कक्षा आठवीं की छात्राएं फिर रहेंगी वंचित, नहीं अपनाया जा रहा पुरस्कार देने के लिए कोई फार्मूला
हनुमानगढ़. छोटी लाडो मतलब कक्षा आठवीं की होनहार बालिकाओं को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देने के लिए कोई फार्मूला बनाने को लेकर किसी तरह की माथापच्ची नहीं की जा रही है।
हनुमानगढ़
Published: May 08, 2022 08:23:16 pm
छोटी लाडो के पुरस्कार का नहीं कोई ‘फार्मूला’
- दसवीं व बारहवीं की छात्राओं को पुरस्कार देने वास्ते की जा रही कवायद
- कक्षा आठवीं की छात्राएं फिर रहेंगी वंचित, नहीं अपनाया जा रहा पुरस्कार देने के लिए कोई फार्मूला
- दो साल में दो करोड़ रुपए से अधिक की पुरस्कार राशि से वंचित बालिकाएं
अदरीस खान @ हनुमानगढ़. बड़ी लाडो माने कक्षा दस व बारहवीं की छात्राओं को बिना परीक्षा विशेष फार्मूले से पास करने के बाद अब उनको गार्गी, बालिका प्रोत्साहन व इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देने की कवायद की जा रही है। इसके लिए राज्य स्तर पर गठित कमेटी की सिफारिश के आधार पर बम्पर प्राप्तांक से पास होने वाली दसवीं व बारहवीं की छात्राओं को पुरस्कार देने के लिए विशेष फार्मूला बनाया जा रहा है। मगर छोटी लाडो मतलब कक्षा आठवीं की होनहार बालिकाओं को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देने के लिए इस तरह का कोई फार्मूला बनाने को लेकर किसी तरह की माथापच्ची नहीं की जा रही है। ऐसे में लगातार दूसरे साल आठवीं की बालिकाओं का प्रियदर्शिनी पुरस्कार से वंचित होना तय हो गया है।
प्रदेश भर की बात करें तो लगातार दो शिक्षा सत्र में पुरस्कार नहीं मिलने से आठवीं की बालिकाएं दो करोड़ रुपए से अधिक की पुरस्कार से महरूम हो गई हैं। पांच सौ से अधिक बालिकाओं पर इसका असर पड़ा है। इसका कारण यह है कि कोरोना संक्रमण के चलते शिक्षा सत्र 2020-21 एवं 2021-22 में कक्षा आठवीं की वार्षिक परीक्षा नहीं हो सकी थी। ऐसे में विद्यार्थियों को कक्षा नौवीं के लिए प्रमोट कर दिया गया था। परीक्षा के अभाव में जिला स्तर पर श्रेणीवार प्रथम रही छात्राओं की सूची ही तय नहीं हो सकी। ऐसे में इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार के लिए होनहार छात्राओं का चयन नहीं किया गया। कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी चयन को लेकर अब तक नहीं की गई है। दूसरी ओर कक्षा दसवीं तथा बारहवीं की छात्राओं को शिक्षा सत्र 2020-21 में इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार दिया गया। सत्र 2021-22 में वार्षिक परीक्षा नहीं लिए जाने के कारण दसवीं व बारहवीं की छात्राओं को विशेष फार्मूला अपनाकर पास किया गया। इसके आधार पर उनको पुरस्कार देने की कवायद की जा रही है।
दो करोड़ से ज्यादा इनामी राशि
इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार के तहत प्रत्येक जिले में सामान्य, ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, एसबीसी, अल्पसंख्यक, बीपीएल व दिव्यांग वर्ग से एक-एक छात्रा का चयन किया जाता है। अपने वर्ग में प्राप्तांक में प्रथम छात्रा को बतौर पुरस्कार चालीस हजार रुपए दिए जाते हैं। एक साल में प्रदेश के 33 जिलों में 264 छात्राओं को यह पुरस्कार मिलता है। इसका मतलब है कि एक करोड़ पांच लाख साठ हजार रुपए की राशि इन छात्राओं को दी जाती है। इस तरह दो शिक्षा सत्र में बालिकाएं दो करोड़ छह लाख बीस हजार रुपए की इनामी राशि से वंचित हो गई।
वैकल्पिक व्यवस्था नहीं
कक्षा आठवीं की वार्षिक परीक्षा नहीं होने से प्रियदर्शिनी पुरस्कार के लिए चयन भी नहीं किया गया। जानकारों की माने तो कक्षा दस व बारहवीं की तरह कोई फार्मूला अपनाकर या फिर कोई वैकल्पिक व्यवस्था अपना कर पुरस्कार दिया जाना चाहिए। मगर परीक्षा के अभाव में ऐसा कर पाना मुश्किल ही लग रहा है। ऐसे में कोराना संक्रमण संकट ना केवल पढ़ाई व परीक्षा व्यवस्था को बाधित कर गया बल्कि होनहार बालिकाओं की पुरस्कार राशि भी जीम गया।
आठवीं की सूची नहीं
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक मुख्यालय रणवीर शर्मा ने बताया कि शिक्षा सत्र 2021-22 के लिए दसवीं, बारहवीं या आठवीं कक्षा की छात्राओं को इंदिरा प्रियदर्शिनी पुरस्कार देने को लेकर स्थानीय स्तर पर कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं। इस संबंध में मुख्यालय स्तर से मिले आदेशों के तहत ही कार्ययोजना अमल में लाई जाएगी।

कक्षा आठवीं की छात्राएं फिर रहेंगी वंचित, नहीं अपनाया जा रहा पुरस्कार देने के लिए कोई फार्मूला
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