scriptआगे आए मददगार, बेटियों को सरहद पार हुनर दिखाने का मिला हौसला | Come forward to help, daughters get excited about showing off the bord | Patrika News

आगे आए मददगार, बेटियों को सरहद पार हुनर दिखाने का मिला हौसला

locationहनुमानगढ़Published: Mar 09, 2019 11:53:30 am

Submitted by:

adrish khan

https://www.patrika.com/hanumangarh-news/
 

hanumangarh ki honhaar betiyo ki madad

आगे आए मददगार, बेटियों को सरहद पार हुनर दिखाने का मिला हौसला

आगे आए मददगार, बेटियों को सरहद पार हुनर दिखाने का मिला हौसला
– समाज के अलग-अलग वर्ग के संजीदा लोग बने मददगार
– बैंकॉक के लिए होनहार बेटियां रवाना
हनुमानगढ़. लाखों सदमे, ढेरों गम, फिर भी नहीं है आंखें नम। एक मुद्दत से रोये नहीं हैं, क्या पत्थर के हो गए हम।। मगर हनुमानगढ़ अभी पत्थर का नहीं हुआ है। जाति, धर्म, वर्ग से ऊपर उठकर इंसानी रिश्ते निभाने की समझ बाकी है। जरूरतमंदों का दर्द समझने का अहसास जिंदा है। इसी अहसास ने भटनेर नगरी की दो होनहार मुस्लिम बच्चियों की मदद के लिए समाज के हर वर्ग से मददगार खड़े कर दिए। होनहार बेटियों को अपना हुनर दिखाने का हौंसला दे दिया। सरहद पार जाकर देश का नाम रोशन करने का उत्साह भर दिया। हाऊसिंग बोर्ड निवासी दो बहने थाइलैंड में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता ताईक्वांडो में जौहर दिखाने के लिए उड़ान भर चुकी हैं। आर्थिक दिक्कतों के कारण प्रतिभाशाली बेटियों का वहां जाना एक बार तो खटाई में पड़ गया था। मगर राजस्थान पत्रिका ने परिवार की माली हालत, बालिकाओं के हुनर, खेल के प्रति लगन और उसमें आ रही मुश्किलों को लेकर समाचार प्रकाशित किया था।
इसके बाद जिला प्रशासन ने संवेदनशीलता दिखाते हुए बच्चियों को आर्थिक मदद दिलाने का प्रयास किया। समाज के संजीदा लोगों ने आगे बढ़कर परिवार की आर्थिक मदद की, जिससे सात मार्च को दोनों खिलाड़ी बहनें थाइलैंड रवाना हो गई। वहां बैंकॉक में नौ मार्च से प्रतियोगिता शुरू होगी। जिले के पांच भामाशाहों ने बच्चियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना कौशल दिखाने के लिए एक लाख इक्कीस हजार रुपए की मदद दी है। शाईना (२०) व शिमनान (१८) अभी इंटरनेशनल ताईक्वांडो प्रतियोगिता के लिए बैंकॉक गई हैं। इसके बाद वे जुलाई में इंटरनेशनल ताईक्वांडो चैम्पियनशिप के लिए बैंकॉक जाएंगी। बहनों ने पिछले माह चंडीगढ़ में सम्पन्न नेशनल चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीते थे। वे अब तक दर्जनों पदक जीत चुकी हैं। इनकी छोटी बहन नाजनीन ताईक्वांडो व स्केटिंग दोनों में जौहर दिखा रही है।
यह बने मददगार
राजस्थान पत्रिका ने चार फरवरी को ‘खेल परियों की परवाज, थाम रहे तंगी और रस्मो-रिवाजÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर होनहार बालिकाओं की पीड़ा बयां की। परिवार के लोग जिला प्रशासन से भी मिले। जिला कलक्टर जाकिर हुसैन व पीआरओ सुरेश बिश्नोई ने संवेदनशीलता दिखाते हुए बच्चियों को आर्थिक सहायता दिलाने का प्रयास शुरू किया। समाज के पांच जिम्मेदार नागरिकों ने प्रतिभाशाली बालिकाओं को प्रोत्साहन देने का जिम्मा उठाया। भामाशाह श्योनारायण पूनिया के पुत्र शेरेकां निवासी कुलदीप बिश्नोई व व्यापार मंडल शिक्षण समिति के अध्यक्ष बालकृष्ण गोल्याण ने २५-२५ हजार रुपए नकद दिए। जबकि गोगामेड़ी स्थित गौरक्ष धाम के महंत रूपनाथ ने 25,000, हनुमानगढ़ के उद्योगपति शिवशंकर खडग़ावत ने 21,000 तथा भादरा के रियल एस्टेट कारोबारी व पार्षद अनवर कुरेशी ने 25,000 रुपए खिलाड़ी बहनों के खाते में जमा करवाए।
मिला सिर्फ आश्वासन
हाऊसिंग बोर्ड निवासी अकरम खान झोरड़ के तीन पुत्रियां हैं, तीनों ही ताईक्वांडो में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता हैं। शाईना व शिमनान ने पिछले साल कैंडी, श्रीलंका में साउथ एशियन ताईक्वांडो चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। उनको नौ मार्च से शुरू हो रही अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए बैंकॉक जाना था। मगर परिवार आर्थिक दिक्कतों के कारण मुश्किल में था। मदद के लिए पिछली सरकार के खेल मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर और मौजूदा मंत्री अशोक चांदना से आर्थिक सहायता की मांग की। मगर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला।
ब्रांड अम्बेसडर सा परिवार
रजिया बेगम व अकरम खान का परिवार कन्या भ्रूण हत्या के लिए बदनाम हनुमानगढ़ में राहत की बयार जैसा है। २०११ की जनगणना के अनुसार जिले का बाल लिंगानुपात ८६९ के खतरनाक स्तर पर था। इसकी मुख्य वजह कन्या भ्रूण हत्या ही मानी जाती है। ऐसे में किसी के केवल तीन बेटियां होना और उनको अच्छी शिक्षा दिलाकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में जौहर दिखाने लायक बनाना बड़ी बात है। रजिया बेगम का परिवार बेटी बचाओ अभियान के लिए ब्रांड एम्बेसडर सरीखा है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो