हनुमानगढ़

सिर्फ चुनावी साल में चले घणा तेज, बाद में सब बरते परहेज

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हनुमानगढ़. सरकार चाहे किसी की भी हो, सिर्फ चुनावी साल में ही तत्परता से कामकाज निपटाती है। बाकी समय में उन्हीं कार्यों में अतिरिक्त ढिलाई बरती जाती है। अगर प्रदेश में बेटियों के साइकिल वितरण कार्यक्रम पर नजर डालें तो यही हालात सामने आते हैं। ऑन रिकॉर्ड है कि पिछले सात साल में सिर्फ दो बार ही छात्राओं को शिक्षा सत्र की शुरुआत में साइकिलें बांटी गई हैं।

हनुमानगढ़Aug 03, 2019 / 12:34 pm

adrish khan

सिर्फ चुनावी साल में चले घणा तेज, बाद में सब बरते परहेज

सिर्फ चुनावी साल में चले घणा तेज, बाद में सब बरते परहेज
– प्रदेश में बेटियों को केवल चुनावी साल में ही सही समय पर मिलती हैं साइकिलें
– पिछले सात साल में केवल दो बार ही जुलाई में मिली साइकिलें
– इस साल अब तक शिक्षा विभाग ने जिलों से साइकिलों की डिमांड तक नहीं मांगी
हनुमानगढ़. सरकार चाहे किसी की भी हो, सिर्फ चुनावी साल में ही तत्परता से कामकाज निपटाती है। बाकी समय में उन्हीं कार्यों में अतिरिक्त ढिलाई बरती जाती है। अगर प्रदेश में बेटियों के साइकिल वितरण कार्यक्रम पर नजर डालें तो यही हालात सामने आते हैं। ऑन रिकॉर्ड है कि पिछले सात साल में सिर्फ दो बार ही छात्राओं को शिक्षा सत्र की शुरुआत में साइकिलें बांटी गई हैं। वह दोनों मौके ही विधानसभा चुनाव के थे। इसके अलावा कभी भी बेटियों को जिले से लेकर पूरे प्रदेश में जुलाई व अगस्त में साइकिलें नहीं मिल सकी हंै। कभी तीन तो कभी छह से आठ महीने देरी से साइकिलों का वितरण किया जाता रहा है।
लेटलतीफी के चलते ऐसी स्थिति भी बनी है जब नौवीं की छात्राओं को दसवीं में पहुंचने के वक्त साइकिलें मिली हैं। इस साल भी यही हालात पैदा होने की आशंका है। क्योंकि सामान्यत: वितरण में देरी के बावजूद शिक्षा विभाग सभी जिलों से साइकिलों की मांग को लेकर जुलाई से पहले प्रस्ताव मांग लेता है। लेकिन इस बार अभी तक जिलों से साइकिलों की मांग संंबंधी प्रस्ताव नहीं मांगे गए हैं। ऐसे में तय है कि कई माह की देरी से ही छात्राओं को साइकिलें मिलेंगी। क्योंकि मांग के प्रस्ताव, फिर उसके हिसाब से खरीद, आपूर्ति, असेम्बलिंग आदि में कई सप्ताह का समय लगता है। इसका मतलब है कि अगर सरकारें गंभीरता से ले तो हर कार्य समय पर हो सकता है। अफसोस ऐसा वह अक्सर चुनावी साल में ही करती है।

देखिए चुनावी साल में गति
जानकारी के अनुसार शिक्षा सत्र 2012-13 में जुलाई में ही साइकिल वितरण कार्यक्रम सम्पन्न हो गया। यद्यपि छात्राओं को साइकिलें देने की बजाय जुलाई 2013 में चेक बांटे गए थे। इसके बाद कई साल ऐसा नहीं हुआ। पिछले साल एक बार फिर जुलाई में साइकिलें बांटी गई। इसके अलावा कभी भी जुलाई या अगस्त में साइकिल वितरण नहीं हुआ। दो साल पहले शिक्षा सत्र 2015-16 की साइकिलें तो आठ महीने देरी से बांटी गई। जुलाई 2015 में जो साइकिलें मिलनी थी, वो मार्च 2016 में जाकर वितरित की गई। अन्य वर्षों में भी कमोबेश यही स्थिति रही।

कौन लाभान्वित
गौरतलब है कि कक्षा नौवीं में अध्ययनरत बालिकाओं को साइकिलें बांटी जाती है। यद्यपि दो वर्ष पहले तक केवल सरकारी विद्यालयों की छात्राओं को ही साइकिल दी जाती थी। मगर उसके बाद निजी स्कूलों की छात्राओं को भी साइकिलें बांटी जाने लगी। यद्यपि केवल शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉक में अल्पसंख्यक वर्ग की निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्राओं को ही साइकिलें बांटी गई। इस श्रेणी में हनुमानगढ़ ब्लॉक आता है।

रंग पर सियासत
साइकिल वितरण की योजना जब शुरू हुई तो काले रंग की साइकिलें ही बांटी जाती थी। फिर जब 2013 में भाजपा की राज्य में सरकार बनी तो साइकिल का रंग नारंगी कर दिया गया। अब पुन: कांग्रेस सरकार ने साइकिलों को नारंगी रंग में पोतने पर रोक लगा दी है।

फैक्ट फाइल : साइकिल वितरण
शिक्षा सत्र कब मिली कितनी
2013-14 जुलाई 2013 6822
2014-15 मार्च 2015 6348
2015-16 नवम्बर 2015 6110
2016-17 मार्च 2016 7223
2017-18 अक्टूबर 2017 8076
2018-19 जुलाई 2018 8050
2019-20 ———– —–

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