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उधर, चुनावी मोड पर मुख्यमंत्री, इधर इन लोगों ने रची गुप्त विरोध की रणनीति

locationहनुमानगढ़Published: Jul 24, 2018 07:02:34 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

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नोहर/हनुमानगढ़। सिंचाई सुविधा से वंचित क्षेत्र के 28 गावों को सिंचित क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर असिंचित क्षेत्र संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री वंसुधरा राजे के 28 जुलाई के संभावित दौरे के विरोध का निर्णय लिया है। मंगलवार को यहां मानव मंगल संस्थान कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में असिंचित क्षेत्र संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के संभावित दौरे का पुरजोर विरोध कर किसान आंदोलन की घोषणा की है।

सरकार के खिलाफ किसान
प्रेस वार्ता में संघर्ष समिति अध्यक्ष महंत योगी गोपालनाथ ने बताया कि तीन दशक से सिंचाई सुविधा की बाट जोह रहे नोहर-भादरा क्षेत्र के 28 गांवों के किसान अब सरकार के खिलाफ भारी आक्रोश में हैं। सुराज संकल्प यात्रा के बाद एक बार फिर से मुख्यमंत्री चुनावी मोड पर हैं, तो संघर्ष समिति ने भी मुख्यमंत्री को उनके वादे की याद दिलाने की ठान ली है।
विरोध का स्वरूप रहेगा गुप्त
वार्ता में जिला परिषद सदस्य मंगेज चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे का विरोध किस स्वरूप में किया जाएगा। यह बात गुप्त रखी जाएगी। लेकिन विरोध का स्वरूप शक्तिशाली होगा। जिसमें बड़ी संख्या में किसान अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे।
पचास हजार की कर्जा माफी छलावा
जिप सदस्य मंगेज चौधरी ने मुख्यमंत्री पर पचास हजार की कर्जा माफी को छलावा बताते हुए सहकारी बैंकों के साथ राष्ट्रीयकृत बैंकों से भी कर्जा माफी की मांग की। पूर्व सरपंच शंकरलाल शर्मा व संघर्ष समिति के सचिव प्रताप महरिया ने बताया कि मुख्यमंत्री के दौरे के दिन किसान आर-पार की लड़ाई लड़कर निर्णायक फैसला करेंगे।

संसद में गर्माया राजस्थान में मॉब-लॉन्चिंग का मामला
उधर, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने देश के विभिन्न हिस्सों में भीड़-द्वारा पीट-पीटकर हुई हत्याओं के मामलों को लोकसभा में उठाते हुए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश से उनकी जांच कराने की मांग की है। सदन में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि संसद में भले ही इस मुद्दे पर चिंता जतायी गई हो, लेकिन सड़कों पर हालात नहीं बदले हैं।
सरकार द्वारा भीड़-हत्या के मामलों पर उच्च स्तरीय समिति गठित किए जाने से असंतुष्ट कांग्रेस नेता ने कहा, ”समिति की बजाय इनकी जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश को नियुक्त किया जाना चाहिए। उनसे जांच कराकर जो भी अपराधी हैं उन्हें सजा दी जानी चाहिए। समिति भी साथ-साथ अपना काम करती रहे।’
राजस्थान के अलवर जिले में 21 जुलाई को हुई घटना पर खडगे ने आरोप लगाया कि स्थानीय सरकार वहां सहयोग नहीं कर रही है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भीड़-हत्या के मामलों पर सरकार भी चिंतित है और उसने इन्हें गंभीरता से लिया है। उन्होंने एक बार फिर 1984 की हिंसा के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ऐसी घटनाएँ दो-चार-पांच साल से नहीं वर्षों से चल रही हैं। मैंने पहले भी कहा था कि सबसे बड़ी भीड़-हत्या की घटना 1984 में हुई थी।’
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