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कोर्ट के आदेश की अवहेलना, सीआई व पैरोकार के खिलाफ डीएसपी को जांच का आदेश

locationहनुमानगढ़Published: Feb 22, 2019 11:47:25 am

Submitted by:

adrish khan

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कोर्ट के आदेश की अवहेलना, सीआई व पैरोकार के खिलाफ डीएसपी को जांच का आदेश

कोर्ट के आदेश की अवहेलना, सीआई व पैरोकार के खिलाफ डीएसपी को जांच का आदेश
– एनएम लॉ कॉलेज में कथित वित्तीय गड़बड़ी का प्रकरण
– कोर्ट के आदेश की अवहेलना का परिवाद पेश करने के बाद दर्ज किया था मामला
हनुमानगढ़. एनएम लॉ कॉलेज में कथित वित्तीय गड़बड़ी को लेकर अदालत के आदेश के बावजूद एफआईआर दर्ज करने में देरी मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हनुमानगढ़ ने डीएसपी हनुमानगढ़ को इस मामले की जांच कर 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस संबंध में एसीजेएम हनुमानगढ़ ने ही एक दिसम्बर 2018 को जरिए इस्तगासा मामला दर्ज कर टाउन पुलिस को जांच का आदेश दिया था। मगर पुलिस ने मामला दर्ज करने में देरी की तो परिवादी रीटा सोनी ने टाउन थाना प्रभारी तथा पैरोकार के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवहेलना को लेकर 24 दिसम्बर को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हनुमानगढ़ के समक्ष परिवाद पेश किया।
इसमें आरोप लगाया कि एनएम लॉ कॉलेज व राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों के फर्जीवाड़े से संबंधित परिवाद पर कोर्ट ने 156(3) के तहत टाउन पुलिस को एक दिसम्बर को जांच करने का आदेश दिया था। इसके बाद प्रकरण की पत्रावली 19 दिसम्बर को टाउन थाना पुलिस को भेजी गई। मगर इस संबंध में अब तक मामला दर्ज नहीं किया गया है। कोर्ट के आदेशों की जानबूझकर पालना नहीं कर आरोपितों को साक्ष्य नष्ट करने का अवसर देकर न्यायिक प्रक्रिया में लाभ दिया जा रहा है। पुलिस की अधिकारिक वेबसाइट के रिकॉर्ड के अनुसार टाउन थाना पुलिस ने 22 दिसम्बर को भेजी गई किसी अन्य पत्रावली पर तो एफआईआर दर्ज कर रखी है। मगर उनके मामले में 19 दिसम्बर को पत्रावली भिजवाने के बावजूद मामला दर्ज नहीं किया गया। टाउन थाने के पैरोकार या फिर थाना प्रभारी इसमें कोताही बरत कर आरोपितों को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। कोर्ट में अवहेलना का परिवाद पेश करने के अगले दिन ही 25 दिसम्बर को मामला दर्ज कर लिया गया।
क्या था मामला
रीटा सोनी निवासी जंक्शन के परिवाद पर 25 दिसम्बर को टाउन थाने में जरिए इस्तगासा दर्ज मामले में एनएम लॉ कॉलेज में एनएसएस के लिए मिलने वाली राशि, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मिलने वाली रकम सहित विभिन्न मदों से फर्जी बिल बनाकर भुगतान उठाने का आरोप लगाया गया था। आरोप था कि तत्कालीन प्राचार्य व उप प्राचार्य ने सेवानिवृत्ति के बावजूद गलत ढंग से सेवा में बढ़ोतरी कर गलत ढंग से भुगतान उठाया। फर्जी बिल बनाकर पैसे उठाए। इस तरह की वित्तीय अनिमितताएं सामने आने के बावजूद इसकी अनदेखी की गई। फर्जीवाड़े में कॉलेज तथा राष्ट्रीय शिक्षण संस्था के कई पदाधिकारियों पर आरोप लगाए गए। कॉलेज में फर्जीवाड़े का यह मामला बीते साल के शुरू में उठा था। यद्यपि इस संबंध में तब कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया था।
सात दिन में एफआर
इस मामले में रोचक बात यह है कि पुलिस ने विशेष तत्परता दिखाते हुए प्रकरण दर्ज करने के सात दिन के भीतर ही एफआर लगा दी थी। टाउन थाना पुलिस ने 25 दिसम्बर को मामला दर्ज किया और दो जनवरी को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हनुमानगढ़ में एफआर पेश कर दी। जरिए इस्तगासा दर्ज इस प्रकरण में महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस ने जो शीघ्रता एफआर पेश करने में दिखाई है, वह उसने मामला दर्ज करने में नहीं दिखाई। परिवादी पक्ष ने कोर्ट की अवमानना संबंधी परिवाद पेश किया तो उसके अगले दिन मामला दर्ज किया।
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