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उडऩे पर आ जाओ तो दुनिया छोटी लगे

locationहनुमानगढ़Published: Jun 14, 2018 10:02:00 am

Submitted by:

pawan uppal

-बोर्ड परीक्षाओं में कम संख्या के बावजूद परिणाम में आगे बेटियां

topper

उडऩे पर आ जाओ तो दुनिया छोटी लगे

हनुमानगढ़.

आसमान में उड़ती चिडिय़ा यह कहती लगती है। उडऩे पर आ जाओ तो दुनिया कितनी छोटी लगती है। वाकई, वसीम बरेलवी के इस शेर की तरह आंगन की चिरैयाएं मौका व माहौल मिलने पर आसमान नाप रही हैं। अपने ज्ञान के बूते कामयाबी के झंडे गाड़कर बेटियों को कमतर समझने वालों को आईना दिखा रही हैं। राजस्थान बोर्ड परीक्षाओं के इस बरस जारी नतीजों में छात्राओं ने तादाद कम होने के बावजूद काबिलियत व मेधा की ऐसी पताका फहराई है कि हर ओर उनकी सफलता ही नजर आती है।
यह बात अलग है कि समाज के स्वार्थ व ओछे कायदों के चलते बेटियों की संख्या काफी कम है। यही वजह है कि सभी परीक्षाओं में उनकी उपस्थिति लड़कों की तुलना में कम रही। लेकिन प्रतिभा के दम पर छात्राएं उत्तीर्ण होने से लेकर प्रथम श्रेणी हासिल करने तक में छात्रों से आगे ही रही।

मानो समाज से कह रही हो कि तुम्हारे मनमर्जी के कायदों के चलते हम तादाद में कम हो गई। मगर मेहनत व सफलता हासिल करने में कतई कम नहीं हैं। उनकी यह सफलता समाज के उन लोगों से जवाब मांगती है जो उनकी पैदाइश से लेकर शिक्षा तक पर आपत्ति करते हैं। क्योंकि इसी मानसिकता के कारण ही तो देश, प्रदेश व जिले का लिंगानुपात गड़बड़ाया हुआ है।

बालिकाओं की संख्या भी कक्षा दर कक्षा कम होती जाती है। इस तरह शिक्षा मंदिरों तक उनकी पहुंच लड़कों की तुलना में बहुत कम रहती है। इन तमाम मुश्किलों से लड़कर बेटियां सफलता का परचम लहरा रही हैं। आंगन की चिरैया छोटे पंखों से आकाश नापने का दावा बड़ी मजबूती से पेश कर रही हैं। बकौल शायर, ‘खोल पिंजरा, कतर ना पंख, परिन्दा आसमान नाप लेगा। पलने दे, उडऩे दे, बुलंदियों पर तुम्हारा भी नाम लेगा।

कला में भी कमाल
कला संकाय में भी छात्राओं ने प्रतिभा का कमाल दिखाया। जिले से कुल 16144 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए। इनका परिणाम 88.88 फीसदी रहा। इसमें से लड़कियों का 92.99 फीसदी तथा लड़कों का परिणाम 84.97 प्रतिशत रहा। करीब आठ फीसदी से अधिक का अंतर रहा। प्रथम श्रेणी हासिल करने में भी बेटियां आगे रही। छात्राओं में से 5028 ने व छात्रों में से 3230 ने ही फस्र्ट डिवीजन हासिल की।

होनहारों को मार डाला…
बोर्ड परीक्षा परिणाम की यह कहानी कोई इस बरस की ही ऐसी नहीं है। लगभग हर साल इम्तिहान के नतीजों में बेटियां छाई रहती है। जब इन नतीजों को देखकर देश, प्रदेश व जिले का बाल लिंगानुपात ध्यान में आता है तो कई सवाल खड़े हो जाते हैं। खतरनाक स्थिति तक घट चुके लिंगानुपात के बीच मेधावी बेटियों का प्रदर्शन बिलकुल उलट है।

