन उम्मीदवारों के लिए ६० पार्षद वोटिंग करेंगे। जिसे सबसे कम वोट मिलेंगे, वह दावेदार गेम से बाहर हो जाएगा। इसी तरह दूसरे चरण की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। शेष रहे दावेदारों के लिए दोबारा ६० पार्षद वोट देंगे। यहां भी सबसे कम वोट हासिल करने वाला उम्मीदवार सभापति की रेस से बाहर हो जाएगा और अंत में दो उम्मीदवारों के बीच सभापति पद के लिए अंतिम बार वोटिंग की प्रक्रिया होगी। इसमें जिसके पक्ष में ३१ पार्षदों के वोट पड़ेंगे, वह शहरी सरकार का नया मुखिया होगा।

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