scriptअदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीख | Court imposed a fine of five lakh rupees, still did not learn | Patrika News

अदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीख

locationहनुमानगढ़Published: Aug 12, 2019 12:03:56 pm

Submitted by:

Anurag thareja

अदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीखन चलाया अभियान, न पकड़े निराश्रित पशु, शहर के चौक-चौराहों पर हर समय जमावड़ाहादसा होने की आशंका, कई जने गवां चुके है जान

अदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीख

अदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीख

अदालत ने पांच लाख रुपए का लगाया था जुर्माना, फिर भी नहीं ली सीख
न चलाया अभियान, न पकड़े निराश्रित पशु, शहर के चौक-चौराहों पर हर समय जमावड़ा
हादसा होने की आशंका, कई जने गवां चुके है जान

हनुमानगढ़. नगर परिषद ने गत तीन वर्ष में निराश्रित पशुओं को पकडऩे के लिए कोई अभियान नहीं चलाया। इसकी वजह से शहर के मुख्य मार्गों के प्रत्येक चौक-चौराहों पर रात के समय निराश्रित पशुओं के झुंड से आए दिन हादसे हो रहे हैं। पत्रिका ने शनिवार देर रात टाउन के मुख्य मार्गों का हालात देखें तो बद से बद्दतर थे। एक तरफ सड़कों के किनारे निराश्रित पशुओं को झुंड मिला, तो दूसरी पशु पालकों ने रात को अपने पशु खुले में छोड़ रखे थे।
स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन भी है। इसमें नगर परिषद पशुपालक से अधिकतम पांच हजार का जुर्माना भी वसूल सकती है। इसके बावजूद गत तीन वर्षों में टाउन क्षेत्र में दो गोशाला व एक नंदीशाला होने के बावजूद हालात में कोई सुधार नहीं हुए। नगर परिषद केवल कागजों में अभियान चलाकर खानापूर्ति करने में लगी है।
लेकिन हकीकत में आज तक निराश्रित पशुओं को पकड़कर गोशाला लेजाने के कोई प्रयास नहीं किए। इधर, जनसहभागिता योजना के अंतर्गत निराश्रित पशुओं से मुक्ति दिलाने के लिए टाउन की कल्याण भूमि में नंदीशाला खोली गई थी। इस नंदीशाला में करीब 550 गोधों को रखा गया है। अब केवल सौ और गोधों को रखने की ही जगह शेष है। नगर परिषद एग्रो गोशाला, नप कार्यालय के पास फाटक गोशाला में भी निराश्रित पशुओं को पकड़कर लेजाया सकता है।
शरण ली थी, नहीं हुई सुनवाई
टाउन की लोहिया कॉलोनी निवासी की 2015 में गोधों की लड़ाई में एक शख्स की मौत हो गई थी। इस मामले पर अपर जिला एवं सेशन न्यायालय ने नगर परिषद को दोषी मानते हुए पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। नगर परिषद ने यह राशि देने की बजाए, हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन कोर्ट ने फटकार लगाते हुए चार लाख रुपए का जुर्माना देने के आदेश दिए थे। जनवरी 2019 में नगर परिषद ने यह राशि देकर अपनी जान छुड़ाई थी। अधिवक्ता शंकर सोनी ने बताया कि वर्तमान में निराश्रित पशुओं से बुरी तरह घायल हुए दो नागरिकों को लेकर स्थाई लोक अदालत में मामला चल रहा है। हैरत की बात है कि जुर्माना भुगतने के बावजूद नप ने कोई सीख नहीं ली। अदालत ने आवारा पशुओं की समस्या को मानव सुरक्षा के प्रति गंभीरता से लेते हुए अपने निर्णय में माना कि हनुमानगढ़ टाउन-जंक्शन ही नहीं बल्कि कमोबेश हर शहर की स्थिति बिगड़ी हुई है। निराश्रित गाय-गोधे मुख्य सड़कों पर विचरण करते देखे जा सकते हैं। इनको पकड़ कर रखना तथा सार-संभाल का दायित्व सरकार व नगर परिषद का है। नगर परिषद का वैधानिक तथा नैतिक दायित्व है कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित हालत में मानवीय गरिमा के साथ रहने के लिए निराश्रित पशुओं व गोधों को पकड़े ताकि मानव जीवन सुरक्षित हो। लेकिन नगर परिषद अपने इस दायित्व को निभाने में हर बार पूर्णत: विफल रही है।
गौरवपथ नहीं ‘अस्थाई गोशालाÓ
टाउन के वार्ड नंबर 33 स्थित गौरव पथ का सबसे बुरा हाल है। रात के समय में गौरव पथ नहीं अस्थाई गोशाला प्रतीत होती है। लोगों का इस मार्ग से निकलना मुश्किल हो जाता है। जानकारों की माने तो निराश्रित पशुओं के जमावड़ा से यहां के निवासी पहले से परेशान थे। लेकिन अब पशुपालकों ने रात के समय में इस मार्ग पर मवेशी गौरव पथ पर खुले में छोडऩे शुरू कर दिए हैं।
यह हैं हालात
पत्रिका ने टाउन-जंक्शन मार्ग पर जाकर देखा तो विजय सिनेमा के पास सड़क के दोनों ओर पालतू व निराश्रित पशुओं को झुंड था। यह हाल इससे ठीक थोडा आगे जाकर भारत माता चौक के पास का था। यहां भी निराश्रित पशुओं के झुंड के कारण वाहन चालक परेशान दिखाई दिए। इसके अलावा टाउन ओवरब्रिज के पास यही स्थिति थी।
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