खरीफ सीजन २०१८ में क्लेम से वंचित किसानों का मामला विधानसभा में भी विधायकों ने खूब उठाया है। लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं होने वाले किसानों की संख्या जुटाने में सरकार भी नाकाम हो रही है। इस संबंध में कलक्टर ने बीमा कंपनियों और बैंकों से कई बार पत्राचार किया है, लेकिन इसका कोई असर बैंकों और बीमा कंपनियों की सेहत पर नजर नहीं आ रहा है।
कृषि अधिकारियों का कहना है कि बीमा संबंधी जानकारी पीएम पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पाई। इसके कारण क्लेम भुगतान में दिक्कत आ रही है। पोर्टल को खोलने का निर्णय केंद्र सरकार स्तर पर लिया जाना है। हर वर्ष निर्धारित समय बाद पोर्टल को बंद कर दिया जाता है। इस स्थिति में पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना संभव नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार स्तर पर पोर्टल खोलकर इसमें सभी तरह की जानकारी अपलोड हो सके, इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी गंभीर होने की जरूरत है।
बताया जा रहा है कि हनुमानगढ़ जिले से खरीफ २०१८ में करीब सवा आठ करोड़ की राशि प्रीमियम पेटे बीमा कंपनियों के खाते में जमा करवा दी गई। लेकिन बैंकों ने इसका रिकॉर्ड राष्ट्रीय पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इस बारे में बैंक अधिकारी आधार कार्ड व भूमि का रिकॉर्ड मिसमैच होने की बात कह रहे हैं। पोर्टल का पेच सुलझाने को लेकर बीमा कंपनी भी कोई गंभीरता नहीं दिखा रही। जबकि बीमा करने का पूरा दायित्व बीमा कंपनी का ही है। बैंक तो केवल कमीशन एजेंट के तौर पर बीमा कंपनी को प्रीमियम कटौती करके राशि हस्तांतरित करता है।