जानकारी के अनुसार घर के बाहर जुआ खेलते या पर्ची सट्टा के आरोप में पकड़े गए व्यक्ति पर महज 100 रुपए जुर्माना व एक माह की सजा का प्रावधान है। यदि आरोपी मौके पर ही जुर्माना राशि अदा करता है तो पुलिस को उसे तत्काल जमानत पर छोडऩा पड़ता है। अगर आरोपी मौके पर जुर्माना नहीं भरता है तो थाने लाकर उससे राशि वसूल कर जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। इसके बाद चालान पेश किया जाता है। इन मामलों को 13 आरपीजीओ के तहत दर्ज किया जाता है।
अगर घर के भीतर जुआ खेलते या बुकी चलाते या सट्टा लगाते किसी को गिरफ्तार किया जाए तो उस पर 200 रुपए जुर्माना लगाने का प्रावधान है। सजा एक माह की ही हो सकती है। इन मामलों को तीन/चार आरपीजीओ के तहत दर्ज किया जाता है। ऐसे मामलों में आरोपी की थाने में ही जमानत हो जाती है। लेकिन इसमें पेच यह है कि थाना प्रभारी या कोई पुलिसकर्मी यूं ही किसी के घर में जाकर जुआ-सट्टा खेलते किसी को नहीं पकड़ सकते। इसके लिए सर्च वारंट लेना पड़ता है।
सट्टे व जुए पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून की जरूरत है। अगर कड़ी सजा व भारी जुर्माने का प्रावधान कर दिया जाए तो निश्चित रूप से इस धंधे में लगे लोगों में भय पैदा होगा। इससे उन पर लगाम लगाने में पुलिस को भी मदद मिलेगी। सख्त कानून बनाने के बाद जागरुकता कार्यक्रमों के बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। – नरेन्द्र कुमार, अपर लोक अभियोजक, हनुमानगढ़।
जुआ व पर्ची सट्टा गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है। युवा इनमें फंसकर अपराधों की तरफ बढ़ रहे हैं। अत: इस अधिनियम के प्रावधान गैर जमानती व कठोर होने चाहिए। – कालूराम रावत, जिला पुलिस अधीक्षक।