जाने कितनी ही होनहार बच्चियों को समाज ने कोख में मार डाला। वर्ष 2011 की जनगणना में जिले का बाल लिंगानुपात 869 के चिंताजनक स्तर पर था। कमोबेश यही हालात देश व प्रदेश के थे। राजस्थान को घटते लिंगानुपात के चलते बीमारू राज्य से डीमारू (बेटियों का मारने वाला) कहा जाने लगा था। ऐसे में मेधावी बेटियों का यह प्रदर्शन उम्मीद की लौ जगाता है। उनको पलने, बढऩे व पंख फैलाने के लिए माहौल बनाता सा प्रतीत होता है। बेटियां जो परिणाम दे रही हैं, समाज उसे समझे तो निश्चित तौर पर स्थिति में बदलाव आ सकता है।
संख्या में कम प्रतिभा में नहीं
संकाय छात्र परिणाम छात्रा परिणाम
कला 8272 84.97 7872 92.99
विज्ञान 4613 83.26 2181 91.79
वाणिज्य 0236 90.25 0131 100
दसवीं 15552 79.86 13073 83.95
प्रथम श्रेणी का आंकड़ा
संकाय लड़के लड़कियां
कला 3230 5028
विज्ञान 2645 1732
वाणिज्य 0129 0110
दसवीं 4654 5233
फस्र्ट डिवीजन में सब जगह आगे
संकाय छात्र छात्राएं
विज्ञान 57 फीसदी 79 फीसदी
कला 39 फीसदी 64 फीसदी
वाणिज्य 55 फीसदी 84 फीसदी
दसवीं 30 फीसदी 40 फीसदी
दिखा भारी अंतर
विज्ञान व वाणिज्य संकाय में लड़कों व लड़कियों के परिणाम में भारी अंतर रहा। विज्ञान में जहां आठ प्रतिशत से अधिक, वहीं वाणिज्य में छात्रों की तुलना में नौ प्रतिशत से ज्यादा परिणाम छात्राओं का रहा। विज्ञान संकाय की परीक्षा में इस बार जिले से कुल 6794 विद्यार्थी शामिल हुए थे तथा ओवरऑल परिणाम 86 फीसदी रहा। लड़कियों का परिणाम 91.79 फीसदी वा लड़कों का केवल 83.26 प्रतिशत रहा। इसी तरह वाणिज्य संकाय में भी बेटियों के ज्ञान की धूम रही। जिला स्तर पर लड़कों का 90.25 तथा लड़कियों का परिणाम शत प्रतिशत रहा। जिले का कुल नतीजा 93.73 फीसदी रहा।
दिखा भारी अंतर
विज्ञान व वाणिज्य संकाय में लड़कों व लड़कियों के परिणाम में भारी अंतर रहा। विज्ञान में जहां आठ प्रतिशत से अधिक, वहीं वाणिज्य में छात्रों की तुलना में नौ प्रतिशत से ज्यादा परिणाम छात्राओं का रहा। विज्ञान संकाय की परीक्षा में इस बार जिले से कुल 6794 विद्यार्थी शामिल हुए थे तथा ओवरऑल परिणाम 86 फीसदी रहा। लड़कियों का परिणाम 91.79 फीसदी वा लड़कों का केवल 83.26 प्रतिशत रहा। इसी तरह वाणिज्य संकाय में भी बेटियों के ज्ञान की धूम रही। जिला स्तर पर लड़कों का 90.25 तथा लड़कियों का परिणाम शत प्रतिशत रहा। जिले का कुल नतीजा 93.73 फीसदी रहा।
दिखा भारी अंतर
विज्ञान व वाणिज्य संकाय में लड़कों व लड़कियों के परिणाम में भारी अंतर रहा। विज्ञान में जहां आठ प्रतिशत से अधिक, वहीं वाणिज्य में छात्रों की तुलना में नौ प्रतिशत से ज्यादा परिणाम छात्राओं का रहा। विज्ञान संकाय की परीक्षा में इस बार जिले से कुल 6794 विद्यार्थी शामिल हुए थे तथा ओवरऑल परिणाम 86 फीसदी रहा। लड़कियों का परिणाम 91.79 फीसदी वा लड़कों का केवल 83.26 प्रतिशत रहा। इसी तरह वाणिज्य संकाय में भी बेटियों के ज्ञान की धूम रही। जिला स्तर पर लड़कों का 90.25 तथा लड़कियों का परिणाम शत प्रतिशत रहा। जिले का कुल नतीजा 93.73 फीसदी रहा।
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