हनुमानगढ़.
राज्य की नहरों में पंजाब से आ रहे प्रदूषित पानी को रोकने संबंधी मामले की सुनवाई मंगलवार को ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली में हुई। इसमें राजस्थान की तरफ से याचिकाकर्ताओं के वकील डीके शर्मा और उनके सहायक दिव्य कौशिक ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। इसमें उन्होंने बताया कि ट्रिब्यूनल की ओर से बार-बार सुधार के निर्देश देने के बावजूद पंजाब सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी प्रदूषण रोकथाम को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे।
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जिसका खामियाजा राजस्थान के दो करोड़ से अधिक लोग भुगतने को मजबूर हो रहे हैं। सुनवाई के दौरान पंजाब ने अपने बचाव में कहा कि ट्रिब्यूनल के निर्देश के मुताबिक ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति में काफी सुधार किया गया है। इससे प्रदूषण का स्तर भी कम हो रहा है।
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दोनों पक्षों की दलील सुनने तथा दोनों पक्षों की बातों में बड़ा अंतर होने पर ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली के चैयरमेन एके गोयल ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। कमेटी में संत बलवीर सिंह सिंचेवाल, पंजाब व राजस्थान के प्रदूषण मंडल के अधिकारियों के अलावा केंद्रीय प्रदूषण मंडल के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
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जो प्रदूषित स्थलों पर जाकर निष्पक्ष और तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर ट्रिब्यूनल के समक्ष रखेंगे। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 14 नवम्बर को निर्धारित की गई है।