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पोर्टल के पंगे में फंसा करोड़ों का क्लेम

locationहनुमानगढ़Published: Nov 26, 2019 09:07:03 pm

Submitted by:

Purushottam Jha

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हनुमानगढ़. पीएम फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में खामियों का खामियाजा प्रदेश के हजारों किसान भुगत रहे हैं। हालत यह है कि खरीफ २०१८ में हजारों किसानों के खाते से करोड़ों की राशि बैंकों की ओर से प्रीमियम पेटे काट ली गई। इसके बाद यह राशि बीमा कंपनियों के खाते में जमा भी करवा दी गई।
 

पोर्टल के पंगे में फंसा करोड़ों का क्लेम

पोर्टल के पंगे में फंसा करोड़ों का क्लेम

पोर्टल के पंगे में फंसा करोड़ों का क्लेम
-किसानों के खाते से कट गई राशि लेकिन जानकारी नहीं हुई अपलोड
-लापरवाही की वजह से हजारों किसानों को फसल बीमा क्लेम का नहीं मिल पा रहा लाभ
हनुमानगढ़. पीएम फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन में खामियों का खामियाजा प्रदेश के हजारों किसान भुगत रहे हैं। हालत यह है कि खरीफ २०१८ में हजारों किसानों के खाते से करोड़ों की राशि बैंकों की ओर से प्रीमियम पेटे काट ली गई। इसके बाद यह राशि बीमा कंपनियों के खाते में जमा भी करवा दी गई। लेकिन इन सभी किसानों की भूमि व फसल सहित अन्य जानकारी पीएम फसल बीमा पोर्टल पर अपलोड करवाने में पूरा तंत्र विफल हो गया। इससे फसल खराब होने के बावजूद किसानों को क्लेम नहीं मिल पाया। जानकार बताते हैं कि बैंक, बीमा कंपनी और कृषि विभाग में आपसी समन्वय का अभाव होने के कारण इस तरह की दिक्कतें लगातार आ रही है। ताजा उदाहरण खरीफ २०१८ का लिया जाए तो इसमें विभिन्न बैंकों ने किसानों के खाते से प्रीमियम काटकर बीमा कंपनियों के खाते में जमा करवा दिया।
लेकिन इसके बाद बीमा कपंनियां भी पोर्टल पर जानकारी अपलोड करवाने के प्रति गंभीर नहीं हुई। प्रीमियम कटने के बाद किसानों के खेतों में जब खराबा हुआ और किसानों ने क्लेम मांगा तब जाकर बीमा कंपनी और बैंकों के कान खड़े हुए हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार स्तर पर कोई इस बारे में कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हो रहा है। इसके कारण प्रदेश के हजारों किसान अपनी बर्बादी पर आंसू बहाने को मजबूर हो रहे हैं। बीमा कंपनियों के हालात तो ऐसे हैं कि जिला व तहसील स्तर पर इनके कार्यालय भी नियमित रूप से संचालित नहीं हो रहे। ऐसे में कृषि विभाग स्तर पर जो पत्राचार किए जा रहे हैं, उसका भी कोई विशेष असर नजर नहीं आ रहा है। इससे किसानों को क्लेम भुगतान में दिक्कतें आ रही है। क्लेम नहीं मिलने से खफा किसानों ने अब आंदोलन की राह अपनाने का निर्णय लिया है। इस बीच किसानों को राहत तभी मिल पाएगी जब राज्य और केंद्र सरकार आपसी समन्वय से इस समस्या का हल निकालने का प्रयास करेगी।
विधानसभा तक गूंज
खरीफ सीजन २०१८ में क्लेम से वंचित किसानों का मामला विधानसभा में भी विधायकों ने खूब उठाया है। लेकिन पोर्टल पर अपलोड नहीं होने वाले किसानों की संख्या जुटाने में सरकार भी नाकाम हो रही है। इस संबंध में कलक्टर ने बीमा कंपनियों और बैंकों से कई बार पत्राचार किया है, लेकिन इसका कोई असर बैंकों और बीमा कंपनियों की सेहत पर नजर नहीं आ रहा है।
पोर्टल की दिक्कत
कृषि अधिकारियों का कहना है कि बीमा संबंधी जानकारी पीएम पोर्टल पर अपलोड नहीं हो पाई। इसके कारण क्लेम भुगतान में दिक्कत आ रही है। पोर्टल को खोलने का निर्णय केंद्र सरकार स्तर पर लिया जाना है। हर वर्ष निर्धारित समय बाद पोर्टल को बंद कर दिया जाता है। इस स्थिति में पोर्टल पर जानकारी अपलोड करना संभव नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार स्तर पर पोर्टल खोलकर इसमें सभी तरह की जानकारी अपलोड हो सके, इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी गंभीर होने की जरूरत है।
कोई नहीं गंभीर
बताया जा रहा है कि हनुमानगढ़ जिले से खरीफ २०१८ में करीब सवा आठ करोड़ की राशि प्रीमियम पेटे बीमा कंपनियों के खाते में जमा करवा दी गई। लेकिन बैंकों ने इसका रिकॉर्ड राष्ट्रीय पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इस बारे में बैंक अधिकारी आधार कार्ड व भूमि का रिकॉर्ड मिसमैच होने की बात कह रहे हैं। पोर्टल का पेच सुलझाने को लेकर बीमा कंपनी भी कोई गंभीरता नहीं दिखा रही। जबकि बीमा करने का पूरा दायित्व बीमा कंपनी का ही है। बैंक तो केवल कमीशन एजेंट के तौर पर बीमा कंपनी को प्रीमियम कटौती करके राशि हस्तांतरित करता है।
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